Whirlpool देसी है या विदेशी, जानें कितनी करती है कमाई; एक बीमा एजेंट का है कमाल

Whirpool केवल एक ब्रांड नहीं, बल्कि एक ऐसी कंपनी है जिसने 100 से अधिक सालों में होम अप्लायंसेस की दुनिया में क्रांति ला दी है. भारत में भी यह एक प्रमुख नाम बन चुका है. लेकिन भारत में जब Whirpool पूरी तरह से भी नहीं आया था तब ये भारत के साथ एक कानूनी मामले में उलझ गया था.

Whirpool कंपनी भारतीय है या नहीं? Image Credit: Freepik/Canva

What is the history of Whirlpool: होम अप्लायंसेस जो हमारे रोजमर्रा के काम को आसान बनाते हैं और हमारे घर को अच्छा लुक भी देते हैं. फिर वो वॉशिंग मशीन हो, फ्रीज, AC या वॉटर प्यूरिफायर. इस इंडस्ट्री की शुरुआत 1900 दशक के आसपास मानी जाती है. तब से लेकर अब तक टेक्नोलॉजी कहां से कहां पहुंच गई है ये बताने की जरूरत नहीं. इसी इंडस्ट्री की एक कंपनी है Whirpool. इसका फेमस जिंगल (व्हर्लपूल, व्हर्लपूल) भी आपको याद होगा. लेकिन आपके घर का हिस्सा बनने वाली Whirpool कंपनी क्या देसी है या विदेशी, 114 साल पुरानी इस कपंनी के शुरू होने की कहानी क्या है और क्या हुआ था जब किसी और ने Whirpool नाम से कंपनी रजिस्टर करवा ली थी…

Whirpool कॉरपोरेशन ये एक अमेरिकी MNC (कंपनी) है, इसका हेडक्वार्टर अमेरिका के मिशिगन में है. अमेरिका की फॉर्च्यून 500 कंपनी यानी 500 बड़ी कंपनियों में से एक को अमेरिकी विरासत का एक सम्माननीय हिस्सा माना जाता है. यह कंपनी केवल Whirpool ब्रांड ही नहीं, बल्कि इसके अंदर मेयटैग, किचनएड, इंडेसिट, जेनएयर, अमाना, ग्लेडिएटर गैरेजवर्क्स, ब्रास्टेम्प, इंग्लिस, एस्टेट, बॉकनेक्ट, इग्निस, कंसल और यूरोप में हॉटपॉइंट जैसे कई अन्य ब्रांड्स भी आते हैं. अमेरिका में हॉटपॉइंट ब्रांड का स्वामित्व हायर कंपनी के पास है.

कैसे शुरू हुई Whirpool?

Whirpool की कहानी 1911 में शुरू हुई, और इसकी शुरुआत करने वाले एक इंश्योरेंस सेल्समैन लुईस अप्टन रहे. उनके अंकल एमोरी अप्टन एक मशीन शॉप के मालिक थे, जिसका नाम अप्टन मशीन कंपनी था. दोनों ने मिलकर काम किया, लेकिन शुरुआती दिनों में उन्हें कई असफलताओं का सामना करना पड़ा. हालांकि, लुईस ने हार नहीं मानी और उन्होंने अपनी मशीन में एक इलेक्ट्रिक मोटर जोड़ने का विचार किया.

इस बदलाव के बाद, कंपनी की बिक्री बढ़ गई और 1920 के दशक में यह वॉशिंग मशीन के सबसे बड़े सप्लायर में से एक बन गई. 1929 में आई महामंदी यानी ग्रेट डिप्रेशन का कंपनी पर ज्यादा असर नहीं पड़ा. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कंपनी ने अपनी फैक्ट्रियों को हथियार निर्माण के लिए भी इस्तेमाल किया.

1947 में, कंपनी ने पहली बार ऑटोमैटिक, स्पिनर-टाइप वॉशर लॉन्च की, जिसे ‘सीयर्स’ ने “केनमोर” ब्रांड के तहत बेचा. एक साल बाद, कंपनी ने इसे “व्हर्लपूल” ब्रांड नाम से खुद बेचना शुरू किया.

Whirpool को शुरू करने वाले लुईस अप्टन

व्हर्लपूल की स्थापना लुईस कैसियस अप्टन और उनके अंकल एमोरी अप्टन ने की थी. लुईस
अमेरिका के न्यूयॉर्क में रहते थे और सिर्फ 17 साल के थे जब उनके पिता का एक दुर्घटना में निधन हो गया था. हाई स्कूल पूरा करते हुए, उन्होंने परिवार की आर्थिक मदद के लिए बीमा बेचना शुरू किया. बाद में, उन्होंने कॉमनवेल्थ एडिसन कंपनी में काम किया, जहां उन्हें वॉशिंग मशीन बनाने का विचार आया.

