एक और भारतीय बिजनेस ग्रुप की तांबे के कारोबार में एंट्री, सीधा अडानी से होगा मुकाबला
JSW in Copper Business: साल 2018 में वेदांता के स्टरलाइट कॉपर स्मेल्टर के बंद होने के बाद से भारत के तांबे के इंपोर्ट में उछाल आया है. डोनाल्ड ट्रंप के मेटल पर पर टैरिफ लगाने के कारण तांबे की कीमत 10,000 डॉलर प्रति टन से ऊपर पहुंच गई है.

JSW in Copper Business: भारत के एक और कारोबारी समूह ने कॉपर के बिजनेस में कदम रखा है. स्टील लेकर बिजली बनाने वाला ग्रुप जेएसडब्ल्यू (JSW) ने पेरू और चिली से प्राप्त तांबे के कच्चे माल के साथ 2028/29 तक पूर्वी राज्य ओडिशा में 500,000 मीट्रिक टन क्षमता का तांबा स्मेल्टर प्लांट लगाने की योजना बनाई है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी में JSW ने कहा था कि वह 2,600 करोड़ रुपये (301.22 मिलियन डॉलर) के निवेश के साथ तांबा कारोबार में प्रवेश कर रही है, जिसके तहत वह हिंदुस्तान कॉपर की दो तांबा खदानों को 20 वर्ष की अवधि के लिए ऑपरेट करेगी, जिसे एक दशक के लिए और बढ़ाने का विकल्प भी है.
स्मेल्टर प्लांट लगाने की योजना
रॉयटर्स ने सूत्र के हवाले से लिखा कि समूह अब ओडिशा में लगभग 12,000 करोड़ रुपये के निवेश से अपना खुद का स्मेल्टर प्लांट स्थापित करने तथा 2033/34 तक इसकी क्षमता बढ़ाकर 10 लाख मीट्रिक टन करने की योजना बना रहा है. हालांकि, प्रस्तावित स्मेल्टर के बारे में अधिर जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है.
JSW समूह अरबपति गौतम अडानी के ग्रुप के साथ मुकाबला करेगा, जिसने गुजरात में 1.2 अरब डॉलर का तांबा स्मेल्टर स्थापित किया है. यह अपनी तरह का दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल लोकेशन प्लांट है. सूत्र ने कहा कि JSW की योजना स्मेल्टर के तांबे से इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी की चलाने की है. इसकी प्लानिंग उन्होंने पहले की है.
तांबे के इंपोर्ट में उछाल
साल 2018 में वेदांता के स्टरलाइट कॉपर स्मेल्टर के बंद होने के बाद से भारत के तांबे के इंपोर्ट में उछाल आया है, जो लगभग 4,00,000 मीट्रिक टन मेटल का उत्पादन करता था. वर्तमान में केवल हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और सरकारी खननकर्ता हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड देश में तांबे का उत्पादन करते हैं.
भारत में तांबे का उत्पादन
भारत में तांबे का उत्पादन प्रति वर्ष लगभग 5,55,000 मीट्रिक टन होने का अनुमान है, जबकि घरेलू खपत 7,50,000 मीट्रिक टन से अधिक है. भारत इस कमी को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष लगभग 5,00,000 मीट्रिक टन तांबे का आयात करता है. उद्योग के अनुमानों के अनुसार, क्लीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर सरकार के बढ़ते कदम और इसी तरह के अन्य बदलावों से 2030 तक देश की तांबे की मांग दोगुनी होने की उम्मीद है.
क्यों बढ़ी तांबे की कीमतें
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मेटल पर पर टैरिफ लगाने के कारण तांबे की कीमत 10,000 डॉलर प्रति टन से ऊपर पहुंच गई है. इस मेटल ने इलेक्ट्रिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे अन्य महत्वपूर्ण उपयोगों के अलावा न्यू एनर्जी उद्योग में एक केंद्रीय भूमिका हासिल कर ली है. तांबे पर ट्रंप द्वारा टैरिफ लगाए जाने की संभावना ने इसकी कीमत आसमान छू रही है, क्योंकि व्यापारी इस मेटल को अमेरिका भेज रहे हैंय. इससे अन्य जगहों पर इसकी आपूर्ति कम हो रही है.
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