कभी था यूपी का सबसे पावरफुल बिजनेसमैन, आज 57 हजार करोड़ के कर्ज में डूबा, कैसे खत्‍म हो गया साम्राज्‍य

जेपी ग्रुप का एक समय यूपी में दबदबा था. रियल एस्‍टेट से लेकर हॉस्पिटैलिटी सेक्‍टर में इसने कई प्रमुख प्रोजेक्‍ट में अहम भूमिका निभाई है. मगर इस वक्‍त कंपनी कर्ज के बोझ तले दबी हुई है. धीरे-धीरे इसका साम्राज्‍य सिमटने की कगार पर है, तो क्‍या रही इसकी वजह जानें पूरी डिटेल.

क्‍यों बढ़ी जेपी ग्रुपी की मुसीबतें? Image Credit: money9

JP Group debt: रियल एस्टेट, सीमेंट और हॉस्पिटैलिटी जैसे सेक्टरों में अपनी धाक जमा चुका जेपी समूह का एक समय यूपी में सिक्‍का चलता था. ग्रेटर नोएडा में विश्व स्तरीय टाउनशिप की स्‍थापना करने से लेकर यमुना एक्सप्रेसवे बनाकर शहरों की दूरी कम करने जैसे अहम प्रोजेक्‍ट्स में इस ग्रुप ने अहम भूमिका निभाई थी. मगर इस वक्‍त जेपी ग्रुप कर्ज के बोझ तले डूबा है. इसकी प्रमुख कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) दिवालिया समााधान प्रक्रिया (CIRP) से गुजर रही है. इस पर कुल 57,185 करोड़ रुपये का बकाया है. तो कैसे ये दिग्‍गज बिजनेस ग्रुप लगातार मुश्किलों में घिरता जा रहा है और क्‍यों इसका साम्राज्‍य खत्‍म होने की कगार पर हैं, आइए देखें पूरी डिटेल.

किसने रखी थी नींव?

जेपी समूह की नींव जयप्रकाश गौर ने रखी थी. उनका जन्म 1931 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के एक छोटे से गांव में हुआ था. उन्‍होंने यूपी में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और रुड़की विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया. इसके बाद उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग में वह शामिल हो गए और वहां 7 साल तक काम किया. जयप्रकाश गौर ने 1950 के दशक के अंत में एक कॉन्‍ट्रैक्‍टर के रूप में अपना करियर शुरू किया था. यहां मिले अनुभव का इस्‍तेमाल उन्‍होंने अपने बिजनेस में किया और साल 1979 में उन्होंने जयप्रकाश एसोसिएट्स की स्थापना की. 1990 के दशक के अंत तक जेपी ने बड़े पैमाने पर रियल एस्टेट में एंट्री ली. चूंकि उस समय सरकार इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के निर्माण के नए मॉडल पर विचार कर रही थी, तभी जेपी ग्रुप ने अहम भूमिका निभाई. 2000 के दशक की शुरुआत में जयप्रकाश के बेटे मनोज गौर के नेतृत्व में अगली पीढ़ी ने कार्यभार संभाला और ग्रुप को नई बुलंदियों पर ले गए. ताज एक्सप्रेसवे और उसके आसपास के विकास कार्यों जैसे- गोल्फ कोर्स और फॉर्मूला वन सर्किट इसकी सबसे बड़ी उपलब्‍धि रही.

मील के पत्‍थर साबित हुए ये प्रोजेक्‍ट्स

  • गोल्फ सेंट्रिक टाउनशिप का पायनियर: जेपी ग्रुप ने भारत में प्रीमियम गोल्फ-आधारित टाउनशिप्स की नींव रखी थी.
  • जेपी ग्रीन्स ग्रेटर नोएडा: 452 एकड़ में फैला यह पहला प्रोजेक्ट था, जिसमें 18 होल ग्रेग नॉर्मन गोल्फ कोर्स थे.
  • लग्जरी और प्रकृति का मेल: इसमें प्रीमियम रेजिडेंसेज, रिटेल, स्कूल, हॉस्पिटैलिटी और ग्रीन सेक्‍टर की स्‍थापना की गई.
  • इंडिया फर्स्ट विश टाउन: 2007 में नोएडा में 1162 एकड़ का दूसरा प्रोजेक्ट तैयार किया, जिसमें 18+9 होल गोल्फ फैसिलिटी दी गई.
  • यमुना एक्सप्रेसवे पर विस्तार: समूह ने जेपी ग्रीन्स स्पोर्ट्स सिटी और विश टाउन आगरा जैसे टाउनशिप्स लॉन्च किए थे.
  • यमुना एक्सप्रेसवे: 165 किमी लंबा 6 लेन का एक्सप्रेसवे तैयार किया, जो 2011 से शुरू हुआ, ये नोएडा-आगरा को जोड़ता है.
  • रिबन डेवलपमेंट: 25 मिलियन वर्ग मीटर में 5 लोकेशंस पर रेजिडेंशियल, इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट्स प्लान्ड किए.
  • हिमालयन एक्सप्रेसवे: NH-5 का जिरकपुर-पार्वनू सेक्शन 4 लेन में बदला. ये पंजाब-हिमाचल को जोड़ता है.
  • RFID टोल टेक्नोलॉजी: देश का पहला इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन प्लाजा भी जेपी ग्रुप की देन है.

कैसे बढ़ी मुसीबतें?

जेपी ग्रुप पर समय के साथ कर्ज बढ़ता गया जिससे इसकी मुश्किलें बढ़ने लगी. संकट तक और गहरा गया जब इसकी प्रमुख कंपनी JAL कर्ज में डूब गई. इस पर 57,185 करोड़ रुपये का बकाया है, अभी ये दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है. जिसकी शुरुआत 3 जून 2024 को NCLT, इलाहाबाद बेंच के आदेश के बाद हुई थी. अब इसे खरीदने को लेकर कई कंपनियां आगे आई हैं. इसमें अरबपति गौतम अडानी की कंपनी Adani Enterprises से लेकर अनिल अग्रवाल की Vedanta और बाबा रामदेव की Patanjali Ayurveda जैसी 26 कंपनियां शामिल हैं.