रुपये का खराब दौर जारी, 5 सालों में 20 फीसदी की गिरावट, अब क्या होगा !

ट्रंप की टैरिफ नीतियां, विदेशी निवेशकों की निकासी और RBI की ब्याज दरों में संभावित कटौती के कारण भारतीय रुपया कमजोर हुआ है. डॉलर की मजबूती ने स्थिति को और जटिल किया है.

रुपया 87.49 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है Image Credit: freepik

Indian Rupee: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने वैश्विक बाजारों को प्रभावित किया है. अमेरिकी नीतियों, विदेशी निवेशकों की निकासी (FII Outflows) और RBI की संभावित दर कटौती के कारण भारतीय रुपये में भारी गिरावट आई है. इस साल अब तक भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला एशियाई करेंसी वर्ष-दर-वर्ष (YTD) बन गया है. रुपया 87.49 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. इस सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक होने वाली है, जिसमें ब्याज दरों में संभावित कटौती की अटकलों के कारण रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है.

रुपये में गिरावट के प्रमुख कारण

  1. ट्रंप टैरिफ: अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर 10 फीसदी और मैक्सिको-कनाडा से 25 फीसदी टैरिफ लगाया, जिससे वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ी है.
  2. विदेशी निवेशकों की निकासी (FII Outflows): निवेशकों ने भारतीय बाजार से पैसा निकालना शुरू कर दिया, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ा है.
  3. RBI की संभावित दर कटौती: 7 फरवरी को MPC बैठक में पहली बार 5 साल बाद ब्याज दरों में कटौती की संभावना है, जिससे रुपया कमजोर हुआ।
  4. डॉलर की मजबूती: अमेरिकी डॉलर इंडेक्स 107.58 पर बना हुआ है, जिससे अन्य मुद्राओं पर दबाव बढ़ रहा है.

रुपये की मौजूदा स्थिति

  • रुपया 87.43 के रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद स्तर से 36 पैसे कम है.
  • मंगलवार को रुपये में थोड़ा सुधार हुआ और यह 87.07 पर बंद हुआ था.
  • मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, रुपये की कमजोरी जारी रह सकती है और यह 87.75 तक गिर सकता है.

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5 साल में 20 फीसदी गिरावट

Moody’s Ratings के मुताबिक, पिछले दो साल में भारतीय रुपया 5% गिरा है और पिछले पांच साल में 20% तक कमजोर हुआ है. इससे यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे कमजोर मुद्राओं में शामिल हो गया है.

Moody’s ने भारत की 23 कंपनियों की रेटिंग की है, जिनमें से केवल 6 कंपनियां डॉलर की मजबूती से प्रभावित हो सकती हैं. लेकिन ये कंपनियां जोखिम को संभालने में सक्षम हैं. ये 6 कंपनियां BPCL, HPCL, IOCL, UltraTech Cement, Bharti Airtel, ANI Technologies Pvt Ltd है.

आगे क्या होगा?

  • अमेरिकी टैरिफ नीति और वैश्विक बाजार में अनिश्चितता के कारण रुपया कमजोर बना रहेगा.
  • RBI की दर कटौती पर फैसला 7 फरवरी को आएगा, जो रुपये की दिशा तय करेगा.
  • एक्सपर्ट के मुताबिक, यदि ट्रंप के टैरिफ और बढ़ते हैं, तो रुपये पर और दबाव आ सकता है.