3 महीने… 9 राज्य 93 लाख करोड़, देश में इन्वेस्टर समिट का मौसम, अब वादों को जमीन पर लाने की बारी
Investment Summits and Promises: हाल के महीनों में इन्वेस्टमेंट समिट का मौसम देखने को मिला है. कई राज्यों ने अपने यहां निवेश सम्मेलन का आयोजन कर निवेशकों को आकर्षित करने की कोशिश की है. इन सम्मेलनों से राज्यों को क्या मिला और कैसे वो ग्रोथ की पटरी पर तेज दौड़ेंगे, इसे समझने की कोशिश करते हैं.
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Investment Summits and Promises: दिसंबर और फरवरी के बीच कम से कम 10 छोटे-बड़े राज्यों ने अपनी ताकत दिखाने और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए इन्वेस्टमेंट समिट आयोजित किए हैं. इन सम्मेलनों में बड़े-बड़े वादे किए गए हैं और प्रतिबद्धताएं भी जताई गई हैं. कारोबार को लेकर प्रतिस्पर्धी हो चुकी दुनिया में इन इन्वेस्टमेंट समिट के क्या मतलब हैं और ये राज्यों की ग्रोथ में किस तरह से भूमिका निभाते हैं. इसे समझने की कोशिश करते हैं. साथ ही इसपर भी नजर डालेंगे कि हाल के इन्वेस्टमेंट समिट में किस राज्य में कितनी रकम निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई गई है.
इन्वेस्टमेंट समिट की सीरीज
दिसंबर से ही राज्यों में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए शिखर सम्मेलनों की एक सीरीज आयोजित की गई है. ग्रोथ और जॉब्स को बढ़ावा देने के लिए ये निवेश महत्वपूर्ण हैं. दिसंबर में, राजस्थान और बिहार ने निवेशकों के लिए अपनी ताकत और प्रतिबद्धताओं का प्रदर्शन किया था. इसके बाद जनवरी में ओडिशा ने भी निवेश समिट का मंच सजाया. फरवरी में पश्चिम बंगाल से शुरू होकर कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश और असम में ऐसे आयोजनों की एक सीरीज देखने को मिली.
इन्वेस्टमेंट समिट से क्या हासिल हुआ?
मिंट के अनुसार, अगर राज्यों की मानें तो उन्हें महत्वपूर्ण निवेश प्रतिबद्धताएं मिली हैं. राजस्थान का कहना है कि उसने 35 लाख करोड़ रुपये, ओडिशा ने 16.73 लाख करोड़ रुपये और कर्नाटक ने 10.27 लाख करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन (MoU) पर साइन किए हैं. औद्योगिक रूप से कमजोर बिहार ने 1.81 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया है.
हाल तक निवेश के लिए अनुकूल नहीं माने जाने वाले केरल ने भी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए इन्वेस्टमेंट समिट का आयोजन किया. पिछले सप्ताह कोच्चि में अपने दो दिवसीय निवेशक सम्मेलन के बाद करेल 1.53 लाख करोड़ के निवेश प्रतिबद्धताओं को हासिल करने में कामयाब रहा. राज्यों ने संकेत दिया है कि एक बार लागू होने के बाद इन निवेशों से कुल मिलाकर 2.5 मिलियन से अधिक नौकरियां पैदा होने की संभावना है.
इन्वेस्टर समिट तारीख | राज्य | निवेश करने की प्रतिबद्धता (राशि ट्रिलियन में) |
9-11 दिसंबर 2024 | राजस्थान | 35 |
19-20 दिसंबर 2024 | बिहार | 1.81 |
28-19 जनवरी 2025 | ओडिशा | 16.73 |
5-6 फरवरी 2025 | पश्चिम बंगाल | 4.4 |
5-6 फरवरी 2025 | झारखंड | 0.26 |
11-13 फरवरी 2025 | कर्नाटक | 10.27 |
21-22 फरवरी 2025 | केरल | 1.53 |
24-25 फरवरी 2025 | मध्य प्रदेश | 22.5 |
25-26 फरवरी 2025 | असम | 1.2 |
दावोस तक पहुंचे ये राज्य
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक ने 20-24 जनवरी को स्विटजरलैंड के दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में भाग लिया था. महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्री अपने राज्यों में निवेश लाने के लिएत तैयार थे. वहां भारत को कुल 20 लाख करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धता मिली.
क्या ये वादे पूरे होते हैं?
निवेश सम्मेलन में किए वादे पूरे होते हैं या नहीं इसको लेकर कोई पुख्ता डेटा उपलब्ध नहीं है. किसी भी इन्वेस्टमेंट सम्मेलन की सफलता का पैमाना वास्तविक कन्वर्जन होना चाहिए. मिंट में छपी रिपोर्ट में एक्सपर्ट का कहना है कि वादों का 50 फीसदी कन्वर्जन भी बेहतर होता है.
समिट कैसे मददगार साबित होते हैं?
इन्वेस्टमेंट समिट राज्यों को अपनी ताकत और निवेश आकर्षित करने की प्रतिबद्धता दिखाने में मदद करते हैं. साथ ही कारोबारी प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा देते हैं. ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ इंडेक्स में बेहतर रैंक पाने के लिए, राज्य ऐसे कानून बनाते हैं, जो निवेशकों के अनुकूल हों. ऐसे सम्मेलन उन्हें निवेशकों की बात सुनने और उनकी समस्याओं को समझने का अवसर देते हैं. वे घरेलू और विदेशी दोनों तरह के निवेशकों को नेटवर्क बनाने का मौका भी देते हैं, क्योंकि निवेश तभी होता है जब सभी आवश्यक शर्तें पूरी होती हैं.
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