ओला की बढ़ी मुश्किलें, हाईकोर्ट से झटके बाद अब CCPA ने थमाया तीसरा नोटिस

इस हफ्ते कर्नाटक हाईकोर्ट ने CCPA द्वारा जारी किए गए नोटिस को रद्द करने के लिए ओला इलेक्ट्रिक की याचिका को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति आर देवदास ने फैसला सुनाया कि नोटिस एक सक्षम जांच अधिकारी द्वारा जारी किया गया था और ओला इलेक्ट्रिक अनुरोधित दस्तावेज प्रदान करने के लिए बाध्य है.

ओला इलेक्ट्रिक को फिर मिला नोटिस. Image Credit: Getty image

इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनी ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने कंपनी को तीसरा नोटिस थमाया है. इसकी जानकारी ओला ने खुद शुक्रवार को दी. इसने कहा है कि नोटिस में 10,000 से अधिक उपभोक्ता शिकायतों की जांच से जुड़ी अतिरिक्त जानकारी मांगी गई है. वहीं, बीते दिनों हाईकोर्ट ने भी CCPA द्वारा जारी किए गए नोटिस को रद्द करने के लिए ओला इलेक्ट्रिक की याचिका को खारिज कर दिया.

ओला इलेक्ट्रिक ने एक्सचेंजों को बताया कि CCPA ने दिसंबर के आदेश के संबंध में ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी से अतिरिक्त जानकारी मांगी है. उसने कहा कि कंपनी को तीसरा नोटिस 10 जनवरी, 2025 को ईमेल के माध्यम से मिला. इससे पहले ओला को सर्विस में कमियों और उपभोक्ता अधिकारों के कथित उल्लंघन की चल रही जांच के हिस्से के रूप में अक्टूबर और दिसंबर 2024 में CCPA की तरफ से नोटिस मिल चुका है.

याचिका को खारिज कर दिया

वहीं, इस हफ्ते कर्नाटक हाईकोर्ट ने CCPA द्वारा जारी किए गए नोटिस को रद्द करने के लिए ओला इलेक्ट्रिक की याचिका को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति आर देवदास ने फैसला सुनाया कि नोटिस एक सक्षम जांच अधिकारी द्वारा जारी किया गया था और ओला इलेक्ट्रिक अनुरोधित दस्तावेज प्रदान करने के लिए बाध्य है.

ये भी पढ़े- Budget 2025: किसानों को मिलेगी बड़ी सौगात, KCC पर सरकार कर रही है बड़ी तैयारी!

हेल्पलाइन पर दर्ज 10,466 शिकायतें

अदालत ने कहा कि इस मोड़ पर, इस तरह का संचार जारी करना जांच अधिकारी के अधिकार में है. वहीं, याचिकाकर्ता मांगे गए अतिरिक्त दस्तावेज और रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के लिए बाध्य है. यह जांच जुलाई 2023 और अगस्त 2024 के बीच राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर दर्ज 10,466 शिकायतों से उपजी है.

सीसीपीए ने इन शिकायतों की प्रारंभिक जांच की थी और उपभोक्ता अधिकारों, भ्रामक विज्ञापनों और सेवा कमियों से संबंधित उल्लंघन पाया था. इसके बाद, सीसीपीए ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 19(1) के अनुसार अपने जांच महानिदेशक को जांच शुरू करने का निर्देश दिया. ओला इलेक्ट्रिक ने तर्क दिया कि नोटिस जारी करने वाला अधिकारी अधिनियम के तहत अधिकृत नहीं था, क्योंकि उसे निदेशक या अतिरिक्त निदेशक के रूप में नामित नहीं किया गया था.

कानूनी रूप से अधिकृत किया

हालांकि, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वरिष्ठ निदेशक के पद पर आसीन अधिकारी को महानिदेशक द्वारा जांच करने के लिए कानूनी रूप से अधिकृत किया गया था. इसने यह भी उल्लेख किया कि अधिनियम केंद्रीय प्राधिकरण को प्रथम दृष्टया मामला होने पर जांच का आदेश देने की अनुमति देता है, भले ही ऐसा कोई औपचारिक आदेश न हो. न्यायालय ने ओला के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता उदय होला द्वारा उठाई गई चिंताओं को संबोधित किया, कि यदि जांच की खबर सार्वजनिक हो गई तो दस्तावेज जमा करने से कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है.

ये भी पढ़ें- इन बागान में मिलती हैं देश की सबसे बेहतरीन चाय, इस ब्लैक टी का पूरी दुनिया में बजता है डंका

इसे खारिज करते हुए, न्यायालय ने CCPA का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अरविंद कामथ से एक आश्वासन दर्ज किया कि मामले के संबंध में जांच प्राधिकरण या CCPA द्वारा कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया जाएगा. CCPA की जांच का उद्देश्य ओला की सेवा की शर्तों, शिकायत निवारण तंत्र, सेवा केंद्र मानकों और बुनियादी ढांचे की जांच करना है.

6 हफ्तें में जमा करें दस्तावेज

न्यायालय ने ओला इलेक्ट्रिक को छह सप्ताह के भीतर आवश्यक दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया, यह पुष्टि करते हुए कि जांच वैध है और उपभोक्ता शिकायतों को दूर करने के लिए आवश्यक है. इसने निष्कर्ष निकाला कि चूंकि प्रथम दृष्टया निष्कर्ष दर्ज किया गया है और एक अधिकारी को जांच सौंपी गई है. अधिकारी ने याचिकाकर्ता के खिलाफ शिकायतों पर विचार करने के लिए दस्तावेज मांगे हैं. इसलिए इसमें कोई गलती नहीं की जा सकती है.