Jet Airways: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दाव पर जेट एयरवेज के 1.43 लाख खुदरा निवेशकों का भविष्य

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें जेट एयरवेज को जालान-कलरॉक कंसोर्टियम को हस्तांतरित करने का निर्णय सही ठहराया गया था. न्यायालय ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और अन्य लोन देने वालों की अपील को स्वीकार कर लिया.

जेट एयरवेज Image Credit: Nicolas Economou/NurPhoto via Getty Images

जेट एयरवेज पर दांव लगाने वाले लगभग 1.43 लाख खुदरा निवेशक बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके हैं, क्योंकि 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के लिक्विडेशन का आदेश दिया और बंद पड़ी एयरलाइन के अधिग्रहण के लिए जालान-कलरॉक कंसोर्टियम की बोली को खारिज कर दिया. इस आदेश के बाद जेट एयरवेज का शेयर 5% के लोअर सर्किट लगा और बीएसई पर 34.04 रुपये पर बंद हुआ.

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें जेट एयरवेज को जालान-कलरॉक कंसोर्टियम को हस्तांतरित करने का निर्णय सही ठहराया गया था. न्यायालय ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और अन्य लोन देने वालों की अपील को स्वीकार कर लिया.

खुदरा निवेशकों का कितना हिस्सा है?

मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, जेट एयरवेज में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी 30 सितंबर तक 19.29% थी. खुदरा निवेशक वे होते हैं जिनका निवेश 2 लाख रुपये से कम होता है. बड़े इंस्टीट्यूशनल शेयरहोल्डर में पंजाब नेशनल बैंक (26%), एतिहाद एयरवेज (24%) और जेट के मूल प्रमोटर (25%) शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 386.69 करोड़ रुपये के मौजूदा मार्केट वैल्यू पर एयरलाइन में खुदरा शेयरों का हिस्सा लगभग 74.6 करोड़ रुपये है.

2019 में एयरलाइन बंद होने के बावजूद खुदरा निवेशकों ने इसकी संभावित वापसी की उम्मीद में इसके स्टॉक में कारोबार जारी रखा. बीएसई के आंकड़ों के अनुसार, इस साल जेट के शेयरों का औसतन रोजाना 7.62 लाख रुपये का कारोबार हुआ. 22 मार्च को शेयर की कीमत 63.15 रुपये तक पहुंची थी, लेकिन उसके बाद से इसमें 46% की गिरावट आ चुकी है.

कब हुई थी जेट एयरवेज की शुरुआत?

जेट एयरवेज की स्थापना 1993 में हुई थी. उस समय भारत के प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को खोलने और ओपन स्काईज नीति की घोषणा की थी. इसी का लाभ उठाते हुए कंपनी ने 5 मई 1993 को अपने परिचालन की शुरुआत की. कुछ ही समय में जेट एयरवेज अंतरराष्ट्रीय सेवा में सबसे बड़ी कंपनी बन गई. 2005 में जेट एयरवेज ने आईपीओ जारी किया, और उस समय कंपनी बेहतरीन प्रदर्शन कर रही थी.