अनिल अंबानी की Reliance Power को बड़ी राहत, SECI ने हटाई पाबंदी, फ्रॉड के मामले में लगा था बैन

अनिल अंबानी की Reliance Power को बड़ी राहत मिली है. अनिल अंबानी की कंपनियों पर Solar Energy Corporation of India (SECI) की तरफ से लगाए गए 3 साल के बैन को हटा दिया गया है. जून में एसईसीआई ने एक निविदा में फ्रॉड करने के मामले में यह बैन लगाया था.

कंपनी पर 3 साल के लिए बैन लगाया गया था. Image Credit: Money9

अनिल अंबानी की Reliance Power को Solar Energy Corporation of India (SECI) की तरफ से बड़ी राहत मिली है. एसईसीआई ने पिछले महीने रिलायंस और इसकी सहयोगी कंपनियों को 3 साल के बैन कर दिया था. कंपनी पर जून में एसईसीआई के एक प्रोजेक्ट के लिए दाखिल निविदा दस्तावेजों में फ्रॉड करने का आरोप लगा था.

रिलायंस ने जब एसईसीआई के प्रोजेक्ट को हासिल कर लिया तो उसके बाद दस्तावेजों के जांच में सामने आया कि कंपनी ने बैंक गारंटी के संबंध में जमा कराए दस्तावेजों में घपला किया है. रिन्युएबल एनर्जी का यह प्रोजेक्ट 1,000 मेगावाट व 2,000 मेगावाट आवर की स्टैंडअलोन बैटरी एनर्जी स्टोरेज बनाने के लिए के था. लेकिन, बाद में इस निविदा को रद्द कर दिया गया.

एसईसीआई ने यह बैन असल में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद हटाया है. हाईकोर्ट ने रिलायंस पावर की सहायक कंपनी रिलायंस एनयू बीईएसएस को छोड़कर अन्य सभी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के आदेश पर स्टे लगा दिया था. इससे पहले 6 नवंबर को एसईसीआई ने कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज जमा करने की वजह से रिलायंस पावर और उसकी सहायक कंपनी रिलायंस एनयू बीईएसएस को तीन साल के किसी भी निविदा में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया था.

एसईसीआई ने क्या कहा

मंगलवार को जारी नोटिफिकेशन में एसईसीआई ने कहा, संबंधित कानूनी कार्यवाही के बाद यह अधिसूचित किया जाता है कि मेसर्स रिलायंस पावर लिमिटेड को जारी किया गया बैन नोटिस तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है. यह वापसी कानून के मुताबिक सभी कार्रवाई करने के एसईसीआई के अधिकार पर कोई असर डाले बिना लिया गया है.

क्यों लगाया गया बैन

यह प्रतिबंध पिछले महीने तब लगाया गया जब महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड (मौजूदा रिलायंस एनयू बीईएसएस) की तरफ से पेश दस्तावेजों में गड़बड़ी पाई गई. दस्तावेजों की समीक्षा के दौरान पता चला कि रिलायंस ने विदेशी बैंक की तरफ से जारी बैंक गारंटी का एंडोर्समेंट फर्जी था. ई-रिवर्स नीलामी के बाद इस गड़बड़ी का पता चला है, लिहाजा पूरी निविदा प्रक्रिया को रद्द किया जाता है.

रिलायंस को मिला था प्रोजेक्ट

सितंबर में रिलायंस पावर ने ई-रिवर्स नीलामी के जरिये से बीईएसएस परियोजना के जरिये अक्षय ऊर्जा और भंडारण क्षेत्र में प्रवेश करने का ऐलान किया था. ई-रिवर्स नीलामी एक ऑनलाइन नीलामी होती है, जिसमें आपूर्तिकर्ता बोलियां जमा करके खरीदार ये प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं. इसमें बोलियों की कीमत धीरे-धीरे कम होती जाती है. आखिर में जो सबसे कम बोली लगाता है, प्रोजेक्ट उसे दिया जाता है.

नोटिस को चुनौती दी गई

रिलायंस पावर ने दिल्ली हाईकोर्ट में एसईसीआई के बैन को चुनौती दी थी. रिलायंस ने इस पूरे मामले की जानकारी सेबी के नियमों के तहत स्टॉक एक्सचेंज को दी है. इसमें बताया गया है कि रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड को छोड़कर रिलायंस पावर व दूसरी सहायक कंपनियां एसईसीआई की सभी निविदाओं में भाग ले सकती हैं.