Hero Electric पर 500 करोड़ का बकाया नहीं चुकाने का आरोप, NCLT ने दिवालिया याचिका स्वीकार की
मेट्रो टायर्स की याचिका के बाद हीरो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स ने दिवालियापन समाधान प्रक्रिया में प्रवेश किया है. आवेदन में 1.85 करोड़ रुपये का बकाया होने का दावा किया गया है. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने भूपेश गुप्ता को अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया है.
Hero Electric: नई दिल्ली की एक NCLT ने हीरो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को कॉर्पोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया में शामिल करने के आवेदन को स्वीकार कर लिया है. आवेदन इलेक्ट्रिक व्हीकल्स ऑपरेशनल क्रेडिटर (ऋणदाता) मेट्रो टायर्स ने दाखिल किया था. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने ईवी मैन्युफैक्चरर के लिए भूपेश गुप्ता को अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया है.
क्यों स्वीकार की गई याचिका?
ज्यूडिशियल मेंबर बच्चू वेंकट बलराम दास और तकनीकी सदस्य अतुल चतुर्वेदी की बेंच ने कहा कि हमारा मानना है कि कॉरपोरेट देनदार (हीरो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) पक्षों के बीच ‘विवाद’ के पहले से मौजूद होने के बारे में कोई उचित तर्क नहीं दे पाया है. पीठ ने 20 दिसंबर के अपने आदेश में कहा कि इसलिए आईबीसी 2016 की धारा 9 के तहत दायर मौजूदा याचिका को स्वीकार किया जाना चाहिए.
सब्सिडी में गड़बड़ी का आरोप
इस मामले में नई दिल्ली बेस्ड मेट्रो टायर्स हीरो इलेक्ट्रिक को टायर और ट्यूब की सप्लाई करने वाली कंपनी थी. हीरो इलेक्ट्रिक तब से विवादों में घिरी हुई है, जब से कंपनी पर आरोप लगे हैं कि उसने सरकार की प्रमुख प्रोत्साहन योजना FAME II (इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग और अपनाने में तेजी) के तहत तय स्थानीयकरण नॉर्म्स को पूरा किए बिना गलत तरीके से सब्सिडी का दावा किया है.
ऑफिस परिसर सील
हेवी इंडस्ट्री मंत्रालय ने हीरो इलेक्ट्रिक को दावा की गई सब्सिडी ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया था. अधिकारियों के साथ समझौता बातचीत अभी तक कोई परिणाम दिखाने में विफल रही है. पिछले महीने, गंभीर धोखाधड़ी जांच ऑफिस ने FAME-II EV सब्सिडी मानदंडों के उल्लंघन पर गुरुग्राम में हीरो इलेक्ट्रिक के कार्यालय परिसर को सील कर दिया था.
FAME-II केंद्र की EV सब्सिडी योजना थी, जिसके तहत उपभोक्ता सब्सिडी वाली कीमतों पर EV खरीद सकते थे और निर्माता सरकार से सब्सिडी राशि मांग सकते थे. हालांकि, कंपनियां सरकार से सब्सिडी राशि तभी मांग सकती हैं जब वे योजना के स्थानीयकरण नियमों का पालन करती हों.
500 करोड़ का बकाया
हीरो इलेक्ट्रिक की मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी एक साल से अधिक समय से बंद है. ईटी के अनुसार, डीलरों ने दावा किया है कि कंपनी ने 400-500 करोड़ का बकाया नहीं चुकाया है. मेट्रो टायर्स ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि हीरो इलेक्ट्रिक द्वारा लगभग 1.85 करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने के बाद उसने ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया था.