ये शख्स ना होता तो भारत को नहीं मिल पाती वाइन कैपिटल, जानें कहां है वो शहर
शौकीन लोग वाइन के लिए पहले फ्रांस, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के ब्रांड को चुनते रहे हैं. लेकिन अब महाराष्ट्र का ये शहर वाइन हब बन चुका है जो दुनिया को अपनी वाइन एक्सपोर्ट करता है.
महाराष्ट्र के नासिक की जब बात होती है तब सबसे पहले आपको ख्याल आएगा प्रसिद्ध कुंभ मेले का, गोदावरी किनारे पर होने वाली भव्य आरती का और वहां से 30 किमी दूर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का. लेकिन नासिक की पहचान केवल यही नहीं है. नासिक अब भारत की वाइन कैपिटल बन चुका है. देश की बड़े-बड़े वाइनयार्ड यहां पर हैं, वाइन टूरिजम भी है. लेकिन नासिक वाइन इंडस्ट्री का केंद्र कैसे बना? यहां का सबसे बड़ा वाइनयार्ड कौन सा है? चलिए इस बारे में सब कुछ जानते हैं.
शौकीन लोग वाइन के लिए पहले फ्रांस, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के ब्रांड को चुनते रहे हैं. लेकिन अब नासिक भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है. यह शहर अब एक बड़ा वाइन हब बन चुका है.
नासिक कैसे बना वाइन कैपिटल?
क्लाइमेट कंडिशन एक ऐसा शब्द है जो खेती से जुड़ी कई चीजों की पुष्टी करने में काम आता है. वाइन बनती है अंगूर से और अंगूर के लिए नासिक का क्लाइमेट बेस्ट है. 700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह क्षेत्र सर्दियों में तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण अंगूरों की शुगर और एसिडिटी को बैलेंस रखने में मदद करता है. यहां की मिट्टी भी खास है जिसमें रेड लैटराइट होता है, इस मिट्टी में आयरन और एलुमिनियम की मात्रा ज्यादा होती है जो अंगूर की पैदावार के लिए बेहतरीन है. साथ ही, पानी की अच्छी उपलब्धता भी अंगूर की खेती को सपोर्ट करती है.
नासिक की पहली वाइनरी
साल 1999 में राजीव सामंत ने सुला वाइनयार्ड्स की शुरुआत की. कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वैली में कुछ साल बिताने के बाद उन्होंने नासिक में बिजनेस अवसर तलाशा और यहां वाइनरी खोलने का फैसला लिया. सुला आज भारत की सबसे बड़ी वाइनरी है, जो हर साल लगभग 10 लाख केस वाइन का प्रोडक्शन करती है. एक केस में लगभग 9 लीटर वाइन होती है.
घूमने भी जा सकते हैं सुला वाइनयार्ड्स
सुला वाइनयार्ड्स नासिक के बाहरी इलाके में स्थित है, जहां हर साल लगभग 4 लाख से ज्यादा लोग घूमने और वाइन चखने आते हैं. अगर आप इस वाइनयार्ड का टूर लेना चाहते हैं और इस दौरान वाइन चखने का मजा लेना चाहते हैं तो इसकी एंट्री फीस 600 रुपये है, वीकेंड पर हर जगह टिकट महंगा होता है, यहां पर 1000 रुपये का होगा. इसके अंदर दो रेस्टोरेंट भी हैं – रासा और लिटिल इटली – जो नॉर्थ इंडियन और इटैलियन खाने के लिए प्रसिद्ध हैं.
सुला वाइनयार्ड्स के टैंक की बात करें तो इनकी क्षमता 500 लीटर से 80,000 लीटर तक है. यहां वाइन को फ्रेंच और अमेरिकन ओक बैरल में फरमंट (फरमंटेशन) किया जाता है. इन बैरल्स से वाइन के टैनिन्स नरम होते हैं और स्वाद में गहराई आती है.
सुला तो काफी फेमस वाइनयार्ड है लेकिन नासिक में करीब 52 वाइनरी और हैं, जो 8000 एकड़ जमीन पर फैली हैं. पूरे क्षेत्र में अंगूर की बागवानी लगभग 18,000 एकड़ में होती है. सुला के अलावा यहां सोमा वाइन विलेज, यॉर्क वाइनरी एंड टेस्टिंह रूम जैसी कई बड़े वाइनयार्ड हैं.
दुनिया में बिकती है भारत की वाइन
सुला वाइनयार्ड्स ने भारतीय वाइन को दुनिया के 27 देशों में पहुंचाया है. भारत में वाइन की खपत ज्यादा नहीं प्रति व्यक्ति केवल 0.013 लीटर सालाना है, जो यूरोप के 40 लीटर प्रति व्यक्ति से काफी ज्यादा कम है.
सुला वाइनयार्ड्स ने वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही का नेट रेवेन्यू 141.8 करोड़ रहा, जो साल-दर-साल 143.7 करोड़ से 1.3 फीसदी कम है. वाइन टूरिजम सेगमेंट ने दूसरी तिमाही में रिकॉर्ड रेवेन्यू दर्ज किया जो पिछले साल के 12.1 करोड़ से 1.3% बढ़कर 12.2 करोड़ हो गया.
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भारत के प्रीमियम वाइन सेगमेंट में सुला का 65 फीसदी मार्केट शेयर है.
NSE पर वाइनयार्ड्स के शेयर में एक दिन पहले 0.73 फीसदी का उछाल आया और यह 394.5 रुपये पर कारोबार कर रहा है. पिछले एक साल में सुला का शेयर 19 फीसदी गिरा और पिछले पांच साल में 10 फीसदी का रिटर्न दे चुका है.