Modi Govt की नई रणनीति, बीमारू कंपनियों को 12,900 करोड़ निवेश का इंजेक्शन

Modi Govt ने बीमारू सरकारी कंपनियों के लिए नई रणनीति बनाई है. अब इन कंपनियों के निजीकरण के बजाय सरकार इन्हें निवेश का इंजेक्शन देकर तंदरुस्त बनाने में जुटी है. सरकार अब तक इन कंपनियों से पीछा छुड़ाना चाह रही थी. लेकिन, लगातार विपक्ष की आलोचना और सही वैल्युएशन पर खरीदार नहीं मिलने के चलते सरकार ने नई रणनीति बनाई है.

सरकारी कंपनियों को सरकार अब राजस्व के नए स्रोत के तौर पर विकसित करेगी. Image Credit: freepik

PM Modi कई बार कह चुके हैं कि सरकार का काम व्यापार करना नहीं है. उनकी इसी फिलोसफी के चलते सरकार ने ऐसी दर्जनों सरकारी कंपनियों के प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया शुरू की थी, जो लगातार अंडर परफॉर्मर रही हैं. लेकिन, विपक्ष की तरफ से लगातार आलोचना और सही वैल्युएशन पर खरीदार नहीं मिलने की वजह से सरकार ने अब रणनीति बदल दी है.

अब सरकार ने मन बना लिया है कि बीमारू कंपनियेां की सेहद सुधारी जाएगी और उन्हें कमाऊ पूत बनाया जाएगा. इस तरह ये कंपनियां सरकार के लिए आय का नया जरिया बनेंगी. इन बीमार कंपनियों की सेहत सुधारने के लिए सरकार ने इन्हें निवेश का इंजेक्शन देने का फैसला किया है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार बीमारू सरकारी कंपनियों को रिवाइव करने के लिए उनमें अरबों रुपये के निवेश का प्लान बना रही है.

जनवरी में 12 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश

जनवरी 2025 में अब तक केंद्र सरकार दो सरकारी कंपनियों में 12 हजार करोड़ से ज्यादा के निवेश की योजना बना चुकी है. ये दोनों ऐसी कंपनियां हैं, पहले सरकार इनका निजीकरण चाहती थी, लेकिन उचित वैल्युएशन पर कोई खरीदार नहीं मिलने पर अब सरकार इन कंपनियों में 150 करोड़ डॉलर (12,900 करोड़ रुपये) का निवेश करने जा रही है.

निजीकरण का रास्ता छोड़ेगी सरकार

रॉयटर्स की रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अलग-अलग मंत्रालयों के विरोध के बाद 9 सरकारी स्वामित्व वाली इकाइयों (PSU) के निजीकरण की योजना को स्थगित करने का भी फैसला किया है. रॉयटर्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उन्हें मिले एक दस्तावेज में निजीकरण के लिए कंपनियों की पहचान करने के लिए गठित एक सरकारी पैनल की विस्तृत सिफारिशें हैं.

अब नहीं बिकेंगी ये 9 कंपनियां

रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी पैनल की तरफ जिन 9 कंपनियों को निजीकरण के लिए चुना गया था, उनमें मद्रास फर्टिलाइजर्स, फर्टिलाइजर्स क्रोप ऑफ इंडिया, MMTC, HUDCO और NBCC शामिल हैं. अब इन कंपनियों के लिए सरकार की तरफ से निजीकरण के प्रयास नहीं किए जाएंगे.

इन कंपनियों में सरकार ने किया निवेश

सरकार की तरफ से जिन कंपनियों को फंडिंग के जरिये रिवाइव करने का प्रयास किया जा रहा है. उनमें पहला नाम हेलीकॉप्टर ऑपरेटर पवन हंस है. रॉयटर्स की रिपोर्ट में दो सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि कंपनी को बेचने के चार असफल प्रयासों के बाद सरकार अब पवन हंस में लगभग 23 से 35 करोड़ डॉल का निवेश करने की तैयारी में है, ताकि इसके पुराने हेलीकॉप्टर बेड़े को आधुनिक बनाया जा सके.

RINL में 130 करोड़ डॉलर का निवेश

पिछले सप्ताह ही केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (RINL) में 130 करोड़ डॉलर निवेश का ऐलान किया है. वहीं, इससे पहले सरकार सरकारी टेलीकॉम कंपनी MTNL के लिए 80 अरब रुपये देने का ऐलान कर चुकी है.

सिर्फ तीन कंपनियां बेच पाई मोदी सरकार

2021 में मोदी सरकार ने व्यापक निजीकरण नीति का ऐलान किया. लेकिन, इसके बाद 4 साल बीत चुके हैं और अब तक सिर्फ तीन कंपनियां ही बेची जा सकी हैं. इनमें एयर इंडिया को टाटा समूह ने खरीदा है. वहीं, नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड को टाटा स्टील ने खरीदा और फेरो स्क्रैप निगम को जापानी कंपनी कोनोइके ट्रांसपोर्ट कंपनी ने खरीदा है.