RBI की रिपोर्ट में बैंकिंग सेक्टर के लिए बुरी खबर, मार्च 2026 तक बढ़ जाएगा बैड लोन रेश्यो
RBI ने सोमवार 30 दिसंबर को फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने बैंकिंग सेक्टर से जुड़ी तमाम चिंताओं को उजागर किया है. खासतौर पर बैंकों के बैड लोन रेश्यो को लेकर रिजर्व बैंक ने चिंता जाहितर की है. जानिए इस रिपोर्ट में और क्या है?
रिजर्व बैंक ने सोमवार 30 दिसंबर को फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट जारी करते हुआ बताया कि बैंकों के बैड लोन रेश्यो मार्च 2026 तक और खराब हो सकता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि बेसलाइन सिनेरियो में 46 बैंकों का बैड लोन रेश्यो सितंबर 2024 में 12 साल के निचले स्तर 2.6 प्रतिशत से मार्च 2026 के अंत तक 3 प्रतिशत तक बढ़ सकता है.
रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर क्रेडिट क्वालिटी, ब्याज दरों और राजनीति जोखिम बढ़ते हैं, तो भारतीय बैंकों का ग्रॉस बैड लोन रेश्यो (GBLR) 12 साल के निचले स्तर से बढ़ सकता है. GBLR कुल बांटे गए कर्ज के फंसे हुए कर्ज के अनुपात को कहा जाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और घरेलू वित्तीय प्रणाली मजबूत मैक्रोइकॉनोमिक बुनियादी ढांचे, बैंकों और गैर-बैंकों की स्वस्थ बैलेंस शीट पर आधारित है.
रिजर्व बैंक ने इस रिपोर्ट की जानकारी देते हुए जारी किए बयान में कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली लचीली बनी हुई है. निकट अवधि के जोखिम भले ही कम हो गए हैं, लेकिन परिसंपत्तियों के बढ़े हुए मूल्यांकन, उच्च सार्वजनिक ऋण, लंबे समय से जारी भू-राजनीतिक संघर्ष और उभरती प्रौद्योगिकियों से होने वाले जोखिम जैसी कमजोरियां वित्तीय स्थिरता के लिए मध्यम अवधि के जोखिम पैदा कर सकती हैं.
जोखिम बढ़ा तो 5.3 फीसदी तक बढ़ जाएगा बैड लोन
रिपोर्ट में बताया गया है कि बेसलाइन सिनेरियो के तहत 46 बैंकों के लिए सितंबर 2024 में GBLR 12 साल के निचले स्तर 2.6 फीसदी रहा, जो मार्च 2026 के अंत तक 3 फीसदी तक बढ़ सकता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर हाई रिस्क सिनेरियो के लिहाज से देखें, तो GBLR 5 से 5.3 फीसदी तक बढ़ सकता है.
क्या होगा इसका असर
आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अगर GBLR बढ़ता है, तो बैंकों के कुल पूंजी अनुपात में कमी आ सकती है. हालांकि, कोई भी बैंक प्रतिकूल परिस्थितियों में भी 9 फीसदी की न्यूनतम पूंजी आवश्यकता स्तर से नीचे नहीं जाएगा. केंद्रीय बैंक की तरफ से साल में दो बार प्रकाशित की जाने वाली यह रिपोर्ट देश की वित्तीय स्थिरता के बारे में बताती है. इस रिपोर्ट में सभी वित्तीय क्षेत्र के नियामकों का योगदान होता है. रिजर्व बैंक की पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.