यूपी में अब आम, अमरूद, जामुन से भी बनेगी शराब, वाइनरी पर्यटन की भी तैयारी

यूपी में नई आबकारी नीति का उद्देश्य शराब की बिक्री के लिए 'समग्र दुकानें' खोलने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने के लिए स्थानीय फलों से शराब बनाने की योजना लागू करना है. इससे स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा और राज्य-आधारित वाइनरी को स्थानीय फलों से बने उत्पाद बेचने में बढ़ोतरी होगी.

यूपी में फलों से बनेगी शराब Image Credit: gettyimage

UP New Excise Policy: उत्तर प्रदेश सरकार ने शराब उत्पादन बढ़ाने और राजस्व में इजाफा करने के लिए नई आबकारी नीति लागू की है. इस नीति के तहत राज्य में शराब बिक्री के लिए ‘संयुक्त दुकानें’ खोली जाएंगी, साथ ही किसानों की आय बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा. नई नीति के तहत यूपी के स्थानीय फलों से शराब बनाने को प्रोत्साहित किया जाएगा. इनमें मलीहाबाद का आम, इलाहाबादी अमरूद और जामुन जैसे प्रसिद्ध फल शामिल हैं. पहले भी कुछ हद तक फलों से शराब बनाई जाती थी, लेकिन अब सरकार इसे बड़े पैमाने पर बढ़ावा देगी.

क्यों बढ़ेगा स्थानीय उत्पादन?

राज्य के आबकारी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार इन फलों से शराब बनाने को प्रोत्साहित करेगी. आमतौर पर बड़ी डिस्टिलरी लगाने में 500-600 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, जबकि फलों से शराब बनाने के लिए केवल 80-90 करोड़ रुपये की जरूरत होती है. ऐसे में स्थानीय फलों से शराब बनाने से लागत कम होगी.

नई आबकारी नीति को लेकर एक वरिष्ठ अधिकारी ने हिंदुस्नतान टाइम्स को बताया कि, शराब बनाने वाली कंपनियों और वाइनरी के लिए विशेष पर्यटन निर्देश तैयार किए जा रहे हैं. 21 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों को इन पर्यटन गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति होगी. खास बात यह है कि यदि वाइनरी द्वारा उपयोग किए गए फल उत्तर प्रदेश में उगाए जाते हैं और शराब भी राज्य में ही बनाई जाती है, तो आबकारी शुल्क माफ कर दिया जाएगा.

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उन्होंने बताया कि पर्यटन को बढ़ावा देने और किसानों की मदद करने के लिए सरकार ने आबकारी नीति को पर्यटन नीति के साथ जोड़ा है. इसके ब्रुअरीज को अपने परिसर में दुकान खोलने और शराब चखने की अनुमति दी गई है, लेकिन बार खोलने की अनुमति नहीं दी गई है.

मलीहाबाद में बनेगी आम की वाइन

मलीहाबाद के आम उत्पादकों को नई नीति से बड़ा लाभ मिलेगा. यहां जल्द ही एक वाइनरी स्थापित की जा रही है, जहां आम और अन्य फलों से शराब बनाई जाएगी. अधिकारी ने बताया कि इस नीति के तहत मुजफ्फरनगर और बरेली में दो फैक्ट्रियां स्थापित की जा रही हैं, जो अमरूद और आम जैसे फलों से शराब बनाएंगी. इसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाने और स्थानीय उद्यमिता को प्रोत्साहित करना है.

स्थानीय फलों से शराब बनाने के फायदे

गन्ने से शराब बनाने की तुलना में फलों से शराब बनाना सस्ता और आसान होगा.
किसानों को अपने फलों के बेहतर दाम मिलेंगे.
लोकल स्तर पर वाइनरी और डिस्टिलरी खुलने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.

मुजफ्फरनगर और बरेली में खुलेंगी फैक्ट्रियां

अधिकारी ने बताया कि राज्य में शराब उत्पादन के लिए दो नई फैक्ट्रियां स्थापित की जा रही हैं. इनमें से एक मुजफ्फरनगर में और दूसरी बरेली में होगी. ये फैक्ट्रियां अमरूद और आम जैसे स्थानीय फलों से शराब तैयार करेंगी. इसके बाद इन उत्पादों को हर जिले में खुलने वाली विशेष दुकानों में बेचा जाएगा.