इधर अस्‍पताल में सैफ उधर पटौदी परिवार को झटका, सरकार जब्‍त कर सकती है 15000 करोड़ की संपत्ति !

सैफ अली खान पर हाल ही में हुए जानलेवा हमले से जहां पूरा परिवार अभी भी सदमें में है, वहीं पटौदी परिवार को लेकर एक और बुरी खबर सामने आई है. दरअसल भोपाल हाई कोर्ट के पटौदी प्रॉपटी से स्‍टे हटाये जाने से इसमें सरकार का अधिकार हो सकता है.

पटौदी परिवार के सामने एक और मुसीबत! Image Credit: gettyimages/AI

Saif Ali Khan and Pataudi Property: बॉलीवुड के नवाब सैफ अली खान और उनके परिवार के लिए आज कल दिन अच्‍छे नहीं चल रहे हैं. हाल ही में सैफ पर जहां जानलेवा हमला हुआ. उनके घर में घुसकर एक चोर ने उन पर चाकू से ताबड़तोड़ कई वार किए, जिससे वो बुरी तरह से लहूलुहान हो गए. उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती होना पड़ा. अभी वो रिकवरी मोड में हैं. वो पूरी तरह से ठीक भी नहीं हो पाएं कि पटौदी परिवार को एक और झटका लगा है. दरअसल भोपाल में नवाब मंसूर अली खां पटौदी और उनके परिवार की 15 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति सरकार जब्‍त कर सकती है, इतना ही नहीं अब इस प्रॉपर्टी पर सरकार का हक हो सकता है.

दैनिक भास्‍कर की रिपोर्ट के मुताबिक मध्‍य प्रदेश हाई कोर्ट ने 2015 से चल रहे स्टे को हटा दिया है, जिससे पटौदी परिवार की ये संपत्ति अब शत्रु संपत्ति अधिनियम के दायरे में आ सकती है. जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने पटौदी परिवार को अपना पक्ष रखने के लिए 30 दिन का समय दिया था, लेकिन इस अवधि में कोई दावा नहीं किया गया. अब परिवार के पास इस फैसले को डिविजन बेंच में चुनौती देने का ही विकल्प बचा है. पटौदी परिवार की संपत्ति भोपाल समेत हरियाणा में भी है. चूंकि इसमें अभी तक पटौदी खानदान की ओर से दावा नहीं किया गया है और 80 फीसदी प्रॉपर्टी बिक चुकी है, ऐसे में सरकार के कब्‍जे में संपत्ति आने से इसे खाली कराना चुनौतीपूर्ण होगा.

2015 में घोषित हुई थी सरकारी संपत्ति

मुंबई के शत्रु संपत्ति अभिरक्षक कार्यालय ने साल 2015 में एक आदेश जारी कर भोपाल नवाब की जमीन को सरकारी संपत्ति घोषित की थी. केंद्र सरकार ने इसी दौरान बताया था कि पटौदी खानदान के नवाब हमीदुल्‍लाह खान की संपत्ति की वैध वारिस उनकी बड़ी बेटी आबिदा थीं, जो बाद में पाकिस्‍तान चली गईं. जिस वजह से उनकी ये प्रॉपर्टी शत्रु संपत्ति के अधीन आती है. हालांकि नवाब की दूसरी बेटी साजिदा सुल्‍तान के वारिस हैं, जिनमें सैफ अली खान, शर्मिला टैगोर आदि शामिल हैं, लेकिन अभी ये कहानी कानूनी झमेलों में उलझी हुई है.

क्‍या है शत्रु संपत्ति कानून?

साल 1968 में बना यह कानून बनाया गया था, जिसमें विभाजन के बाद पाकिस्तान जाने वालों की भारत में छोड़ी गई संपत्ति को केंद्र सरकार के अधीन करता है. चूंकि इस मामले में नवाब हमीदुल्लाह खान की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान पाकिस्तान चली गईं, जिससे उनकी संपत्ति शत्रु संपत्ति मानी जाती है.

कहां-कहां है नवाब परिवार की संपत्ति?

भोपाल के अलावा हरियाणा में पटौदी पैलेस भी इसमें शामिल है. भोपाल में नूर-उस-सबाह, फ्लैग स्टाफ हाउस, दार-उस-सलाम, बंगला ऑफ हबीबी, कॉटेज 9, फोर क्वार्टर्स समेत कई और संपत्तियां हैं. इसमें से नूर-उस-सबाह सहित कई प्रॉपर्टी बिक चुकी है. ऐसे में उनका मामाला कैसे निपटेगा. इन सभी प्रॉपर्टी की कुल कीमत 15 हजार करोड़ रुपए से ज्‍यादा है.

80 फीसदी बिक चुकी है प्रॉपर्टी

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भोपाल में नवाब परिवार की 100 एकड़ जमीन जिसकी कीमत एक हजार से करोड़ रुपये से ज्‍यादा है, ये खानूगांव, बड़ा तालाब, कोहेफिजा और अहमदाबार पैलेस में फैली हुई है. इन संपत्तियों में से लगभग 80 फीसदी प्रॉपर्टी बिक चुकी है, जिनमें करीब डेढ़ लाख लोग रह रहे हैं, लेकिन सरकार के संपत्ति को जब्‍त करते ही इन जमीनों पर बनीं प्रॉपर्टी अवैध घोषित हो जाएगी. ऐसे में सवाल होगा कि यहां रह रहे लोगों को सरकार कैसे हटाएगी.

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भोपाल में शत्रु संपत्ति का क्‍या होगा?

2013 में जिला प्रशासन ने शत्रु व डिस्‍पोज्‍ड प्रॉपर्टी कार्यालय को एक रिपोर्ट भेजी थी, इसमें 70 साल के खसरों की जांच की गई, जिसमें 24 प्रॉपटियां सामने आईं. हालांकि 2015 में ये प्रॉपर्टी घटकर 16 रह गई थी. 2016 में एक और रिपोर्ट भेजी गई जिसमें बताया गया कि भोपाल में सिर्फ नानी की हवेली ही आबिदा सुल्‍तान के नाम है, बाकी उनके नाम पर नहीं थी. उनके पाकिस्‍तान चले जाने पर महज ये प्रॉपर्टी ही शत्रु संपत्ति की कैटेगरी में आएगी.

शत्रु संपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है..

यूपी के रामपुर में शत्रु संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि शत्रु संपत्ति का बंटवारा गद्दी के हिसाब से नहीं बल्कि वारिसों के हिसाब से किया जाए. सबको समान रूप से प्रॉपर्टी बांटी जाए. इस नियम के हिसाब से नवाब खानदान की संपत्ति उनके वारिसों के नाम होगी. जबकि देश छोड़कर जा चुकी आबिदा के नाम पर दर्ज प्राॅपर्टी शत्रु संपत्ति कहलाएगी, जो सरकार के कब्‍जे में जाएगी. वहीं राज्‍य सरकार को इस सिलसिले में कमेटी बनाकर आगे फैसला लेना होगा.