महामंदी की देन है पॉपकॉर्न कल्चर, अब 3 तरह का लगेगा GST, खाने से पहले जान लें नए रेट
पॉपकॉर्न का इतिहास लगभग 8,000 साल पुराना है और यह मेक्सिको में उत्पन्न हुई जंगली घास टेओसिन्टे (teosinte) से विकसित हुआ था. 1820 के दशक में यह अमेरिका में लोकप्रिय हुआ और फिर 20वीं सदी के दौरान सर्कस और मेलों में एक पसंदीदा स्नैक बन गया. 1930s में महामंदी के दौर में यह सस्ता और सुलभ स्नैक बना.
21 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर में GST काउंसिल की बैठक में पॉपकॉर्न पर तीन तरह के जीएसटी (GST) टैक्स लगाने का फैसला लिया गया. इन टैक्स दरों का निर्धारण इस बात पर किया गया है कि पॉपकॉर्न किस प्रकार बेचा जा रहा है. जिसमें अगर पॉपकॉर्न में नमक और मसाले मिलाकर बिना पैकिंग और लेबल के बेचा जाता है, तो उस पर 5% जीएसटी लगेगा. वहीं, अगर यह पॉपकॉर्न पैक और लेबल के साथ बेचा जाता है, तो 12% जीएसटी लगेगा. वहीं जब पॉपकॉर्न में चीनी मिलाई जाती है, तो यह मिठाई की कैटेगरी में आएगा और इसपर 18% जीएसटी लागू होगा.
सरकार के इस फैसले के बाद पॉपकॉर्न को लेकर एक विवाद की स्थिति बन गई है. कुछ लोग इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं, जबकि कुछ इसे सही मान रहे हैं. इस विवाद के बीच पॉपकॉर्न चर्चा का विषय बन गया है. आइए जानते हैं पॉपकॉर्न का इतिहास और कैसे यह इतना लोकप्रिय हुआ.
मेक्सिको से दुनिया में फैला पॉपकॉर्न
पॉपकॉर्न का इतिहास लगभग 8,000 साल पुराना है. यह एक जंगली घास टेओसिन्टे (teosinte) से विकसित हुआ था, जो मूलत: मैक्सिको में पाया जाता था. इसे बाद में एक खेती के रूप में उगाया गया और कमर्शियल पॉपकॉर्न के रूप में बदला गया. पॉपकॉर्न की पोषण क्षमता और लचीलापन के साथ ही इसके सूखे दाने को पॉप करके कुरकुरे पॉपकॉर्न बनाए जाने जैसे खूबियों ने इसे लोगों के बीच लोकप्रिय बना दिया.
1820 के दशक में हुआ प्रसिद्ध
पॉपकॉर्न का लोकप्रिय होना समय के साथ बढ़ता गया और यह केंद्रीय अमेरिका से उत्तर की ओर फैल गया. 1820 के दशक में अमेरिका में पॉपकॉर्न खाने की परंपरा शुरू हुई, और इसके बाद इसका प्रचार तेजी से बढ़ा. पॉपकॉर्न 18वीं सदी के मध्य तक मेलों, सर्कसों और सामान्य दुकानों में आसानी से मिलना शुरू हो गया था.
शिकागो से शुरू हुआ कमर्शियलाइजेशन
पॉपकॉर्न की बढ़ती लोकप्रियता का एक कारण इसकी मोबिलिटी थी. पॉपकॉर्न आसानी से खाया जा सकता था और यह भीड़ के बीच आसानी से बिक सकता था. इस वजह से पॉपकॉर्न का पहला कमर्शियल मशीन चार्ल्स क्रेटर ने शिकागो में बनाया. यह भाप से चलता था और इसे थिएटर के बाहर आसानी से प्रयोग किया जा सकता था.
महामंदी के दौर में पॉपकॉर्न और लोकप्रिय हुआ
1929 से 1933 के बीच महामंदी के दौरान पॉपकॉर्न की लोकप्रियता और बढ़ी. इस दौरान पॉपकॉर्न एक सस्ता और स्वादिष्ट स्नैक बन गया, जिसे कोई भी आसानी से अफोर्ड कर सकता था. थिएटर मालिकों ने इस मौके का फायदा उठाया और पॉपकॉर्न विक्रेताओं से थिएटर के बाहर खड़े होने के लिए शुल्क लेना शुरू कर दिया था.
1981 में माइक्रोवेव पॉपकॉर्न का आविष्कार
1981 में जब टेलीविजन का आविष्कार हुआ, और मूवी दर्शकों की संख्या कम हो गई, तब पॉपकॉर्न की खपत में एक बदलाव आया. लोग अब अपने घर में ही इसे माइक्रोवेव में बनाने लगे और इसके साथ ही यह अब घर-घर में एक हेल्दी स्नैक बनकर उभरा.