‘ससुर’ पर क्यों भड़के विजय माल्या, क्या है ’95 फीसदी हेयरकट’ वाली शिवशंकरन डील?

भगोड़े कारोबारी विजय माल्या इन दिनों 'ससुर' पर भड़के हुए हैं. माल्या ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत बैंकों की तरफ से शिवा इंडस्ट्रीज के बैड लोन मामले में 95 फीसदी तक रकम 'हेयरकट' के नाम पर एडजस्ट करने का आरोप लगाया है. जानते हैं, क्या है शिवशंकरन डील और किसके ससुर पर क्यों भड़के हुए हैं विजय माल्या?

विजय माल्या का बड़ा दावा. Image Credit: Tv9

किंगफिशर बीयर और किंगफिशर एयरलाइन बनाने वाले कारोबारी विजय माल्या इन दिनों इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत बैड लोन के सैटलमेंट को लेकर भड़के हुए हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने एक अधिग्रहण के मामले में ‘95% हेयरकट’ का जिक्र किया है. माल्या का दावा है बैंकों ने उनसे जहां 6,203 करोड़ रुपये के कर्ज खिलाफ 14,000 करोड़ रुपये से ज्यादा वसूली की है. जबकि, बहुत से मामलों में 95 फीसदी तक रकम को हेयरकट के नाम पर छोड़ दिया गया है.

विजय माल्या ने क्या कहा?

माल्या ने विभिन्न कंपनियों के बैड कॉर्पोरेट लोन डाटा साझा किया. इसमें बताया गया है कि कैसे कंपनियों को 23 से 95 फीसदी तक हेयरकट दिया गया है. इसके साथ ही कहा गया है कि बैंकों ने उनसे कोर्ट के आदेश के नाम पर 6,203 करोड़ के बकाये की जगह 14,000 करोड़ से ज्यादा की वसूली की है.

इसके साथ ही IBC पर कटाक्ष करते हुए कहा एक अलग पोस्ट में, उन्होंने विशेष रूप से शिवा इंडस्ट्रीज के मामले का उल्लेख किया, जहां 95% हेयरकट दिया गया.

क्या होता है हेयरकट?

जब कोई बैंक ‘हेयरकट’ लेता है, तो इसका मतलब है कि वह किसी लोन के कुल बकाया की तुलना में कम रकम स्वीकार करता है. मिसाल के तौर पर अगर किसी ने बैंक से 10,00,00 रुपये लोन लिया. लेकिन, अब वह केवल 80,000 रुपये वापस देना चाहता है, बैंक इस प्रस्ताव को मान लेता है, तो कहा जाएगा बैंक ने 20% हेयरकट लिया है. बैंक ऐसा उन खातों के लिए करते हैं, जहां पूरी वसूली की संभावना कम होती है.

क्या है शिवशंकरन डील?

शिवशंकरन डील असल में शिवा इंडस्ट्रीज ग्रुप के बैड लोन के सैटलमेंट को कहा जाता है. शिवा ग्रुप को कॉफी चेन बरिस्ता और एयरसेल में निवेश के लिए जाना जाता है.

माल्या की तरफ से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक कंपनी पर अलग-अलग बैंकों का 4,800 करोड़ रुपये बकाया था. बैंकों की मांग पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल यानी NCLT ने कंपनी को नीलामी का आदेश दिया. हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने IBC के तहत मामले के सैटलमेंट को मंजूरी दी. इस सौदे के तहत कंपनी के फाउंडर शिवशंकरन के ससुर आरसीके वल्लाल ने कंपनी का 320 करोड़ रुपये में अधिग्रहण किया. इस तरह बैंकों ने इस मामले में करीब 95 फीसदी का हेयरकट स्वीकार किया.

कर्नाटक हाईकोर्ट से मांगी राहत

माल्या बार-बार दावा कर रहे हैं कि बैंकों ने उनसे 6,203 करोड़ के बकाया के खिलाफ 14,000 करोड़ रुपये से ज्यादा वसूल कर लिए हैं. इसे लेकर विजय माल्या ने कर्नाटक हाई कोर्ट से राहत मांगते हुए कहा है कि बैंकों की ऋण वसूली प्रक्रिया पर स्पष्टता की मांग की है. इसके साथ ही माल्या ने ED से भी कहा है कि उनसे दोगुनी रकम की वसूली को कानूनी तौर न्यायसंगत ठहराया जाए.

क्या है माल्या का दावा?

विजय माल्या ने इससे पहले एक पोस्ट में दावा किया है कि डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल यानी DRT की तरफ से माल्या से 6,203 करोड़ रुपये वसूली का आदेश दिया. इस आदेश के खिलाफ उनसे 14,131.8 करोड़ रुपये की रिकवरी की गई. इसके साथ ही माल्या ने कहा, अब में देखना चाहूंगा कि बैंक ब्रिटिश अदालत में इसे लेकर क्या जवाब देते हैं.

वहीं, इससे पहले माल्या ने एक और पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि “DRT ने 6]203 करोड़ रुपये कर्ज आंका है, जिसमें 1200 करोड़ रुपये का ब्याज भी शामिल है.

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