जीता भारत, कंगाल हुआ पाक; अब से 100 बार सोचेगा मेजबानी नहीं है बच्चों का खेल

आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 खत्म हो गई, लेकिन इसके पीछे की कहानियां अभी सामने आ रही हैं. भारत के हर गली चौराहे पर जश्न का माहौल रहा लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान उदास दिखा. पाकिस्तान ने टूर्नामेंट की मेजबानी के लिए करोड़ों खर्च किए, फिर भी नतीजे चौंकाने वाले रहे. आर्टिकल में पढ़ें आखिर ऐसा क्या हुआ जिससे PCB को झटका लगा?

1200 करोड़ के फेर में फंस गया पाकिस्तान! Image Credit: Money9 Live

Pakistan’s ICC Champions 2025 Trophy Disaster: रविवार, 9 मार्च को आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ शानदार जीत दर्ज की और ट्रॉफी पर कब्जा जमाया. पूरे भारत में जश्न का माहौल था, हर गली-चौराहे पर खुशी की लहर दौड़ पड़ी. BCCI के अधिकारी अपनी टीम की सफलता पर गर्व महसूस कर रहे थे, लेकिन इस बीच पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) में एक अलग ही माहौल था. वहां सन्नाटा पसरा हुआ था, निराशा थी और बड़े सवाल थे. यह सन्नाटा सिर्फ इस बात का नहीं था कि पाकिस्तान की टीम फाइनल में नहीं खेल पाई बल्कि इस बात का भी था कि लाखों-करोड़ों की लागत से मेजबानी करने के बावजूद टूर्नामेंट पाकिस्तान के लिए घाटे का सौदा साबित हुआ. स्टेडियम अपग्रेड से लेकर सुरक्षा इंतजाम तक, PCB ने बड़ी उम्मीदों से इस टूर्नामेंट की मेजबानी की थी लेकिन टूर्नामेंट के नतीजे ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया.

अरबों खर्च, लेकिन नतीजा सिफर

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इस टूर्नामेंट के लिए करीब 12.8 अरब पाकिस्तानी रुपए केवल स्टेडियमों के नवीनीकरण पर खर्च किए, जिनमें कराची का नेशनल बैंक स्टेडियम, लाहौर का गद्दाफी स्टेडियम और रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम शामिल थे. पहले अनुमान था कि पूरे टूर्नामेंट पर 8 अरब पाकिस्तानी रुपए खर्च होंगे लेकिन आखिरी समय में सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं पर भारी खर्च के वजह से यह लागत और बढ़ गई. PCB को इस टूर्नामेंट से ICC के माध्यम से करीब USD 70 मिलियन (लगभग PKR 195 करोड़) मिलने थे लेकिन अनियोजित खर्चों के वजह अटक गया.

खाली स्टेडियम और दर्शकों की बेरुखी

इतने भारी-भरकम निवेश के बावजूद टूर्नामेंट को दर्शकों की वह प्रतिक्रिया नहीं मिली, जिसकी PCB को उम्मीद थी. खासकर पाकिस्तान के मैचों में स्टेडियम खाली नजर आए. पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच कराची में हुए शुरुआती मुकाबले में ही सीटों का खाली रहना एक चौंकाने वाला नजारा था. सुरक्षा चिंताओं, महंगे टिकट, कमजोर प्रचार और टीम के खराब प्रदर्शन ने क्रिकेट प्रेमियों की रुचि को खत्म कर दिया. खास तौर से पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच कराची में खेले गए मुकाबले में स्थानीय दर्शकों की उम्मीद थी लेकिन स्टेडियम के खाली हिस्सों ने पाकिस्तान के घाटे में और घी डाल दिया.

मेजबानी करने के अलावा पाकिस्तान के लिए यह टूर्नामेंट एक और झटका साबित हुआ क्योंकि उनकी टीम का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा. बतौर डिफेंडिंग चैंपियन, मोहम्मद रिजवान की कप्तानी वाली टीम से अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद थी लेकिन वे किसी भी बड़े मैच में अपनी छाप नहीं छोड़ सके. पाकिस्तान टीम ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गई जिससे स्थानीय दर्शकों की रुचि और कम हो गई.

चैंपियन ट्रॉफी होस्ट करने का फैसला कितना सही?

पहले से ही आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे PCB के लिए यह टूर्नामेंट वित्तीय संकट को और गहरा कर गया. विओन के रिपोर्ट्स के मुताबिक, PCB चेयरमैन मोहित नकवी को भारत-पाकिस्तान मैच के लिए अपने VIP टिकट (PKR 3.5 करोड़ मूल्य का) तक बेचना पड़ा, ताकि कुछ फंड इकट्ठा किया जा सके. भारत के पाकिस्तान दौरे से इनकार करने के कारण पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को पहले ही 156 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका था. फिर, टिकटों की कम बिक्री से उम्मीद जितना फंड न मिलना और और स्टेडियमों के रेनोवेशन पर भारी खर्च ने बोर्ड के आर्थिक स्थिति पर और प्रहार कर उसे पहले से ज्यादा खराब कर दिया. उसके अलावा, रोहित टीम के साथ फाइनल दुबई में खेले जाने से पीसीबी को 39 करोड़ का नुकसान हुआ. बारिश ने भी नुकसान दिलानें में अपना रोल निभाया. टूर्नामेंट के ग्रुप स्टेज के 3 मैच बारिश की भेंट चढ़ गए, जिसमें 2 बेनतीजा रहे और 1 मैच पूरा नहीं हो पाया था. ऐसे में पीसीबी को दो टिकट का रिफंड देना पड़ा.

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ऐसे में, सवाल यह है कि 29 साल बाद चैंपियंस ट्रॉफी होस्ट करने का फैसला, क्या पाकिस्तान के लिए फायदेमंद रहा तो जवाब नकारात्मक दिख रहा है. भारी निवेश, कम दर्शक, खराब प्रदर्शन और आर्थिक संकट – यह टूर्नामेंट पाकिस्तान क्रिकेट के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था. एक ओर भारत अपनी जीत का जश्न मना रहा था, वहीं पाकिस्तान की हार सिर्फ मैदान पर ही नहीं बल्कि बोर्डरूम और स्टेडियम की खाली सीटों में भी दिख रही थी.