पशुपालकों के लिए बड़ी खबर, संसदीय समिति ने किसानों के हित में पेश किया रिपोर्ट; क्या अब मिलेंगे दूध के ज्यादा दाम
संसदीय समिति ने दूध की कीमतों में धीमी बढ़ोतरी और मिलावट पर चिंता जताई. 2014 में दूध की औसत कीमत 30 रुपये थी, जो दिसंबर 2024 तक 45.98 रुपये लीटर हो गई. समिति ने मूल्य निर्धारण तंत्र की समीक्षा और किसानों को उचित मूल्य दिलाने की सिफारिश की है. सहकारी समितियां खुदरा मूल्य का 70-80 फीसदी किसानों को भुगतान करती हैं. मिलावट रोकने के लिए कानूनों को कड़ाई से लागू करने और शुद्धता जांच उपकरण विकसित करने की सलाह दी.

Milk price and inflation: देश में दूध की कीमतों में बढ़ोतरी फूड इन्फ्लेशन की औसत दर से कम है. यह जानकारी संसदीय समिति ने दी है. उसने सरकार से दूध खरीद एजेंसियों के प्राइसिंग मैकेनिज्म की समीक्षा करने को कहा है, ताकि किसानों को बेहतर लाभ मिल सके. कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर स्थायी समिति ने पशुपालन और डेयरी विभाग से जुड़ी अनुदान मांगों पर संसद में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. समिति ने पशुपालन और डेयरी विभाग से दिल्ली मिल्क स्कीम (DMS) का लाइसेंस निलंबित किए जाने के कारणों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
पीटीआई के मुताबिक, विभाग ने कहा कि 2014 में दूध की औसत कीमत 30 रुपये थी, जो दिसंबर 2024 तक बढ़कर 45.98 रुपये हो गई. पिछले एक साल में दूध की महंगाई दर फूड इन्फ्लेशन से काफी कम रही. जहां खाद्य महंगाई दर 6 फीसदी थी, वहीं दूध और दूध उत्पादों की महंगाई दर सिर्फ 1.6 फीसदी दर्ज की गई. समिति का मानना है कि दूध और दूध उत्पादों में बड़े पैमाने पर मिलावट हो रही है. इससे किसानों को उचित कीमत नहीं मिल रही और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है.
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डेयरी किसानों को हो रहा नुकसान
समिति ने यह भी नोट किया कि दूध की कीमतों में बढ़ोतरी, देश में औसत खाद्य मुद्रास्फीति से कम रही है. समिति का मानना है कि दूध की कीमतों में धीमी बढ़ोतरी से करोड़ों डेयरी किसानों को नुकसान हो रहा है, क्योंकि उनकी आय खाद्य मुद्रास्फीति के अनुरूप नहीं बढ़ रही. समिति ने सहकारी समितियों और निजी डेयरियों द्वारा तय किए जाने वाले दूध के दामों पर भी सवाल उठाए हैं. इसलिए, समिति ने विभाग को मूल्य निर्धारण तंत्र की गहन समीक्षा करने और किसानों को उचित एवं न्यायसंगत मूल्य दिलाने की सिफारिश की है.
70-80 फीसदी हिस्सा होता है पेमेंट
रिपोर्ट के अनुसार, किसानों को मिलने वाली दूध की कीमत सहकारी समितियां और निजी डेयरियां बाजार स्थिति के आधार पर तय करती हैं. खुदरा मूल्य और किसानों से खरीदे जाने वाले दूध के दाम अलग होते हैं, क्योंकि इसमें परिवहन, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, मार्केटिंग, बिक्री, वितरण और बुनियादी ढांचे की लागत भी जुड़ी होती है. विभाग के मुताबिक, डेयरी सहकारी क्षेत्र में उपभोक्ता/खुदरा मूल्य का 70-80 फीसदी हिस्सा किसानों को भुगतान किया जाता है.
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दूध में हो रही मिलावट
समिति का मानना है कि दूध और दूध उत्पादों में मिलावट रोकने से जुड़े कानूनों का सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है. इसलिए, विभाग को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और घरों में ही दूध की शुद्धता जांचने के लिए एक उपयुक्त उपकरण विकसित करने के प्रयास करने चाहिए.
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