दुनिया के लिए खोला द्वार, भारत हुआ ग्लोबल, मनमोहन के इन सुधारों ने बदल दी आम आदमी की तकदीर

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का निधन हो गया है, डॉ सिंह न केवल एक राजनेता थे, बल्कि एक अर्थशास्त्री, शिक्षाविद और नौकरशाह भी थे. उनका जीवन भारत की अर्थव्यवस्था और गवर्नेंस के विकास का एक प्रेरणादायक अध्याय है, यह उनके योगदान को दर्शाता है जिसने देश के आर्थिक और प्रशासनिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

पूर्व प्रधानमंत्री के कार्यकाल में देश ने अद्भुत आर्थिक विकास और प्रगति देखी. Image Credit: Freepik/PTI

पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह का 26 दिसबंर, 2024 को 92 साल की उम्र में निधन हो गया है. डॉ सिंह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे, वे भारत के 14वें प्रधानमंत्री थे और उनके कार्यकाल में देश ने अद्भुत आर्थिक विकास और प्रगति देखी. उनके नेतृत्व में भारत लगभग 2 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था भी बना जो आज 3 लाख करोड़ डॉलर के आंकड़े को पार कर गई है. डॉ सिंह केवल प्रधानमंत्री ही नहीं वे वित्त मंत्री भी रहे और उन्होंने इस दौरान कई आर्थिक सुधार किए, चलिए इस पर एक नजर डालते हैं.

आर्थिक सुधारों के जनक

1991 में भारत गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था. राजकोषीय घाटा का 8.5% था और आर्थिक हालात खराब थे. भारत को सोना गिरवी रखना पड़ा था, डॉ मनमोहन सिंह उस समय वित्त मंत्री बने. पीवी नरसिम्हा राव उस समय प्रधानमंत्री थे. तब डॉ सिंह ने उदारीकरण यानी लिब्रलाइजेशन की नीति लागू की, जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजार के लिए खोला गया. इसका सबसे बड़ा असर “लाइसेंस राज” खत्म होने के रूप में हुआ.  

लाइसेंस राज, यह एक ऐसा सिस्टम था, जिसमें किसी भी बिजनेस को चलाने के लिए सरकार से कई प्रकार के लाइसेंस लेने पड़ते थे. डॉ सिंह ने इसे खत्म कर भारतीय इंडस्ट्री के लिए काम करना आसान बनाया.

वस्तु एवं सेवा कर यानी VAT  और सर्विस टैक्स लाए

डॉ सिंह की सरकार ने 2005 में वैट (VAT) टैक्स लागू किया था, जो पहले से मौजूद जटिल सेल्स टैक्स सिस्टम को बदलने के लिए लाया गया था. उन्होंने सर्विस टैक्स भी लागू किया, जिससे इंडस्ट्री पर टैक्स का बोझ कुछ कम हुआ और सरकार के रेवेन्यू में कमी नहीं आई.  

विशेष आर्थिक क्षेत्र – SEZ

डॉ सिंह के कार्यकाल के दौरान विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम 2006 में लागू किया गया, इसे स्पेशल इकोनॉमिक जोन कहा जाता है. इससे निर्यात बढ़ाने और निवेश को आकर्षित करने में मदद मिली. इसके जरिए देश में चीन जैसे इकोनॉमिक जोन की शुरूआत हुई. इसका फायदा बढ़ते निर्यात के रूप में दिखा.

मनरेगा जैसा कानून, जिससे मिली रोजगार गारंटी

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा को शुरू करने के पीछे भी डॉ सिंह का अबम योगदान था. यह ग्रामीण भारत के परिवारों को हर साल कम से कम 100 दिनों का काम देने की गारंटी देता है. यह योजना आज भी देश की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है और ग्रामीण बेरोजगारी कम करने में अहम भूमिका निभाती है.

सूचना का अधिकार – RTI

डॉ सिंह की कांग्रेस सरकार के दौरान ही सूचना का अधिकार अधिनियम यानी RTI एक्ट लागू हुआ, जिससे कोई भी भारतीय नागरिक सरकारी विभागों से जानकारी मांग सकता है. अगर यह जानकारी नागरिक की सुरक्षा या जीवन से जुड़ी हो, तो इसे 48 घंटे के अंदर उपलब्ध कराना होता है.

भारत-अमेरिका सिविल परमाणु समझौता

डॉ सिंह के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के बीच एक ऐतिहासिक परमाणु समझौता हुआ.   इसे 123 समझौता या 123 एग्रीमेंट कहा जाता है. इस समझौते के तहत भारत को अमेरिका से सिविल न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी और फ्यूल मिला. यह इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि भारत ने “परमाणु अप्रसार संधि” (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किए थे. इससे भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत हुई, इंडो-यूएस परमाणु समझौता उनके कार्यकाल की एक बड़ी उपलब्धि थी.