सरकार ला रही इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए इंसेंटिव पॉलिसी, 23 हजार करोड़ होंगे खर्च
Incentive Policy: भारत में बड़ी घरेलू मांग होने के कारण कॉम्पोनेंट्स का एक बड़ा हिस्सा आयात किया जा रहा है. इलेक्ट्रॉनिक्स आयात तेल के बाद दूसरी सबसे बड़ी इंपोर्ट की जाने वाली वस्तु है. भारत में कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा है और 2028-29 तक कॉम्पोनेंट्स की मांग 160 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.
Incentive Policy: सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए महत्वाकांक्षी इंसेंटिव पॉलिसी को अंतिम रूप दे दिया है. इसके लिए 6 साल में लगभग 23,000 करोड़ रुपये का आउटले (खर्च) निधारित किया है. सरकार देश में स्मार्टफोन असेंबली को सफलतापूर्वक स्थानीय करने के बाद डोमैस्टिक वैल्यू एडिशन को बढ़ाना देना चाहती है. इस योजना के जरिए सरकार डिस्प्ले मॉड्यूल, सब असेंबली कैमरा मॉड्यूल, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली, लिथियम सेल एनक्लोजर, रेसिस्टर्स, कैपेसिटर और फेराइट्स जैसे कॉम्पोनेंट्स की मैन्युफैक्चरिंग को टार्गेट करना चाहती है.
रोजगार की संभावना
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, इस योजना के माध्यम से रोजगार सृजन को भी बढ़ावा मिलने की संभावना है, क्योंकि सरकार ने भाग लेने वाली संस्थाओं के लिए सालाना डायरेक्ट रोजगार सृजन के लक्ष्य निर्धारित किए हैं. कुल मिलाकर, सरकार का लक्ष्य है कि यह योजना छह साल की अवधि में 91,600 प्रत्यक्ष रोजगार सृजित करने में मदद करेगी, जिसमें वार्षिक प्रोत्साहन भुगतान 2,300 करोड़ रुपये से लेकर 4,200 करोड़ रुपये तक होगा. यह कंपनियों द्वारा संबंधित वर्ष के लिए निवेश, उत्पादन और रोजगार लक्ष्यों को पूरा करने की शर्त पर होगा.
कॉम्पोनेंट्स इंसेंटिव अहम कदम
इंडियन एक्सप्रेस ने एक अधिकारी के हवाले से लिखा कि स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना के समाप्त होने के कारण देश के लिए कॉम्पोनेंट्स इंसेंटिव एक महत्वपूर्ण अगला कदम है. भारत में अपनी कुल असेंबली का कुछ हिस्सा स्थानीय बनाने के लिए एप्पल और सैमसंग जैसी कंपनियों को आकर्षित करने में सक्षम होने के बावजूद, डोमैस्टिक वैल्यू एडिशन अनुमान से लगभग फीसदी कम रहा है. सरकार इसे कम से कम 30-40 प्रतिशत तक बढ़ाने की कोशिश में है. यही कारण है कि कॉम्पोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने की योजना को एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है.
यह भी पढ़ें: टाटा मोटर्स ने भी बढ़ा दिए वाहनों के दाम, जानें- कौन-कौन सी गाड़ियां हो जाएंगी महंगी
कैसे दिए जाएंगे इंसेंटिव?
इस योजना में तीन अलग-अलग तरह के प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं. ऑपरेशनल एक्सपेंडिचर, कैपिटल एक्सपेंडिचर या दोनों के कॉम्बिनेशन के आधार पर इंसेंटिव दिया जा सकता है. ऑपरेशनल इंसेंटिव PLI योजनाओं की तरह नेट इंक्रीमेंटल सेल्स के आधार पर दिए जाएंगे और कैपिटल एक्सपेंडिचर इंसेंटिव पात्र कैपिटल खर्च के आधर पर दिए जाएंगे.