SBI Report: दुनिया से खत्म हो रहा अमेरिकी प्रभुत्व, ग्लोबल ट्रेड प्लेयर के रूप में उभर रहा भारत
SBI Report on US Economy: लॉन्ग टर्म डेटा जीडीपी ग्रोथ में लगातार गिरावट और निर्यात में गिरावट, कमजोर होते कंज्यूमर पैटर्न का संकेत देते हैं. SBI की रिपोर्ट के अनुसार, चिंता की बात यह है कि अमेरिका में जीडीपी के मुकाबले नेट सेविंग 2011 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई है.
SBI Report on US Economy: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की नई रिसर्च रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में हाल ही में आई तेजी में कुछ असामान्यता सकती है, जो महामारी के बाद के अस्थिर नीतिगत उपायों से प्रेरित है. अमेरिकी अर्थव्यवस्था असाधारणवाद की ओर बढ़ रही है? शीर्षक वाली रिपोर्ट में कई चिंताजनक रुझानों की एक सीरीज शामिल है, जो अमेरिकी ग्रोथ क्षमता, निवेश और उत्पादकता में लॉन्ग टर्म गिरावट की ओर इशारा करती है . इससे अमेरिकी आर्थिक असाधारणता के संभावित अंत का संकेत मिलता है.
कमजोर होता कंज्यूमर पैटर्न
SBI के अनुसार, कोविड के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था में उछाल संभवत एक असाधारण घटना थी, जो स्ट्रक्चरल मजबूती की तुलना में जरूरत से अधिक खर्च पॉलिसी के चलते आई थी. लॉन्ग टर्म डेटा जीडीपी ग्रोथ में लगातार गिरावट और निर्यात में गिरावट, कमजोर होते कंज्यूमर पैटर्न का संकेत देते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था में उछाल जरूरत से अधिक खर्च पॉलिसी के चलते एक असाधारण घटना हो सकती है.रिपोर्ट में कहा गया है कि टोटल फैक्टर प्रोडक्टिविटी (TFP) वृद्धि और वैल्यू एडिशन जैसे अंडरलेइंग इंडिकेटर नीचे की ओर बढ़ रहे हैं.
जीडीपी के मुकाबले नेट सेविंग
SBI की रिपोर्ट के अनुसार, चिंता की बात यह है कि अमेरिका में जीडीपी के मुकाबले नेट सेविंग 2011 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई है, जबकि डेट टू जीडीपी रेश्यो में लगातार वृद्धि जारी है. स्टडी में यह भी बताया गया है कि हाई वेज नए निवेश को रोक रहा है. हालांकि, हाई वेज श्रमिकों के लिए पॉजिटिव है. दिसंबर 2024 में नियोक्ता लागत औसतन 31.47 डॉलर प्रति घंटा थी और मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टर लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लिए आवश्यक निवेश को आकर्षित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
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रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी और प्रोडक्टिविटी को पुनर्जीवित करने सहित गहन स्ट्रक्चरल एडजस्टमेंट के बिना अमेरिकी अर्थव्यवस्था निकट भविष्य में अपने संभावित ग्रोथ को फिर से हासिल नहीं कर सकती है. एडजस्टमेंट भले ही हो जाए, लेकिन SBI ने चेतावनी दी है कि इसमें शॉर्ट टर्म लागत शामिल होगी और इसमें अगर-मगर की संभावनाएं होंगी.
टैरिफ करेगा प्रभावित
रिपोर्ट में कहा गया है कि 13 मार्च 2025 से प्रभावी स्टील और एल्युमीनियम आयात पर डोनाल्ड ट्रंप का 25 फीसदी टैरिफ अमेरिकी आर्थिक संभावनाओं को और अधिक प्रभावित कर सकता है. हालांकि, भारत का अमेरिका के साथ ट्रेड डेफिसिट है. लेकिन SBI के अनुसार, भारत इस बदलते फ्लो का लाभ उठा सकता है.
इसके अलावा, अमेरिकी बाजारों की गति कम होती दिख रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका सहित सभी बाजारों की सांस फूलती दिख रही है. यहां तक कि ‘मैग्नीफिसेंट सेवन’ जैसे दिग्गज शेयर आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक जोखिमों के दबाव में टूटने लगे हैं. इन्हें अक्सर बुलेटप्रूफ माना जाता है.
ग्रोथ अनुमान में कटौती
अटलांटा फेड का जीडीपी नाउ मॉडल इस मंदी को दर्शाता है, जिसने अपने Q1 2025 ग्रोथ अनुमान को पहले के +2.9% से घटाकर -2.4% कर दिया है. यह एक तेज बदलाव है, जिसने मंदी की आशंकाओं को हवा दी है. SBI ने लिखा है कि पिछले एक साल में अमेरिकी आर्थिक ग्रोथ में गिरावट आई है. जीडीपी ग्रोथ Q4 2023 में 3.2% से Q4 2024 में 2.5% तक गिर गई है.
भारत को मिलेगा फायदा
अगर व्यापक रूप से देखें, तो SBI की रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि भारत को इस उथल-पुथल से लाभ होगा. चूंकि अमेरिका और अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाएं मंदी का सामना कर रही हैं, इसलिए भारत का अलग-अलग एक्सपोर्ट बेस, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स की तलाश और मजबूत घरेलू खपत इसे कैपिटल और बाजार हिस्सेदारी आकर्षित करने में मदद कर सकती है.
रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि भारत ने पिछले पांच वर्षों में 13 एफटीए पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें यूएई और ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख साझेदार शामिल हैं और यूके, कनाडा और ईयू के साथ नए एग्रीमेंट पर रूप से बातचीत चल रही है.
पारस्परिक टैरिफ का भारत पर असर
एसबीआई ने नोट किया कि अमेरिका से पारस्परिक टैरिफ भारत को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने की संभावना नहीं है. निर्यात में केवल 3-3.5% की गिरावट का अनुमान है, जिसे मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर्स में लक्ष्यों को बढ़ाकर ऑफसेट किया जा सकता है.
कुल मिलाकर SBI की रिपोर्ट एक ऐसी दुनिया का संकेत देती है जो अमेरिकी प्रभुत्व से दूर जा रही है, जिसमें बढ़ते कर्ज, धीमी ग्रोथ और ट्रेड वॉर अमेरिका के आर्थिक भविष्य पर बड़े प्रभाव डाल रहे हैं. दूसरी तरफ भारत संभावित रूप से एक उभरते वैश्विक व्यापार खिलाड़ी के रूप में कदम रख रहा है.