SEBI BOARD MEETING : 17 फैसलों पर मुहर, फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग के नियमों में कोई बदलाव नहीं
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट सेलर ग्रुप हिंडनबर्ग की तरफ से हितों के टकराव संबंधी आरोप लगाए जाने के बाद सेबी की पहली बोर्ड बैठक हुई. बैठक में न तो बुच पर लगे आरोपों को लेकर कोई बात हुई. न फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग पर कड़ाई करने का कोई फैसला लिया गया.
बाजार नियामक सेबी की सोमवार शाम हुई बैठक में 17 अहम फैसले हुए. पहला फैसला शेयर बाजार को लेकर किया गया. सेबी ने तय किया है कि किसी भी ब्रोकर को अपने प्लेटफॉर्म यूजर यानी निवेशकों को ASBA जैसी सुविधा या 3-इन-वन खाता देना होगा. सेबी ने स्टॉक ब्रोकरों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे या तो ग्राहकों को यूपीआई-ब्लॉक मैकेनिज्म प्रदान करें, या ASBA यानी एप्लिकेशन सपोर्टेड ब्लॉक अमाउंट जैसी सुविधा प्रदान करें. नए नियम 1 फरवरी, 2025 से लागू होंगे. थ्री-इन-वन ट्रेडिंग अकाउंट एक संयुक्त खाता होता है, जिसमें बचत खाता, डीमैट खाता और ट्रेडिंग खाता शामिल होता है.
T+0 सेटलमेंट का दायर बढ़ेगा
सेबी ने 21 मार्च, 2024 को टी+0 सेटेलमेंट की एक बड़ी पहले शुरू की थी. बोर्ड बैठक में इस पहले को जारी रखने और आगे बढ़ाने पर सहमति बनी है. मार्च में शुरु हुई इस पहल का लाभ 25 कंपनियों के शेयरों की निश्चित ब्रोकर्स के जरिये खरीद-फरोख्त करने वालों को मिल रहा था. अब सेबी ने तय किया है कि T+0 सेटलमेंट के अब दायरा बाजार पूंजीकरण के आधार पर शीर्ष 500 कंपनियों के शेयरों तक बढ़ाया जाएगा. इससे सभी पंजीकृत स्टॉक ब्रोकर अपने निवेशकों को वैकल्पिक T+0 सेटलमेंट दे पाएंगे. स्टॉक ब्रोकर इस सुविधा के लिए अलग-अलग ब्रोकरेज चार्ज लेने के लिए स्वतंत्र होंगे.
इसके अलावा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और म्यूचुअल फंड सहित बड़े संस्थानों को भी टी+0 सेटेलमेंट का इस्तेमाल कर पाएंगे.
निवेश सलाहकारों के लिए नियम होंगे आसान
देश में घरेलू निवेशकों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखकर सेबी ने तय किया है कि निवेश सलाहकारों और रिसर्च एनालिस्ट से जुड़े नियामकीय ढांचे और नियमों को आसान बनाया जाएगा. इसके लिए सेबी ने पात्रता मानदंडों में छूट देने, अनुपालन आवश्यकताओं को सरल बनाने और विनियामक ढांचे की समीक्षा के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.
नियमों के उल्लंघन पर जल्द होगा निपटारा
सेबी ने तय किया है कि कुछ नियमों का उल्लंघन होने पर मामलों के त्वरित निपटारा किया जाएगा. इसके लिए सेबी (मध्यस्थ) विनियम, 2008 में संशोधन के प्रावधानों को मंजूरी दी है. ये प्रावधान निवेशकों के हितों की रक्षा करने और उल्लंघन के कुछ मामलों में बाजार की अखंडता, पारदर्शिता और दक्षता बनाए रखने में बोर्ड की क्षमता को बढ़ाएंगे.