RBI ने NBFC कंपनियों को दी राहत, जोखिम भार घटाया, कमर्शियल बैंकों से कर्ज लेना हो सकता है सस्ता
Reserve Bank ने NBFC कंपनियों को बड़ी राहत दी है. इन कंपनियों के लिए कमर्शियल बैंको की तरफ से दिए जाने वाले कर्ज पर जोखिम भार को घटा दिया है. इससे आने वाले दिनों में इन कंपनियों के लिए बैंको से लोन लेना सस्ता हो सकता है.
RBI ने बैंक लोन जोखिम भार (Risk weight) के मोर्चे पर NBFC कंपनियों के लिए बड़ी राहत दी है. मंगलवार को जारी रिजर्व बैंक के एक सर्कुलर के मुताबिक NBFC को बैंकों की तरफ से दिए जाने वाले कर्ज के जोखिम भार में कटौती की गई है. इससे इन कंपनियों के लिए बैंकों से कर्ज लेने की कॉस्ट में कमी आएगी. इससे NBFC के प्रॉफिट मार्जिन में सुधार आएगा. इसके साथ ही ग्राहकों को भी इसका लाभ मिल सकता है.
RBI ने 25 फरवरी को शेड्यूल्ड कर्मिशल बैंक (SCB) के लिए नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज (NBFC) में निवेश के जोखिम भार को घटा दिया है. NBFC की तरफ से बढ़ती उधारी लागत के चलते कर्ज पर जोखिम भार को घटाने की मांग लंबे समय से की जा रही है. रिजर्व बैंक के इस फैसले के बाद NBFC ज्यादा आक्रामक होकर नए कर्ज बांट पाएंगी, क्योंकि उनकी उधारी की लागत में कमी आएगी.
माइक्रो फाइनेंस लोन पर भी राहत
इसके अलावा एक अलग सर्कुलर में रिजर्व बैंक ने माइक्रोफाइनेंस लोन को हाई रिस्क वेटेज से बाहर कर दिया है, जो कंज्यूमर लोन पर लागू होता है. इसके अलावा अन्य सभी जोखिम भारों को यथावत रखा गया है, जिन्हें 16 नवंबर, 2023 को बढ़ाया गया था.
कब से लागू होंगे यह फैसला
NBFC के लिए बैंक लोन पर जोखिम भार कम करने का फैसला 1 अप्रैल, 2025 से लागू हो जाएगा. असल में 2023 में रिजर्व बैंक ने कमर्शियल बैंकों की तरफ से NBFC को दिए जाने वाले उधार के जोखिम भार को 25 फीसदी बढ़ा दिया था. इस तरह पहले से ही 100 फीसदी जोखिम भार के दायरे में आने वाले कंज्यूमर लोन का जोखिम भार बढ़कर 125 फीसदी हो गया था. इसकी वजह से वाणिज्यिक बैंकों के लिए
कंज्यूमर लोन पर कितना जोखिम भार
वाणिज्यिक बैंकों और एनबीएफसी के उपभोक्ता ऋण पर 100 प्रतिशत का जोखिम भार लागू होता है, जिसे रिजर्व बैंक ने 2023 में 25 फीसदी बढ़ाया, जिसके बाद यह 125 फीसदी हो गया. इस उच्च जोखिम भार की वजह से ज्यादातर एनबीएफसी की उधारी लागत बढ़ गई थी और उन्हें दूसरे स्रोतों के जरिये अपने उधार में विविधता लाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
क्यों बढ़ाया गया था जोखिम भार
अक्टूबर 2023 की मौद्रिक नीति बैठक के दौरान तत्कालीन आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कंज्यूमर लोन के कुछ कंपोनेंट्स में हाई ग्रोथ को चिह्नित किया. इसके बाद बैंकों और एनबीएफसी को अपने आंतरिक निगरानी तंत्र को मजबूत करने, जोखिमों को बढ़ने से रोकने और सुरक्षा उपाय स्थापित करने की सलाह दी थी. इसी सिलसिले में रिजर्व बैंक ने कंज्यूमर लोन के जोखिम भार को बढ़ा दिया था.
क्या होता है जोखिम
जोखिम भार एक एक ऐसा इंडिकेटर है, जो बैंकों को उनके लोन पर संभावित नुकसान के जोखिम को दर्शाता है. जोखिम भारित परिसंपत्तियों (आरडब्ल्यूए) का उपयोग बैंक को दिवालिया होने के जोखिम को से बचाने के लिए किया जाता है. दिवालियापन की स्थिति नहीं आए इसके लिए बैंकों को उनकी तरफ से बांटे गए कर्ज के जोखिम भार की तुलना में एक न्यूनतम पूंजी अपने पास रखनी होती है.