2000 परिवारों के पास भारत की 18% संपत्ति, लेकिन 2 फीसदी भी नहीं Tax में योगदान, CEO ने बताया ‘पागलपन’

बॉम्बे शेविंग कंपनी (Bombay Shaving Company) के फाउंडर और सीईओ शांतनु देशपांडे (Shantanu Deshpande) ने कहा कि लोग आर्थिक असमानता की वजह से काम करने को मजबूर हैं. ज्यादातर लोगों को अपनी नौकरी पसंद नहीं है.

2000 परिवारों के पास देश की 18 फीसदी संपत्ति. Image Credit: Getty image

आए दिन हमें एक बहस देखने और सुनने को मिलती रहती है कि देश की संपत्ति के एक बड़े हिस्से पर कुछ ही लोगों का कब्जा है और ये लगातार बढ़ रहा है. अब इसको लेकर बॉम्बे शेविंग कंपनी (Bombay Shaving Company) के फाउंडर और सीईओ शांतनु देशपांडे (Shantanu Deshpande) ने एक दिलचस्प आंकड़ा सामने रखा है. शांतनु देशपांडे ने दावा किया है कि 2000 परिवारों के पास भारत की 18 फीसदी संपत्ति है, लेकिन टैक्स कंट्रीब्यूशन में उनका हिस्सा काफी कम है. अपनी लिंक्डइन पोस्ट में इस आंकड़े को लेकर शांतनु देशपांडे ने बहुत कुछ कहा है. साथ ही टैक्स में 2000 परिवारों के योगदान को लेकर उन्होंने हैरानी जताई है और इसे ‘पागलपन’ कहा है. उन्होंने देश में आर्थिक असमानता की स्थिति को बयां किया.

आर्थिक असमानता बनी मजबूरी

हाल ही में लिंक्डइन पोस्ट में देशपांडे ने बताया कि उन्होंने अन्य सफल एंटरप्रेन्योर के साथ मिलकर ‘कड़ी मेहनत करो और ऊपर चढ़ो’ की कहानी को लोकप्रिय बनाया है. उन्होंने हाल ही में महसूस किया कि अधिकांश भारतीय आर्थिक असमानता के कारण काम करने के लिए मजबूर हैं. शांतनु देशपांडे ने कहा कि बहुत से लोग इसलिए काम नहीं करते क्योंकि वे ऐसा करना चाहते हैं, बल्कि इसलिए करते हैं क्योंकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण करना चाहते हैं. देशपांडे का मानना ​​है कि अगर लोगों के पास वित्तीय सुरक्षा होती, तो ज्यादातर लोग तुरंत अपना काम छोड़ देते.

ऐसा हुआ तो 99 फीसदी लोग नहीं करेंगे काम

बॉम्बे शेविंग के फाउंडर और सीईओ ने लिखा कि मुझे जो दुखद और देर से अहसास हुआ, वह यह है कि ज्यादातर लोगों को अपनी नौकरी पसंद नहीं है. अगर भारत में हर किसी को उनकी मौजूदा नौकरी से मिलने वाला गुजारा भत्ता और वित्तीय सुरक्षा दी जाए, तो 99 फीसदी लोग अगले दिन काम पर नहीं आएंगे. उन्होंने कहा कि ब्लू-कॉलर वर्कफोर्स से लेकर सरकारी कर्मचारियों, गिग वर्कर्स, कारखानों, बीमा सेल्समैन, बैंकों, छोटे व्यवसाय मालिकों और यहां तक ​​कि ‘फन और एम्प्लॉई फ्रेंडली स्टार्टअप’ तक की कहानी एक जैसी है. और यही हकीकत है.

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कितना है टैक्स में योगदान

शांतनु देशपांडे ने लिखा कि भारत में 2000 परिवारों के पास हमारी राष्ट्रीय संपत्ति का 18 फीसदी हिस्सा है. यह तो पागलपन है. संख्या के बारे में तो पता नहीं है, लेकिन वे 1.8 फीसदी भी टैक्स नहीं देते हैं. ये परिवार और मेरे जैसे अन्य ‘इक्विटी बिल्डर्स’ ‘कड़ी मेहनत करो और ऊपर चढ़ो’ की कहानी को आगे बढ़ाने के दोषी हैं. क्योंकि यह निश्चित रूप से स्वार्थी है, लेकिन इसके अलावा और क्या विकल्प है.

बहुत कठिन है लोगों का जीवन

उन्होंने आगे कहा कि हम कोई दूसरा रास्ता नहीं जानते. एक आंकड़ा यह है कि 75 फीसदी अरबपति सेल्फ मेड हैं. लेकिन यह हिस्सा बहुत छोटा है. ज्यादातर लोगों के लिए जीवन बहुत कठिन है और बहुत कम लोग इसे बदलेंगे. अधिकांश लोग थके हुए कंधों पर अदृश्य बोझ ढोते हैं और इस मुश्किल परिस्थिति के बीच मुस्कुराते हुए आगे बढ़ते हैं.