राज्य सरकार की ‘फ्री’ वाली योजनाओं से आर्थिक विकास पर पड़ सकता है असर: RBI
RBI की रिपोर्ट के अनुसार, कई राज्यों ने अपने बजट में मुफ्त बिजली, परिवहन और आर्थिक भत्ते जैसी लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन यह सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे के लिए जरूरी संसाधन कम कर सकती हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने दिसंबर बुलेटिन जारी किया है. इसके अनुसार, कई राज्यों के 2024-25 के बजट में मुफ्त बिजली, परिवहन, और आर्थिक भत्ते जैसी लोकलुभावन योजनाओं (Sops) की घोषणा की गई है. हालांकि, इनसे सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे के लिए जरूरी संसाधन कम हो सकते हैं.
सरकार के घाटे में आई कमी
वित्त वर्ष 2025 (अप्रैल-सितंबर) में सरकार का घाटा कम हुआ है. यह सुधार मुख्य रूप से टैक्स कलेक्शन की वजह से हुआ है, कम राजस्व व्यय और कम पूंजीगत व्यय के कारण संभव हुआ है.
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यों की लोकलुभावन योजनाएं, जैसे हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र और झारखंड ने कई वेलफेयर स्कीम योजनाएं शुरू कीं, इनमें कृषि के लिए मुफ्त बिजली, बेरोजगार युवाओं के लिए भत्ते, महिलाओं के लिए आर्थिक सहायता स्कीम शामिल हैं.
इस तरह के खर्च लॉन्गटर्म प्लानिंग को प्रभावित कर सकते हैं.
केंद्र सरकार के घाटे पर रिपोर्ट में क्या है?
केंद्र सरकार को डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी से फायदा हुआ है. आरबीआई से सरकार को मुनाफा भी ट्रांसफर हुआ जिस वजह से सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी हुई है. सरकार ने FY25 की पहली छमाही में अपने रेवेन्यू टारगेट का आधे से अधिक हासिल किया है, जबकि खर्च को पूरे साल के अनुमान का 50% से कम रखा है. इससे सरकार को अपना घाटा जीडीपी का 4.9% पर बनाए रखने में मदद मिलेगी.
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सामाजिक क्षेत्र में खर्च
सामाजिक क्षेत्र में खर्च जीडीपी का हिस्सा 2005-06 में 5.4 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 8.1 फीसदी (अनुमान) हो गया है. इसके तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं को प्राथमिकता दी जा रही है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने अपने बुलेटिन में जोर दिया कि इस खर्च का प्रभावी होना ठोस परिणामों पर निर्भर करता है.