Padma Awards 2025: अमेरिका की सैली होलकर ने भारत में ऐसा क्या किया कि पद्म श्री से नवाजा गया
भारत की एक ऐतिहासिक कला धीरे-धीरे खत्म हो रही थी, लेकिन एक विदेशी महिला ने इसे नई जिंदगी दी. दशकों तक उन्होंने इसे बचाने के लिए संघर्ष किया और आज उन्हें देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मानों में से एक मिला है.
Padma Awards 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 26 जनवरी से एक दिन पहले साल 2025 के पद्म अवार्ड विजेताओं की सूची जारी कर दी है. इस बार कुल 30 लोगों को देश के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री से नवाजा जाएगा. इन पुरस्कारों का उद्देश्य उन व्यक्तियों को सम्मानित करना है, जिन्होंने समाज, कला, व्यापार, विज्ञान, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. सम्मान पानें वाली कि सूची में अमेरिका में जन्मी लेकिन भारत के जमीन पर अपना अहम योगदान देने वाली बिजनेसवूमन सैली होलकर का नाम भी शामिल है.
अमेरिका में जन्मीं, भारत की संस्कृति से जुड़ीं
82 वर्षीय सैली होलकर ने महेश्वरी हैंडलूम को पुनर्जीवित करने में अपनी जिंदगी समर्पित कर दी. अमेरिका में जन्मीं सैली, मध्य प्रदेश के महेश्वर में आकर यहां की पारंपरिक बुनकरी को संवारने में जुट गईं. वह रानी अहिल्याबाई होलकर की विरासत से इतनी प्रेरित हुईं कि उन्होंने महेश्वरी कपड़ों को न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई.
कभी ओझल होने के कगार पर पहुंच चुकी महेश्वरी साड़ी और हैंडलूम कला को सैली ने फिर से जीवित किया. उन्होंने पारंपरिक डिजाइन में आधुनिकता का संगम कर इसे एक वैश्विक पहचान दी. उनकी मेहनत से यह उद्योग एक बार फिर फलने-फूलने लगा और हजारों बुनकरों को रोजगार मिला.
महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
सैली होलकर महिला सशक्तिकरण की बड़ी समर्थक रही हैं. उन्होंने महेश्वर में ‘हैंडलूम स्कूल’ की स्थापना की, जहां पारंपरिक बुनाई तकनीकों की ट्रेनिंग दी जाती है. उनके प्रयासों से 250 से ज्यादा महिलाओं को काम मिला, 110 से अधिक करघे लगाए गए और 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को भी रोजगार के अवसर दिए गए.
सैली ने न सिर्फ एक कला को बचाया, बल्कि इसे एक सफल व्यापार का रूप भी दिया. उन्होंने इस कारीगरी को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाया और इसे आर्थिक रूप से टिकाऊ बनाया. उनके इस योगदान की वजह से महेश्वरी हैंडलूम आज सिर्फ मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे पूरी दुनिया में पसंद किया जाता है.
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सैली होलकर को पद्म श्री से सम्मानित किया जाना इस बात का प्रमाण है कि उनका काम सिर्फ कला को बचाने तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने हजारों लोगों की जिंदगी को भी बेहतर बनाया.