रतन टाटा की जीवनी में ‘विस्‍फोटक’ खुलासा, टूटने वाला था TATA ग्रुप

रतन टाटा की जीवनी 'रतन टाटा ए लाइफ' में चौंकाने वाला खुलासा हुआ, जिसमें बताया कि कैसे एक करीबी ने टाटा ग्रुप को तोड़ने की कोशिश की थी. इसके लिए उन्‍होंने कई पैंतरे आजमाए थे.

रतन टाटा की जीवनी ''रतन टाटा ए लाइफ'' में हुआ चौंकाने वाला खुलासा Image Credit: freepik/gettyimages/money9

टाटा ग्रुप के पूर्व अध्‍यक्ष रतन टाटा ने पिछले महीने दुनिया को अलविदा कह दिया था. उनके न रहने के गम ने सबको झकझोर कर रख दिया था. अपने पराेपरकारी स्‍वभाव और सरल जीवन के लिए जाने-जाने वाले रतन टाटा एक सफल उद्योगपति थे. उन्‍होंने अपनी मेहनत और लगन से टाटा साम्राज्‍य की स्‍थापना की थी, जिसकी जड़ें आज भी मजबूत है, लेकिन क्‍या आपको पता है एक वक्‍त टाटा ग्रुप की ये नींव हिल गई थी. कंपनी टूटने वाली थी, ये खुलासा दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा की जीवनी के लेखक थॉमस मैथ्यू ने किया है.

थॉमस मैथ्यू ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्‍यू में बताया कि टाटा ने 2012 में अपने उत्तराधिकारी के रूप में दिवंगत साइरस पल्लोनजी मिस्त्री का पूरा समर्थन किया था, लेकिन उनके नैतिक विचारों और मुद्दों के चलते साल 2016 में उनके रिप्‍लेसमेंट की बात सामने आने लगी. रतन टाटा उनके विचारों से सहमत नहीं थे. कंपनी से जुड़े दिग्‍गजों का मानना है कि तभी से साइरस मिस्‍त्री ग्रुप के खिलाफ हो गए और वह टाटा समूह को तोड़ना चाहते थे. इस बात का जिक्र रतन टाटा की जीवनी में पढ़ने को मिलता है.

साइरस मिस्‍त्री पर उठे सवालिया निशान

टाटा की जीवनी ‘रतन टाटा ए लाइफ’ (RATAN TATA A LIFE) में साइरस मिस्‍त्री को लेकर विस्‍फोटक खुलासा हुआ है. इसमें टाटा समूह के कुछ दिग्गजों ने साइरस मिस्त्री के अध्यक्ष के रूप में उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए. साथ ही टाटा संस में शेयरों के शपूरजी पल्लोनजी (एसपी) समूह के अधिग्रहण के पिछले रिकॉर्ड के आधार पर नमक से लेकर सॉफ्टवेयर समूह को तोड़ने की कोशिश करने को लेकर अपनी आशंकाएं जताई थीं. उनका मानना है कि मिस्‍त्री टाटा समूह को तोड़ना चाहते थे, इसके लिए वह तमाम कोशिशें कर रहे थे.

एसपी ग्रुप के रवैये से खफा थे जेआरडी टाटा

रतन टाटा की जीवनी के लेखक थॉमस मैथ्यू का कहना है कि टाटा ग्रुप को तोड़ने को लेकर दो तरह की विचारधारएं हैं. टाटा के कुछ दिग्गजों का कहना है कि एसपी ग्रुप ने जिस तरह से टाटा संस के शेयर जमा किए, वह अच्‍छे संकेत नहीं थे. टाटा संस के ज्‍यादा से ज्‍यादा शेयर एसपी ग्रुप जमा कर रहा था, उनका ये रवैया जेआरडी टाटा को पसंद नहीं था. दिग्‍गजों का कहना है कि एसपी ग्रुप ने गुपचुप तरीके से शेयर हासिल किए थे. इसे लिए परिवार के कुछ सदस्‍यों को अपना मोहरा बनाया गया था.

इस बात से आई दरार

जीवनी यानी बायोग्राफी के अनुसार, एसपी ग्रुप ने टाटा संस (TATA SONS) में अपनी हिस्सेदारी धीरे-धीरे बढ़ाकर करीब 18 प्रतिशत कर ली थी और कंपनी के शेयर हासिल कर लिए थे, जो जेआरडी ने अपने भाई-बहनों को दिए थे. मैथ्यू का कहना है कि रतन टाटा इस बात से असहज थे कि साइरस मिस्त्री ने टाटा संस के चेयरमैन बनने के बाद खुद को एसपी ग्रुप से अलग नहीं किया था. टाटा ने कई बार मिस्त्री के सामने यह मुद्दा उठाया, लेकिन उन्‍होंने इसे नजरअंदाज कर दिया था. इसी के बाद से दोनों के बीच पहले जैसी बात नहीं रही.