लुईस अप्टन का नाम बड़ा हुआ, उन्होंने यूएस चेंबर ऑफ कॉमर्स के वाइस प्रेसिडेंट के रूप में भी काम किया. इसके अलावा, वे इंटरनशनल चेंबर ऑफ कॉमर्स के भी सदस्य बने और 1947 में स्विट्जरलैंड में हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अमेरिका का प्रतिनिधित्व भी किया.

1914 में उन्होंने एलिजाबेथ फॉग से शादी की, जिनसे उनके चार बच्चे हुए. और 1952 में ब्रेन हेमरेज के कारण उनका निधन हो गया.

Whirpool के CEO

आज की तारीख में मार्क बिट्जर Whirpool के सीईओ और बोर्ड के चेयरमैन हैं.

भारत में कब आई Whirpool?

Whirpool ने भारत में 1980 के दशक के अंत में अपने वैश्विक विस्तार रणनीति के तहत कदम रखा. इसने TVS ग्रुप के साथ एक जॉइंट वेंचर किया और पुडुचेरी में अपनी पहली मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट बनाई, जहां वॉशिंग मशीन का प्रोडक्शन शुरू हुआ.

1995 में, Whirpool ने केल्विनेटर इंडिया लिमिटेड का अधिग्रहण किया और भारतीय रेफ्रिजरेटर बाजार में कदम रखा. इसी साल, कंपनी ने टीवीएस जॉइंट वेंचर में भी प्रमुख हिस्सेदारी हासिल कर ली. बाद में, 1996 में, केल्विनेटर और टीवीएस अधिग्रहण को मिलाकर व्हर्लपूल ऑफ इंडिया लिमिटेड बनाया गया. इसके बाद, कंपनी का पोर्टफोलियो वॉशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर, माइक्रोवेव ओवन और एयर कंडीशनर तक बढ़ गया.

भारत में, कंपनी के तीन प्रमुख मैन्यूफैक्चरिंग केंद्र हैं, पुणे, पुडुचेरी और फरीदाबाद.

कितना कमाती है Whirpool?

हाल की रिपोर्टों के अनुसार, व्हर्लपूल ऑफ इंडिया ने सितंबर 2024 तिमाही में 53.53 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट कमाया है, जो पिछले साल की इसी तिमाही के 38.20 करोड़ रुपये से 40% अधिक है. इस अवधि में कंपनी का रेवेन्यू 12.58% बढ़कर 1,713 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में यह 1,521.56 करोड़ रुपये था.

भारत में Whirpool का चर्चित कानूनी मामला

Whirpool ने भारत में भले ही 1980 में कदम रखा हो लेकिन भारत के साथ एक कानूनी मामले में ये 1956 में उलझी थी. तब व्हर्लपूल ने भारत में वॉशिंग मशीन, ड्रायर्स और डिशवॉशर बेचने के लिए “व्हर्लपूल” नाम का ट्रेडमार्क रजिस्टर किया था. उन्होंने अगले 20 सालों तक इसे मेनटेन किया लेकिन 1977 में इसे रिन्यू नहीं कराया.

इस दौरान, भारत में उनकी मौजूदगी बहुत ही ज्यादा कम थी. इतनी कम कि वे केवल अमेरिकी दूतावास और US Aid Office को वॉशिंग मशीन बेच रहे थे. भारतीय बाजार में वे टीवीएस व्हर्लपूल लिमिटेड के जरिए अपने प्रोडक्ट बेच रहे थे.

लेकिन इसी बीच, एक अन्य भारतीय कंपनी ने “व्हर्लपूल” नाम के ट्रेडमार्क के लिए अप्लाई कर दिया और अपने प्रोडक्ट इसी नाम से बेचना शुरू कर दिया. यह रजिस्ट्रेशन 1992 में प्रभावी हुआ, और 1994 तक व्हर्लपूल को इस समस्या का एहसास हो गया.

व्हर्लपूल ने इस कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया. उनका तर्क था कि भले ही वे भारत में ज्यादा प्रोडक्ट न बेच रहे हों, लेकिन उनकी वैश्विक पहचान और प्रतिष्ठा भारत तक पहुंच चुकी थी. इस आधार पर, उन्होंने अपना ट्रेडमार्क वापस पाने के लिए दावा ठोका.

1996 में, भारतीय अदालत ने व्हर्लपूल के पक्ष में फैसला सुनाया. इस फैसले ने एक मिसाल कायम की कि अगर किसी अंतरराष्ट्रीय ब्रांड की वैश्विक प्रतिष्ठा भारतीय बाजार में पहले से मौजूद है, तो उसका ट्रेडमार्क संरक्षित रहना चाहिए, भले ही कंपनी की भारत में प्रत्यक्ष मौजूदगी कम हो.