SEBI BOARD MEETING : कंपनियों के लिए निवेश जुटाना होगा आसान, राइट्स इश्यू के नियमों नरमी

सेबी देश में कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के सरकार के लक्ष्य से सहमत है. 30 सितंबर को हुई बोर्ड मीटिंग में इसके लिए बाजार नियामक ने कंपनियों को जल्द निवेश जुटाने में सक्षम बनाने के लिए राहत का एलान किया है. इसके लिए सेबी राइट्स इश्यू संबंधी नियमों में ढील देने को तैयार है.

सेबी ने लिस्टिंग को पारदर्शी बनाने के लिए नियमों में कई बदलाव भी किए हैं. Image Credit: GettyImages

देश में कारोबारी सुगमता बढ़ाने के लिए सरकार के साथ ही बाजार नियामक भी कंपनियों की मदद को तैयार है. सोमवार को सेबी ने बोर्ड बैठक में राइट्स इश्यू संबंधी नियमों में ढील देने का एलान किया है. इससे कंपनियों के लिए जल्द निवेश हासिल करना आसान हो जाएगा. सेबी ने कैपिटल इश्यू और डिक्लोजर रेग्युलेशन, 2018 के तहत विशेष निवेशकों को जल्दी शेयर आवंटित करने के लिए राइट्स इश्यू व्यापार को आसान बनाने का एलान किया है. राइट्स इश्यू के जरिये कंपनियां अपने मौजूदा निवेशकों से आसानी से निवेशक हासिल कर पाएंगी.

सेबी ने तय किया है कि जिस दिन कंपनी का बोर्ड राइट्स इश्यू जारी करने की मंजूरी देता है. उससे 23 दिन के भीतर राइट्स इश्यू की प्रक्रिया को पूरा करना होगा. फिलहाल, यह औसत समयसीमा 317 दिन की है. यह व्यवस्था मौजूदा तरजीही आवंटन मार्ग से भी तेज होगी, जिसमें 40 दिन दिवस लगते हैं. इसके अलावा यह बदलाव कंपनी के मौजूदा शेयरधारकों को कंपनी के भविष्य के संभावित विकास में दिलचस्पी और भागीदारी लेने का अवसर देगा.

इसके अलावा लिस्टेड कंपनियों को अब राइट्स इश्यू के लिए सेबी के पास ड्राफ्ट लेटर ऑफ ऑफर दाखिल करने की जरूरत नहीं होगी. इसके बजाय इसे सैद्धांतिक मंजूरी के लिए स्टॉक एक्सचेंजों के पास दाखिल किया जाएगा, क्योंकि कंपनी पहले से ही सूचीबद्ध है. इसमें स्टॉक एक्सचेंज पुष्टि करेंगे कि जारीकर्ता एलओडीआर प्रकटीकरण आवश्यकताओं का अनुपालन कर रहा है या नहीं. इसके अलावा राइट्स इश्यू के बारे में केवल प्रासंगिक जानकारी जैसे कि जारी करने का मकसद, मूल्य, रिकॉर्ड तिथि, पात्रता अनुपात जैसी जानकारियां ही देनी होंगी. इससे यह प्रक्रिया बेहद सरल हो जाएगी.

नई व्यवस्था के तहत राइट्य इश्यू जारी करने के लिए कंपनी को किसी मर्चेंट बैंकर को नियुक्ति करना जरूरी नहीं होगा. इसके साथ ही आवेदनों का सत्यापन और आवंटन के आधार को अंतिम रूप देने का काम स्टॉक एक्सचेंज और डिपॉजिटरी रजिस्ट्रार का होगा. इसके अलावा, स्टॉक एक्सचेंज और डिपॉजिटरी 6 महीने के भीतर आवेदनों के स्वचालित सत्यापन के लिए एक प्रणाली विकसित करेंगे.

सेबी के नए नियमों के तहत प्रमोटरों को यह सुविधा दी है कि वे विज्ञापन के माध्यम से उचित खुलासे करते हुए किसी विशिष्ट निवेशक को अपने अधिकार दे सकते हैं. इसके अलावा सभी राइट्स इश्यू के लिए एक निगरानी एजेंसी की नियुक्ति अनिवार्य होगी, चाहे इश्यू का साइज कुछ भी हो, ताकि इश्यू की आय के उपयोग की निगरानी की जा सके. इसके अलावा पहली बार 50 करोड़ रुपये से कम के इश्यू को भी इन नियमों के तहत राइट्स इश्यू के दायरे में लाया गया है.