संजय मल्होत्रा बने RBI के नए गवर्नर, महंगाई कम करना और GDP रिवाइवल पहली चुनौती
Sanjay Malhotra भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं और वह वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव पद पर कार्यरत हैं. मल्होत्रा की नियुक्ति से पहले पूर्व आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास भी वित्त मंत्रालय में सचिव थे. और वह भी एक IAS अधिकारी रह चुके है. ऐसे में लगातार दूसरी बार ऐसा होगा कि आरबीआई गवर्नर एक आईएएस अधिकारी चुना गया है.

सरकार ने शक्तिकांत दास की जगह संजय मल्होत्रा को Reserve Bank of India का गवर्नर नियुक्त कर दिया है. वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा देश के 26 वें गवर्नर होंगे. वह 11 दिसंबर को रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्यभार संभालेंगे. मल्होत्रा का कार्यकाल तीन साल के लिए होगा. शक्तिकांत दास ऐसे समय में रिजर्व बैंक गवर्नर के पद से विदा हो रहे हैं, जब भारतीय इकोनॉमी के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं. ऐसे में संजय मल्होत्रा के सामने महंगाई को कम करना और GDP में रिवाइवल की अहम चुनौती होगी. जिससे कि आम आदमी, मिडिल क्लास, छोटे कारोबारी को राहत मिल सके.
कौन हैं संजय मल्होत्रा?
संजय मल्होत्रा राजस्थान कैडर के 1990 बैच के IAS अधिकारी हैं. वह शक्तिकांत दास की जगह लेंगे, दास का कार्यकाल मंगलवार, 10 दिसंबर 2024 को खत्म हो रहा है. संजय मल्होत्रा देश के 26वें रिजर्व बैंक गवर्नर होंगे.उन्होंने IIT कानपुर से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. इसके अलावा, उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, अमेरिका से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स किया है.
33 वर्षों के करियर में उन्होंने कई क्षेत्रों में काम किया है, जैसे पावर, फाइनेंस और टैक्सेशन, आईटी, माइनिंग, आदि. फिलहाल, वह राजस्व सचिव (Revenue Secretary) के रूप में वित्त मंत्रालय में कार्यरत हैं. इससे पहले, उन्होंने वित्तीय सेवा विभाग के सचिव का पद संभाला था.
संजय मल्होत्रा को राज्य और केंद्र सरकार दोनों स्तरों पर फाइनेंस और टैक्सेशन का गहरा अनुभव है. अभी वह डायरेक्ट और इंडायरेक्ट टैक्स पॉलिसी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
महंगाई और गिरती विकास दर बड़ी चुनौती
शक्तिकांत दास के कार्यकाल के दौरान महंगाई सबसे बड़ी चुनौती रही, लेकिन अभी भी ये चुनौती खत्म नहीं हुई है. संजय मल्होत्रा के कार्यभार संभालने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती महंगाई और गिरती विकास दर रहेगी. पिछले कई सालों से महंगाई लगातार बढ़ रही है. अक्टूबर में रिजर्व बैंक के 6 फीसदी के टारगेट से भी बाहर निकल गई है. इस दौरान रिटेल महंगाई दर 6.21 फीसदी रही थी. और इसका असर मौद्रिक नीति पर भी दिखा है.
शक्तिकांत दास ने हाल में हुई MPC बैठक में इस बात को दोहराया था कि रिजर्व बैंक का काम देश में महंगाई को कंट्रोल करने का है. और वह सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. दरअसल इस महंगाई में सबसे बड़ा योगदान खाने-पीने की चीजों का है. इसीलिए दिसंबर में पेश मौद्रिक नीति में आरबीआई ने लगातार 11 वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया. हालांकि आरबीआई ने नकदी बढ़ाने के लिए सीआरआर में 0.50 फीसदी की कटौती थी. ऐसे में अब संजय मल्होत्रा के सामने आम आदमी, मिडिल क्लास, एमएसएमई को खास तौर पर महंगाई से जल्द से जल्द राहत देने की चुनौती होगी.
GDP की चिंता: नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के सामने गिरती हुई विकास दर भी बड़ी चुनौती होगी. हाल में आए जीडीपी के आंकड़े भी निराशाजनक रहे. जीडीपी 5.4 फीसदी रही जो पिछले 7 तिमाही का सबसे निचला स्तर है. इसे देखते हुए नए गवर्नर को महंगाई और ग्रोथ के बीच सामंजस्य भी बनाना होगा. जिसे इकोनॉमी का पहिया तेज रफ्तार पकड़ सके.
इसके अलावा अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से टैरिफ को लेकर संभावित चुनौती से भी इन्हें निपटना होगा. दुनियाभर में अनिश्चितता भी बनी हुई है. हाल में सीरिया में जारी गृहयुद्ध, रूस-यूक्रेन जंग और वेस्ट एशिया का संघर्ष नई नई चुनौती पैदा कर रहा है. इन सब से संजय मल्होत्रा कैसे निपटेंगे ये देखने वाली बात होगी.
फिर IAS बने पसंद
संजय मल्होत्रा भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं और वह वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव पद पर कार्यरत हैं. मल्होत्रा की नियुक्ति से पहले पूर्व आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास भी वित्त मंत्रालय में सचिव थे. और वह भी एक IAS अधिकारी रह चुके है. ऐसे में लगातार दूसरी बार ऐसा होगा कि आरबीआई गवर्नर एक आईएएस अधिकारी चुना गया है. हालांकि जब साल 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार ने सत्ता संभाली थी, तो उस रघुराम राजन आरबीआई गवर्नर थे, और वह एक अर्थशास्त्री हैं. इसी तरह उनके बाद मोदी सरकार ने अर्थशास्त्री उर्जित पटेल को आरबीआई गवर्नर बनाया था.लेकिन उसके बाद दोनों गवर्नर आईएएस अधिकारी रहे हैं.
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