सेबी बोर्ड बैठक में निवेशकों के हित में बड़ा फैसला, 3 की जगह अब नाबालिग सहित 10 नॉमिनी चुनने का विकल्प
भारतीय प्रतिभूति बाजार (सेबी) ने निवेशकों को अपना नॉमिनी चुनने के लिहाज से बड़ी आजादी दी है. 30 सितंबर को हुई बोर्ड बैठक में सेबी ने तय किया है कि अब बाजार से जुड़े सभी संस्थानों में नॉमिनेशन से जुड़े नियम और प्रक्रिया समान होगी.
30 सितंबर सोमवार को भारतीय प्रतिभूति बाजार (सेबी) ने निवेशकों को अपना नॉमिनी चुनने के लिहाज से बड़ी आजादी दी है. बोर्ड बैठक में सेबी ने तय किया है कि अब बाजार से जुड़े संस्थान, जैसे एक्सचेंज और डिपॉजिटरी में नॉमिनेशन से जुड़े नियम एक समान होंगे. इसके अलावा अब 3 की जगह निवेशक 10 नॉमिनी चुन पाएंगे. सेबी ने इस संबंध में जारी अपने बयान में कहा कि नॉमिनेशन की सुविधाओं को निवेशकों के अनुकूल बनाने और इन्हें समान मानदंडों के तहत लाने के लिए यह फैसला किया गया है.
नए नियमों के तहत निवेशकों के लिए सुविधाएं बढ़ाने और भारतीय प्रतिभूति बाजार में नामांकन सुविधाओं के लिए समान मानकों को लागू करने के लिए बोर्ड ने सेबी (म्यूचुअल फंड) विनियम, 1996 और सेबी (डिपॉजिटरी और प्रतिभागी) विनियम, 2018 में संशोधन को मंजूरी दी है. इन संशोधनों के तहत मिले अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए सेबी ने नए मानदंडों को अधिसूचित किया. इनमें मानदंडों के तहत अब नामांकित व्यक्तियों की अधिकतम संख्या 3 से बढ़ाकर 10 कर दी गई है. इसके साथ ही नामांकित व्यक्तियों को अक्षम निवेशकों की तरफ से निवेश करने की अनुमति दी गई है. हालांकि, इसमें निवेशकों के साथ जोखिम को घटाने के उपाय भी किए गए हैं.
सेबी ने नए मानदंडों की जानकारी देते हुए बताया कि न्यूनतम दस्तावेजों के साथ नामांकित व्यक्तियों के लिए फंड और निवेश के हस्तांतरण प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा. इसके साथ ही संयुक्त धारकों के लिए भी न्यूनतम दस्तावेजों के साथ हस्तांतरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाएगा. हालांकि, नामांकित व्यक्तियों के लिए यह जरूरी है कि वे अपनी विशिष्ट पहचान साबित करें, इसके लिए पैन, पासपोर्ट नंबर या आधार में से एक का होना जरूरी है.
वहीं, नामांकन की अखंडता, प्रामाणिकता और सत्यापनीयता बनाए रखने, नमांकन में बदलाव करने के संबंध में दिशानिर्देश देते हुए कहा है कि नामांकन को स्वीकार करने और रिकॉर्ड बनाए रखने का प्रावधान किया जाएगा. नामांकित व्यक्ति को बदलने की संख्या पर कोई सीमा नहीं है. निवेशक, चाहे जितनी बार इसमें बदलाव कर सकते हैं. निवेशकों को नामांकन विवरण की जानकारी मुहैया कराई जाएगी, ताकि वे यह सत्यापित कर सकें कि नामांकित व्यक्ति वही हैं, जो उन्होंने चुने हैं. जीवित नामांकित व्यक्तियों को परिसंपत्तियों का आवंटन स्पष्ट किया जाएगा. नाबालिग नामांकित व्यक्तियों का अभिभावक कौन होगा यह भी पहले ही साफ किया जाएगा.
बोर्ड ने डीमैट खातों और म्यूचुअल फंड निवेशों में भी नामांकन के लिए समान मानदंडों की शुरूआत को मंजूरी दी है. इसके मुख्य प्रावधानों में नामांकित व्यक्तियों को निवेश हस्तांतरित करने की व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही निवेशक के कानूनी उत्तराधिकारियों के लिए किसी नॉमिनी का ट्रस्टी के तौर पर काम करने का भी विकल्प रखा गया है. इसके साथ ही साफ किया गया है कि संयुक्त होल्डिंग के मामलों में उत्तरजीविता का नियम लागू होगा.
नामांकित व्यक्ति के कानूनी उत्तराधिकारियों को कोई अधिकार नहीं
वहीं, हिंदू अविभाजित परिवार में निवेशकर्ता की मृत्यु की स्थिति में खातों के संचालन के लिए विशिष्ट मानदंड तय किए गए हैं. इनके तहत मृतक नामांकित व्यक्ति के कानूनी उत्तराधिकारियों को कोई अधिकार नहीं दिया जाएगा. यदि पहले से गिरवी रखी गई संपत्ति नामांकित व्यक्ति को हस्तांतरित की जाती है, तो लेनदारों के दावों को प्राथमिकता दी जाएगी. संयुक्त डीमैट खातों और संयुक्त रूप से रखे गए म्यूचुअल फंड फोलियो के लिए नामांकन वैकल्पिक होगा. एकल रूप से रखे गए खातों के लिए, ऑप्ट-आउट के लिए निर्दिष्ट रूप से उचित पुष्टि की आवश्यकता होगी.