6 महीने के निचले स्तर पर भारत का औद्योगिक उत्पादन, फरवरी 2025 में 2.9 फीसदी तक गिरा

भारत का औद्योगिक उत्पादन 6 महीने के निचले स्तर पर आ गया है. फरवरी 2025 में यह 2.9 फीसदी की वृद्धि के साथ छह महीने के निचले स्तर पर रहा. खासतौर पर मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और बिजली उत्पादन के कमजोर प्रदर्शन के कारण यह गिरावट आई है.

औद्योगिक उत्पादन घटना या बढ़ना देश की जीडीपी के घटने या बढ़ने का संकेतक होता है. Image Credit: Chadchai Ra-ngubpai/Moment/Getty Images

Global Economy में आ रहे स्लोडाउन का असर भारतीय अर्स्थव्यवस्था पर भी दिखने लगा है. देश की GDP पर सीधे असर डालने वाला देश का औद्योगिक उत्पादन 6 महीने के निचले स्तर पर आ गया है. शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक फरवरी 2025 में औद्योगिक उत्पादन 2.9 फीसदी रहा है.

क्यों घटा उत्पादन?

शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक भारत की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि फरवरी 2025 में घटकर छह महीने के निचले स्तर 2.9 प्रतिशत पर आ गई, जिसका मुख्य कारण मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और बिजली उत्पादन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन की वजह से है.

सरकार की उम्मीद बढ़ी

केंद्र सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी के लिए औद्योगिक विकास दर के आंकड़ों में बदलाव किया गया है. सरकार ने जनवरी 2025 के लिए औद्योगिक विकास दर के आंकड़े को संशोधित कर 5.2 प्रतिशत कर दिया है, जो मार्च में जारी 5 प्रतिशत के अनंतिम अनुमान से ज्यादा है.

सालाना आधार पर बड़ी गिरावट

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक सालाना आधार पर देश के औद्योगिक उत्पादन में बड़ी गिरावट आई है. फरवरी 2024 में IIP 5.6 फीसदी रहा था. लेकिन, फरवरी 2025 में यह 2.9 फीसदी रहा. इस तरह सालाना आधार पर बड़ी गिरावट है. इससे पहले सबसे कम वृद्धि दर पिछले वर्ष अगस्त में दर्ज की गई थी. अगस्त 2024 में वृद्धि दर शून्य रही थी.

किस सेक्टर में कितनी ग्रोथ?

National Statistics Office की तरफ से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी 2025 में मैन्युफैक्चरिंग की वृद्धि दर घटकर 2.9 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले इसी महीने में 4.9 प्रतिशत थी. इसी तरह माइनिंग उत्पादन वृद्धि दर एक साल पहले के 8.1 प्रतिशत से घटकर 1.6 प्रतिशत रह गई. वहीं, बिजली उत्पादन वृद्धि दर भी फरवरी 2025 में एक साल पहले के 7.6 प्रतिशत से घटकर 3.6 प्रतिशत रह गई. अप्रैल-फरवरी की अवधि में आईआईपी में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो एक साल पहले की अवधि में दर्ज 6 प्रतिशत से कम है.