डॉलर के आगे रुपया धड़ाम, दो साल में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट, ये वजह बनीं विलेन
भारतीय रुपये में सोमवार को बहुत बड़ी गिरावट देखने को मिली. इससे शेयर बाजार भी धड़ाम हो गया. पिछले दो हफ्तों में, रुपया 30 दिसंबर के 85.52 के बंद भाव से एक रुपये से अधिक नीचे आया है. तो किस वजह से रुपया हुआ धड़ाम यहां करें चेक.
Rupees fall all time low: भारतीय रुपया सोमवार यानी 13 जनवारी को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 58 पैसे गिरकर अपने सबसे निम्नतम स्तर पर पहुंच गया. यह गिरकर 86.59 के लेवल पर पहुंच गया. यह पिछले दो सालों में एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है. हालांकि बाद में इसमें थोड़ा उछाल आया, जिससे यह बाद में 86.62 पर बंद हुआ. इससे पहले 6 फरवरी 2023 को रुपये में सबसे बड़ी एक दिन की गिरावट देखी गई थी, उस वक्त रुपया 68 पैसे गिरा था.
पिछले दो हफ्तों में, रुपया 30 दिसंबर के 85.52 के बंद भाव से एक रुपये से अधिक नीचे आया है. इस गिरावट के कारण विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालना शुरू कर दिया है. इससे पहले शुक्रवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 2,254.68 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. इस महीने अब तक विदेशी निवेशकों ने 22,194 करोड़ रुपये निकाले हैं. रुपये में इस बड़ी गिरावट की कई वजह बताई जा रही हैं, तो क्या हैं वो कारण जो इसके लिए विलेन साबित हुईं आइए जानते हैं.
डॉलर की मजबूती पड़ी भारी
विश्लेषकों का कहना है कि रुपये में इतनी बड़ी गिरावट के पीछे कई कारण है, लेकिन सबसे अहम अमेरिकी डॉलर मजबूत होना है. विदेशी मुद्रा के बेहतर प्रदर्शन का कारण रोजगार आंकड़ों का अच्छा होना और उम्मीद से कम ब्याज दर कटौती की संभावना है. इसके अलावा विदेशी मुद्रा भंडार के घटने से रुपया समेत दूसरे उभरते बाजारों की मुद्राएं कमजोर हो रही हैं.
कच्चे तेल की कीमतों का असर
रुपये में इतनी बड़ी गिरावट के पीछे बढ़ते कच्चे तेल के दामों का स्थिर रहना है. बता दें कच्चे तेल की कीमतें बढ़कर 81 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गईं है, जिससे रुपये पर और दबाव पड़ रहा है, जिसकी वजह से भी इसमें गिरावट देखने को मिली.
विदेशी इंवेस्टरों का एग्जिट करना
विश्लेषकों का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट की एक अहम वजह विदेशी इंवेस्टरों के तेजी से पैसा निकालने की वजह से भी रुपया गिरा है. इस महीने अब तक विदेशी निवेशकों ने 22,194 करोड़ रुपये निकाले हैं, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा है. ऐसे में उभरते बाजारों की रुपया कमजोर हो रहा है.
कितना मजबूत हुआ डॉलर?
डॉलर इंडेक्स के मुताबिक विदेशी मुद्रा 0.29 प्रतिशत बढ़कर 109.80 के दो साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड यील्ड 0.48 प्रतिशत बढ़कर 4.79 प्रतिशत हो गई है, जो अक्टूबर 2023 का स्तर है. वहीं ब्रेंट क्रूड, वैश्विक तेल बेंचमार्क, 1.12 प्रतिशत बढ़कर 80.65 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है.
शेयर बाजार पर दिखा असर
रुपये के कमजोर होने से घरेलू शेयर बाजार में भी उथल-पुथल देखने को मिली. 30-शेयर का बीएसई सेंसेक्स 1,048.90 अंक या 1.36 प्रतिशत गिरकर 76,330.01 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 345.55 अंक या 1.47 प्रतिशत गिरकर 23,085.95 अंक पर बंद हुआ.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
HDFC सिक्योरिटीज के अनुसार के हेड डेप्युटी वाइस प्रेसिडेंट नंदीश शाह का कहना है कि रुपया डॉलर की मांग के कारण नए लो लेवल पर खुला, हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक की हस्तक्षेप के कारण नुकसान की थोड़ी भरपाई हुई.
इसके अलावा मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के वेल्थ मैनेजमेंट के हेड रिसर्च सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि रुपये को अमेरिकी ट्रेजरी नोट्स की यील्ड में वृद्धि के कारण भी झटका लगा है. हाल ही में 10-वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड 4.73% तक पहुंची, जो अप्रैल 2024 के बाद से सबसे ऊंचा स्तर है.