GST विवाद पर गुजरात हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जमीन लीज ट्रांसफर पर टैक्स खत्म?

गुजरात हाईकोर्ट ने लीज ट्रांसफर पर GST को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. इस फैसले से हजारों करोड़ रुपये की टैक्स देनदारी खत्म हो सकती है. इसके साथ ही कोर्ट के इस फैसले से इस तरीके के लंबित मामलों को उम्मीद की किरण मिली है.

GST विवाद पर गुजरात हाईकोर्ट का बड़ा फैसला Image Credit: Freepik

कभी-कभी कानूनों की व्याख्या में ऐसे जटिल मुद्दे सामने आते हैं, जो उद्योगों और सरकार के बीच खींचतान का कारण बन जाते हैं. ऐसा ही एक विवाद औद्योगिक भूमि के लीज ट्रांसफर पर GST लागू करने को लेकर चल रहा था, जिसने न केवल कंपनियों के आर्थिक प्रबंधन को प्रभावित किया, बल्कि कानूनी व्यवस्था को भी चुनौती दी. इस बीच, गुजरात हाईकोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले से न केवल कंपनियों को राहत दी है बल्कि GST कानून पर अलग नजरिया पेश किया है.

गुजरात हाईकोर्ट ने एक सोमवार यानी 6 जनवरी फैसला सुनाते हुए कहा कि गुजरात औद्योगिक विकास निगम (GIDC) द्वारा दी गई जमीन के लीजहोल्ड राइट्स को अगर तीसरे पक्ष को ट्रांसफर किया जाता है तो उसपर GST लागू नहीं होगा. यह फैसला ‘सयूग डाई केमाई बनाम भारत संघ’ केस में आया है, जो कंपनियों के लिए बड़ी राहत है.

18 प्रतिशत GST से उद्योगों पर आर्थिक बोझ

गुजरात और महाराष्ट्र में लीज ट्रांसफर पर 18 प्रतिशत GST के कारण लगभग 8000 करोड़ रुपये टैक्स देने का बोझ था. इस फैसले से न केवल कंपनियों को वित्तीय राहत मिली है बल्कि डबल टैक्सेशन के मुद्दे को भी संबोधित किया गया है.

फैसले के तहत यह तर्क दिया गया कि औद्योगिक भूमि के लीज ट्रांसफर को भूमि की बिक्री के रूप में देखा जाना चाहिए, जो GST के दायरे से बाहर है. पहले से ही स्टांप ड्यूटी के अधीन इन ट्रांसफर्स पर GST लगाना डबल टैक्सेशन का कारण बनता है, जिससे ट्रांजैक्शन आर्थिक रूप से अनुपयुक्त हो जाते हैं.

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बॉम्बे हाईकोर्ट में लंबित विवादों पर असर

यह फैसला न केवल गुजरात में बल्कि महाराष्ट्र और देशभर में लंबित विवादों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया है. बॉम्बे हाईकोर्ट में भी ऐसे कई मामले लंबित हैं, जहां GST के इस प्रावधान को चुनौती दी गई है.