कहां चूक गए ये चार साथी, जिससे बिखर गई बनी बनाई कंपनी

देश की प्रमुख ई-फार्मेसी कंपनी PharmEasy के चार को-फाउंडरों ने कंपनी को छोड़ने का फैसला किया है. कंपनी की वैल्‍यूएशन घटती जा रही है, साथ ही कर्ज भी बढ़ा है, हालांकि कंपनी ने इससे उबरने की कोशिश की है, जिससे थोड़ा असर पड़ा है.

PharmEasy Image Credit: gettyimages

PharmEasy देश की प्रमुख ई-फार्मेसी कंपनियों में से एक है. यह इस समय एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है. 2015 में शुरू हुई कंपनी मुसीबतों में घिरती नजर आ रही है. एक तरफ जहां इसकी वैल्‍यूएशन लगातार घटती जा रही है, वहीं एक-एक करके इसके को-फाउंडर्स का कंपनी को अलविदा कहना इसके वजूद को खतरे में डाल रहा है. ये स्‍टार्ट अप विजन के साथ-साथ व्यावहारिक चुनौतियों का भी सामना कर रहा है. तो आखिर कहां चूक गए ये चार साथी जिसकी वजह से कंपनी घाटे में आ गई और इन्‍होंने कंपनी छोड़ दूसरी राह पकड़ने का फैसला किया, इन्‍हीं कारणों के बारे में जानेंगे.

कैसे बिगड़े हालात?

PharmEasy ने तेजी से अपने बिजनेस का विस्‍तार किया था, जिससे कम समय में ही इसने देश में अपनी पकड़ मजबूत कर ली, लेकिन सही स्‍ट्रैटेजी न होने की वजह से कंपनी के हालात बिगड़ते गए. मार्केट दिग्‍गजों जैसे- TATA 1mg, नेटमेड्स और हेल्‍थकार्ट से मिल रही कड़ी टक्‍कर के चलते कंपनी खुद के वजूद को बचाए रखने के लिए संघर्ष करने लगी थी. इससे कंपनी पर कर्ज भी बढ़ने लगा था, हालांकि कॉस्‍ट कटिंग के उपायों को अपनाने के एक साल बाद इस ऑनलाइन फ़ार्मेसी स्टार्टअप ने वित्त वर्ष 24 में अपने घाटे को 51% घटाकर 2,533.5 करोड़ रुपये कर दिया. वित्त वर्ष 2023 में मुंबई स्थित कंपनी का घाटा 5,211.7 करोड़ रुपये था, हालांकि वित्त वर्ष 24 में ऑपरेशनल रेवेन्‍यू 14.8% घटकर 5,664 करोड़ रुपये रह गया.

IPO का प्‍लान भी हुआ था फ्लॉप

कंपनी फंड जुटाने और बिजनेस के विस्‍तार के लिए आईपीओ लाने वाली थी, लेकिन उनका प्‍लान फेल हो गया था. ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑनलाइन फ़ार्मेसी प्लेयर फ़ार्मईज़ी अपने आईपीओ आवेदन को वापस लेने के दो साल बाद साल 2025 में दोबारा आईपीओ लाने की योजना बना रही है. अगले महीने अपने बोर्ड के सामने इस पर रणनीति भी बनाएगी.

कब पड़ी थी कंपनी की नींव?

फार्मईज़ी की स्थापना 2015 में हुई थी और 2020 में इसने एसेंट हेल्थ के साथ मर्जर के जरिए API होल्डिंग्स का गठन किया. बता दें एसेंट हेल्थ एक बड़ी ऑफलाइन फार्मास्युटिकल वितरण कंपनी है. इस मर्जर के चार साल बाद कंपनी के को-फाउंडरों धर्मिल शेठ, धवल शाह, हर्ष पारेख, और हार्दिक देढिया ने कंपनी को छोड़ने का निर्णय लिया. उनके इस फैसले से कंपनी और इससे जुड़े लोगों को तगड़ा झटका लगा है. अब सिर्फ सिद्धार्थ शाह ही कंपनी से जुड़े रहेंगे और सीईओ के रूप में काम करेंगे.

कंपनी की गिरती वैल्‍यूएशन ने बढ़ाई चिंता

मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार PharmEasy ने अप्रैल 2024 में रंजन पाई के मणिपाल एजुकेशन एंड मेडिकल ग्रुप (MEMG) सहित कई निवेशकों से 216 मिलियन डॉलर जुटाए थे. मगर इस राउंड के बाद कंपनी की वैल्‍यूएशन में लगभग 90% की गिरावट देखी गई, जो 2021 में 5.6 बिलियन डॉलर से घटकर अप्रैल 2024 में 700 मिलियन डॉलर हो गई. वहीं हेंडरसन के अनुसार, वर्तमान में फार्मईज़ी का मूल्यांकन $458 मिलियन है, जो अब तक जुटाई गई रकम के आधे से भी कम है. कंपनी की लगातार गिरती वैल्‍यूएशन के चलते इसके सह-स्‍ंथापकों की चिताएं बढ़ती ज रही है. ऐसे में स्‍टार्ट अप कंपनी से वे किनारा करते नजर आ रहे हैं, हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है.

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नये स्‍टार्टअप में दिखाई दिलचस्‍पी

धर्मिल शेठ, धवल शाह, और हार्दिक देधिया के फार्मईज़ी को छोड़ने की आधिरिक वजह तो नहीं बनाई गई, लेकिन माना जा रहा है कंपनी की गिरती वैल्‍यूएशन के अलावा दूसरे सेग्‍मेंट में उनकी बढ़ती दिलचस्‍पी कंपनी से एग्जिट की बड़ी वजह है. मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक धर्मिल शेठ, धवल शाह, और हार्दिक देढिया ने 21 जनवरी को एक संयुक्त बयान में घोषणा की है कि वे अपना नया कंज्यूमर स्टार्टअप शुरू करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि फार्मईसी का विजन उन्हें हमेशा प्रेरित करता रहा है, लेकिन अब वे कंज्यूमर स्पेस में कुछ नया करना चाहते हैं. उनके अलावा हर्ष पारेख भी कंपनी छोड़ने जा रहे हैं.