अगस्‍त में खुदरा महंगाई दर 3.5 फीसदी रहने की उम्‍मीद, ब्‍याज दर घटने की बढ़ेगी आस!

आमलोगों के लिए अच्छी खबर है. अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि अगस्‍त में खुदरा महंगाई दर घटकर अपने निचले स्तर पर आने की संभावना है. महंगाई दर में गिरावट का एक अहम कारक खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई नरमी है.

आम लोगों को मिल सकती है राहत, अगस्त में खुदरा मंहगाई की दर 3.5% रहने की उम्मीद Image Credit: Getty

देश की खुदरा मंहगाई दर अगस्त में भी निचले स्तर पर दर्ज होने की संभावना है. जुलाई के बाद यह दूसरी बार है जब खुदरा महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे आ सकती है. बीते दो महीने से खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा लगातार घटा है जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है.

रॉयटर्स ने अर्थशास्त्रियों के बीच एक पोल करवाया था जिसके अनुसार, अगस्त में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.5% पर आने की संभावना है, जो पिछले महीने के तुलना में कम होगी. जुलाई में यह आंकड़ा 3.54% था. सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई में खुदरा महंगाई दर पांच सालों में अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गई.

खाद्य पदार्थों की सस्ती कीमतों से आई गिरावट

देश की मंहगाई में उतार-चढ़ाव में लगभग आधी हिस्सेदारी खाद्य वस्तुओं की घटती-बढ़ती कीमतें निभाती हैं. खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी के कारण महंगाई घटी है. हांलाकि यह अनुमान लगाया गया है कि बेमौसम बारिश से फसल की पैदावार को नुकसान पहुंच सकता है जिससे खाद्य वस्तुओं के दाम में फिर से उछाल देखने को मिलेगी. ऐसे में आने वाले वक्त में महंगाई फिर से प्रभावित हो सकती है.12 सितंबर को शाम 5.30 बजे जारी होने वाले महंगाई के आंकड़े के लिए अर्थशास्त्रियों का अनुमान 3.10 प्रतिशत से 4.91 प्रतिशत तक है.

पिछले महीने जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में सब्जियों की कीमतों में वृद्धि घटकर 6.83 प्रतिशत रही. यह गिरावट साल की पहली छमाही के दौरान हर महीने देखी जा रही लगभग 30 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि से कम है.

महंगाई दरों में गिरावट आरबीआई को राहत की सांस दे सकती है लेकिन अर्थशास्त्रियों का कहना है कि हालिया नरमी अस्थायी है. अर्थशास्त्रियों के आकलन के अनुसार रुपया का कमजोर होना आने वाले समय में महंगाई के दरों में उछाल लाएंगे.

अगली तिमाही में महंगाई में आएगा उछाल

रॉयटर्स के एक दूसरे सर्वे से पता चला है कि इस तिमाही में मुद्रास्फीति औसतन 4.2 प्रतिशत रहेगी, जो आगामी तिमाहियों में बढ़कर 4.5 प्रतिशत-4.7 प्रतिशत हो जाएगी. यह आंकड़ा सेंट्रल बैंक के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से ज्यादा है. अनुमानित आंकड़े को ध्यान में रखते हुए आरबीआई मौद्रिक नीति में ढील देने के मामले में सावधानी से आगे बढ़ेगा.