रिकवरी मोड में Paytm के शेयर, निचले स्तर से 3 गुना ऊपर; लेकिन अब भी बाकी ये 4 चैलेंज

पेटीएम के शेयर की कीमत में बड़ी गिरावट के बाद, कंपनी अब वापसी करती दिख रही है. इसके लिए पेटीएम ने अपने बिजनेस में कई बदलाव किए हैं, जैसे कि गैर-जरूरी बिजनेस को बंद करना. इसके अलावा, पेटीएम अब लेंडिंग बिजनेस में कदम रख रहा है, जिससे उसे ज्यादा रेवेन्यू मिल सकता है. हालांकि, पेटीएम के लिए अभी भी कई चुनौतियां हैं…

Paytm अपने सबसे निचली कीमत से तीन गुना बढ़ चुका है Image Credit: Freepik/Canva

भेल ही Paytm को लिस्टिंग के बाद भारी गिरावट का सामना करना पड़ा और फिर पेटीएम पेमेंट बैंक पर रोक लगी लेकिन ‘पेटीएम… करो!’ की आवाज अभी भी सुनने को मिलती है. Paytm के फाउंडर विजय शेखर शर्मा नया प्लान लाए और उस पर काम कर रहे हैं. इसलिए शायद पेटीएम अब वापसी करता दिख रहा है.

31 जनवरी को जब RBI का पेटीएम के खिलाफ फरमान आया तब Paytm के शेयर की कीमत 761 रुपये थी, लेकिन महज दो हफ्तों के कारोबारी सत्र में यह गिरकर 325 रुपये पर आ गई. यह लगभग 57% की गिरावट रही. यही नहीं IPO के बाद, Paytm के शेयर की कीमत 80% तक गिर गई थी, लेकिन अब वह अपनी सबसे निचली कीमत से लगभग तीन गुना बढ़ चुकी है. लेकिन वापसी कैसे हो रही है?

क्या बदलाव हुए?

वैल्यू रिसर्च के मुताबिक, मार्केटिंग खर्च वित्त वर्ष 2023 से लगभग 50% कम हो गया है. कर्मचारियों की लागत में कमी आई है, जिससे हर साल 400-500 करोड़ बचाने का टारगेट है. गैर-जरूरी बिजनेस को बंद किया गया है, जैसे, Paytm Mall (ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म) को बेच दिया गया. टिकटिंग बिजनेस Zomato को बेच दिया गया. जापान की कंपनी PayPay से खुद को बाहर कर लिया. इन बदलावों ने कंपनी को दो साल तक ऑपरेशंस से पॉजिटिव कैश फ्लो रिपोर्ट करने में मदद की है.

पेमेंट्स का पेचीदा बिजनेस

Paytm सालाना 20 लाख करोड़ के ट्रांजेक्शन प्रोसेस करता है, लेकिन हर ट्रांजेक्शन से सिर्फ 0.1% रेवेन्यू कमाता है. इसकी तुलना में PayPal का रेवेन्यू प्रति ट्रांजेक्शन 1.9% है. भारत में UPI पर जीरो मर्चेंट डिसकाउंट रेट पॉलिसी के कारण पेमेंट बिजनेस में फायदा कमाने की सीमा तय हो जाती है. इसके समाधान में Paytm अब इनोवेशन और स्केल का इस्तेमाल कर लेंडिंग यानी कर्ज देने जैसे फाइनेंशियल सर्विसेस में कदम रख रहा है.

लेंडिंग बिजनेस की ओर बढ़ता Paytm

Paytm ने RBI के First Loss Default Guarantee मॉडल का इस्तेमाल करते हुए बैंकों के साथ साझेदारी की है. इसके तहत Paytm कर्ज बांटने के काम में हैं और क्रेडिट रिस्क का भी हिस्सा लेता है. इससे Paytm को कर्ज की प्रोसेसिंग पर लगभग 3.5% कमीशन मिलता है. इसके साथ ही पेटीएम को 5% डिफॉल्ट का रिस्क भी लेना पड़ता है.

Paytm के विकास के आंकड़े

पेटीएम से औसतन हर महीने कितने लेन-देन करने वाले यूजर्स हैं? वित्त वर्ष 2020 में ये 4 करोड़ है जो 2024 में बढ़कर 9.6 करोड़ हो गई है. वहीं मर्चेंट की संख्या 2 करोड़ से बढ़कर 107 करोड़ हो गई है.

क्या Paytm बड़ा खिलाड़ी बन सकता है?

वैल्यू रिसर्च के मुताबिक, इसके लिए यह देखना होगा कि छोटी कंपनियां कितना कर्ज ले रही है. पर्सनल और छोटी इंडस्ट्री के कर्ज का बाजार 2023 में 15 लाख करोड़ का था. अगर यह बाजार अगले 10 सालों में 20% वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ता है, तो यह 90 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है. यदि फिनटेक प्लेटफॉर्म का मार्केट शेयर 12% से 40% तक बढ़े और Paytm 20% हिस्सा बनाए रखे, तो इसका लेंडिंग वॉल्यूम 7-8 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है. Paytm का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 15,000-20,000 करोड़ हो सकता है.

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लेकिन ये इतना भी आसान नहीं: जैसे-जैसे ग्राहक की क्रेडिट हिस्ट्री मजबूत होगी, वे आम बैंकों से सस्ता कर्ज ले सकेंगे. इसके बाद Jio Financial Services, MobiKwik जैसी कंपनियों से मुकाबला कठिन होता जाएगा. बड़े लोन पोर्टफोलियो पर सरकार का सख्त नियंत्रण हो सकता है.

वैल्यू रिसर्च के मुताबिक, Paytm की बैलेंस शीट मजबूत दिख रही है, यह 8,500 करोड़ से ज्यादा कैश और कैश इक्विवेलेंट्स दर्शा रही है. लेकिन फ्री कैश फ्लो अभी भी पॉजिटिव नहीं है. भले ही कुछ चीजें बदली हो लेकिन सवाल अभी भी बना है कि क्या Paytm डिजिटल पेमेंट्स से प्रॉफिटेबल फाइनेंशियल सर्विसेस प्लेटफॉर्म बन सकता है?