सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच बोलीं, आरोप दुर्भावनापूर्ण, झूठे और अपमानजनक; सभी नियमों का किया पालन
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने माधबी पुरी बुच पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सेबी प्रमुख रहते हुए 2016 से 2024 तक एगोरा के जरिये 2.95 करोड़ कमाए हैं. ये पैसे महिंद्रा एंड महिंद्रा, डॉक्टर रेड्डीज, पिडीलाइट, आईसीआईसीआई, सैम्बकॉर्प और विसूलीजी एंड फाइनेंस जैसी लिस्टेड कंपनियों से मिले हैं, जिन्हें सेबी से रेगुलेट करती है. ये सभी एगोरा की क्लाइंट हैं.
कांग्रेस लगातार बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच पर हमलावर है. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बुच पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सेबी प्रमुख रहते हुए 6 कंपनियों से 2 करोड़ से ज्यादा की रकम हासिल की है. ये कंपनियां एगोरा की क्लाइंट हैं और बुच को एगोरा से 2016 से 2024 के बीच 2.95 करोड़ रुपये मिले हैं. कांग्रेस के इन आरोपों पर शुक्रवार को बुच ने सफाई देते हुए कहा, उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप दुर्भावनापूर्ण, झूठे और अपमानजनक हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा, जिन कंपनियों के लिए उन्होंने सेबी प्रमुख बनने से पहले काम किया, उनमें से किसी के भी नियामकीय मामले में कोई फैसला नहीं किया है.
सेबी प्रमुख माधबी और उनके पति धवल बुच ने शुक्रवार को उनके ऊपर लगाए गए आरोपों पर जवाब देते हुए 4 पन्नों का बयान जारी किया है. इसमें कहा गया है कि सेबी में शामिल होने के बाद माधबी ने कभी भी अगोरा एडवाइजरी, अगोरा पार्टनर्स, महिंद्रा ग्रुप, पिडिलाइट, डॉ रेड्डीज, अल्वारेज एंड मार्सल, सेम्बकॉर्प, विसू लीजिंग या आईसीआईसीआई बैंक से जुड़ी किसी भी फाइल को नहीं संभाला है. इन कंपनियों की तरफ से भी इस संबंध में साफ कर दिया गया है कि उनका बुच के साथ सेबी प्रमुख बनने के बाद किसी तरह का कोई संबंध नहीं रहा है. इससे यह साफ हो जाता है कि उनके ऊपर लगाए गए आरोप पूरी तरह से झूठे, दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक हैं.
इसके साथ ही बयान में कहा गया है कि उनके ऊपर जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे उनकी तरफ से भरे गए आयकर रिटर्न पर आधारित हैं. दूसरे शब्दों में कहें, तो कोई भी मामला जिन्हें लेकर उनके ऊपर अनर्गल आरोप लगाए जा रहे हैं किसी तरह की सच्चाई नहीं रखते. बल्कि, उनके आयकर रिटर्न में दी गई जानकारियों को उनके खिलाफ तोड़ मरोड़कर पेश किया जा रहा है. इसके अलावा हमारे आयकर रिटर्न स्पष्ट रूप से धोखाधड़ी और अवैध तरीके से हासिल किए गए हैं. यह न केवल हमारी निजता के मौलिक अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है, बल्कि आयकर अधिनियम का भी उल्लंघन है.
यहां देखें बुच दंपति का पूरा बयान
क्या है 6 पन्ने के बयान का लब्बोलुआब
बयान में मोटे तौर पर 3 मुद्दों पर बात की गई है. पहला मुद्दा सेबी प्रमुख के पति धवल बुच के कंसल्टेशन के काम से जुड़ा है. इसमें कहा गया है कि धवल आईआईटी के इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं. उन्हें प्रक्योरमेंट कंसल्टेशन के क्षेत्र में 35 वर्ष से ज्यादा का अनुभव है. वे अपने क्षेत्र के शीर्ष लोगों में शामिल हैं. वे देश और दुनिया की तमाम शीर्ष कंपनियों के साथ काम कर चुके हैं. एगोरा हो या महिंद्रा धवल बुच को कहीं भी इसलिए नियुक्त नहीं किया गया कि वे सेबी प्रमुख के पति हैं. बल्कि उनके काम की विशेषज्ञता के आधार पर उन्हें नियुक्त किया गया. दूसरा, मुद्दा वॉकहार्ट को संपत्ति किराये पर दिए जाने के से जुड़ा है. इसमें बुच दंपति ने कहा है कि वॉकहार्ट को बहुत ही सामान्य रूप में संपत्ति किराये पर दी गई. बाद में यह कंपनी सेबी की जांच के दायरे में आई. इस मामले में माधबी बुच का कोई दखल नहीं था. इसके अलावा कंपनी की जांच के दौरान किसी तरह का कोई भी आरोप सेबी प्रमुख पर नहीं लगा. इसके अलावा तीसर मुद्दा सेबी प्रमुख के आईसीआईसीआई बैंक में काम करने से जुड़ा है. इसमें कहा गया है माधबी बुच ने बैंक की नौकरी छोड़ने के बाद किसी तरह का कोई वेतन नहीं लिया. बल्कि, काम के दौरान जो ईएसओपी यानी कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन को भुनाया, जिसके लिए 10 वर्ष की समय सीमा होती है.