कितने गाजी आए, कितने गाजी गए… हिंडनबर्ग के बंद होने के बाद बोला अडानी ग्रुप
Hindenburg Research Shutdown: अपनी विस्फोटक शॉर्ट-सेलिंग रिपोर्ट के लिए मशहूर अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च बंद होने जा रही है. बुधवार को इसके संस्थापक नाथन एंडरसन ने इसकी घोषणा की. इस खबर के सामने आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयर रॉकेट बन गए.
Hindenburg Research to Shutdown: हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपना ऑपेरशन बंद करने का ऐलान किया है. इस खबर के आने के बाद अडानी ग्रुप के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) जुगेशिंदर रोबी सिंह ने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट लिखा है. हालांकि, अपने पोस्ट में उन्होंने प्रत्यक्ष तौर पर हिंडनबर्ग का जिक्र नहीं किया है. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि जुगेशिंदर रोबी सिंह ने हिंडबनर्ग के शटर गिरने के संबंध में ही अपनी पोस्ट लिखा कि ‘कितने गाजी आए, कितने गाजी गए.’ आज यानी 16 जनवरी को अडानी ग्रुप के शेयरों में 9 फीसदी तक की बंपर तेजी देखने को मिल रही.
कहां से आया.. कितने गाजी आए, कितने गाजी गए
कितने गाजी आए, कितने गाजी गए नाम से रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ‘टिनी’ ढिल्लों ने एक किताब लिखी है. इस किताब में आतंकवाद-विरोधी अभियानों, कश्मीरी पंडितों के पलायन, पुलवामा में भारतीय सुरक्षाबलों के काफिले पर हुए बर्बर हमले जैसी घटनाओं के बारे में विस्तार से लिखा गया है. लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ‘टिनी’ ढिल्लों ने कितने गाजी आए, कितने गाजी गए किताब के नाम को लेकर एक खास वजह बताई थी.
दरअसल, इसका संबंध एक पाकिस्तानी आतंकवादी से था. कामरान उर्फ गाजी पुलवामा जैसे एक और हमले की तैयारी में था. लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ‘टिनी’ ढिल्लों ने किताब में बाताया है कि कैसे सिक्योरिटी फोर्सेस ने कामरान उर्फ गाजी को एलिमिनेट किया था. एक फ्रेस कॉन्फ्रेंस में जब उनसे इस ऑपरेशन के बारे में पूछा गया था, तो उन्होंने कहा था कि कितने गाजी आए और कितने गाजी गए, और यहीं से किताब का नाम भी आया.
क्यों बंद हुई हिंडनबर्ग रिसर्च?
अडानी समूह समेत कई प्रमुख कंपनियों के खिलाफ रिपोर्ट पब्लिश करने वाली अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने गुरुवार को अपने कारोबार को समेटने की घोषणा की. संस्थापक नाथन एंडरसन ने कहा कि मैंने हिंडनबर्ग रिसर्च को भंग करने का निर्णय लिया है. क्योंकि हम जिन विचारों पर काम कर रहे थे, उनकी पाइपलाइन पूरी होने के बाद इसे बंद करने की योजना थी. एंडरसन ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय धमकियों या व्यक्तिगत कारणों की वजह से नहीं लिया गया है.
अडानी समूह और हिंडनबर्ग
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह को कई बार निशाना बनाया था. जनवरी 2023 में पब्लिश हुई रिपोर्ट ने अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों को झकझोर कर रख दिया था. इसने अडानी समूह पर धोखाधड़ी और स्टॉक हेरफेर का आरोप लगाया. इससे अडानी समूह के मार्केट कैप में बड़ी गिरावट आई थी. समूह के मार्केट कैप में 82.9 अरब डॉलर का भारी नुकसान हुआ था. हालांकि बाद में अडानी के शेयरों में सुधार हुआ.
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पिछले साल हिंडनबर्ग ने सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर हितों के टकराव का आरोप लगाया था, उनका दावा था कि अडानी समूह से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी है. ये आरोप एक व्हिसलब्लोअर द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों और अन्य इन्वेस्टिगेशन पर आधारित थे.
अडानी के शेयरों में बंपर तेजी
16 जनवरी को अडानी समूह के शेयरों में जोरदार तेजी आई. इसमें अडानी पावर 9 फीसदी की बढ़त के साथ 599.90 रुपये पर पहुंच गया. अडानी ग्रीन एनर्जी में 8.8 फीसदी की उछाल आई, अडानी एंटरप्राइजेज में 7.7 फीसदी का उछाल आया और अडानी टोटल गैस में 7 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई. अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस, अडानी पोर्ट्स और अंबुजा सीमेंट सहित समूह की अन्य कंपनियों में भी इसी तरह की बढ़त देखी गई, जो लंबे समय तक उथल-पुथल के बाद निवेशकों के भरोसे का संकेत है.