HDFC से जुड़ा इनसाइडर ट्रेडिंग का मामला, SEBI ने लगाया 74 लाख का जुर्माना
Sebi ने इनसाइडर ट्रेडिंग के इस मामले को भले ही निपटा दिया हो, लेकिन इस केस से पता चलता है कि गोपनीय जानकारी का दुरुपयोग कितना गंभीर हो सकता है और नियामकों की कड़ी नजर भी रहती है. ऐसे मामलों में शामिल सभी पक्षों को बड़ी सजा या आर्थिक दंड का सामना करना पड़ सकता है.
इनसाइडर ट्रेडिंग जहां कोई कंपनी के अंदर की खबर को पहले ही किसी के साथ साझा कर दे और वो उस जानकारी का फायदा उठा लें, लेकिन ऐसा करना नियमों के खिलाफ है. हाल ही ऐसे ही मामला सामने आया था लेकिन जिसमें दो लोग शामिल हैं जिनमें से एक Deloitte India का एक पूर्व कर्मचारी है. दोनों ने 23 दिसंबर को मार्केट रेगुलेटर सेबी के साथ मिलकर 74 लाख रुपये का सेटलमेंट चार्ज देकर इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोपों से संबंधित मामला सुलझा लिया है.
मामले में शामिल दो लोग निमाई पारेख और राहिल दलाल हैं. दोनों सेबी को आवेदन दे कर मामला सुलझा लिया है. इन्होंने “सेबी के निष्कर्षों को स्वीकार या खारिज किए बिना” मामले को निपटाने की पेशकश की थी.
सेबी के होल टाइम मेंबर कमलेश सी वर्शने ने आदेश दिया कि “आवेदकों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई अब इस मामले के लिए सुलझाई गई मानी जाएगी.”
मामला क्या है?
सेबी ने HDFC Ltd और HDFC Bank Ltd के स्टॉक्स की जांच की थी. यह देखा गया कि क्या किसी व्यक्ति ने दोनों कंपनी के मर्जर से जुड़ी जानकारी का दुरुपयोग कर ट्रेडिंग नियमों का उल्लंघन किया है? यह जांच नवंबर 2021 से अप्रैल 2022 के बीच की गई थी. HDFC और HDFC Bank ने मर्जर की घोषणा 4 अप्रैल, 2022 को बाजार खुलने से पहले की थी.
निमाई पारेख, Deloitte Touche Tohmatsu India की वैल्यूएशन टीम का हिस्सा थे. Deloitte को HDFC Bank ने 29 मार्च, 2022 मर्जर के लिए वैल्यूअर नियुक्त किया था. पारेख के पास ये गोपनीय जानकारी 29 मार्च, 2022 से थी.
राहिल दलाल और निमाई पारेख दोनों करीबी दोस्त थे और अक्सर बातचीत करते थे. सेबी ने पाया कि पारेख ने ये गोपनीय जानकारी दलाल के साथ साझा की, जिससे वह भी इनसाइडर बन गए. दलाल ने यह जानकारी अपने पिता के साथ भी साझा की, जो नियमों का उल्लंघन था.
सेबी ने लगाया जुर्माना
पारेख और दलाल ने सेबी के साथ सेटलमेंट आवेदन दाखिल किया. सेबी की हाई पावर्ड एडवाइजरी कमिटी (HPAC) ने इनके संशोधित सेटलमेंट शर्तों को मंजूरी दे दी है. इसके तहत, पारेख ने 39 लाख और दलाल ने 35 लाख रुपये का सेटलमेंट चार्ज अदा किया है.