सीतारमण ने बताया अमेरिकी टैरिफ से कैसे निपटेगा भारत, जानिए क्या है वित्त मंत्री का प्लान?
अमेरिका की तरफ से लगाए गए टैरिफ के बाद दुनिया के तमाम देश इस मसले पर अमेरिका से समझौता करने को बेताब हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को इस संबंध में भारत की रणनीति के बारे में बताया. जानते हैं वित्त मंत्री ने अमेरिकी टैरिफ से निपटने के लिए क्या प्लान बनाया है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि वैश्विक व्यापार में उतार-चढ़ाव के बावजूद घरेलू मांग और अर्थव्यवस्था की मजबूती भारत को विकास का इंजन बनाए रखेगी. लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में ‘2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के भारत के प्रयास के लिए अवसर और चुनौतियां’ विषय पर आयोजित एक संवाद में उन्होंने बताया कि भारत कैसे अर्थव्यवस्था से जुड़ी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए अच्छी स्थिति में है. इसके साथ ही बताया कि अमेरिकी टैरिफ से निपटने की भारत की रणनीति क्या है. इसके साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर उन्होंने कहा, “विकास के मोर्चे पर दुनिया की स्थिति कई वर्षों से निराशाजनक है, पहले यह लंबे समय तक कम ब्याज दरें रहीं, अब यह लंबे समय तक कम विकास होने जा रहा है. यह किसी के लिए भी खुशखबरी नहीं है.”
ब्रिटेन के साथ जल्द होगा FTA
सीतारमण ने कहा कि भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते पर जल्द ही सहमति बनने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय निवेश समझौते के साथ-साथ भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता जल्द पूरा होगा.
भारत की रफ्तार पर नहीं लगेंगे ब्रेक
वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति का भारत पर कितना असर होगा, इस मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और घरेलू मांग की मजबूती भारत को वृद्धि का इंजन बनाए रखेंगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने पिछले पांच साल से लगातार अपनी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का दर्जा बरकरार रखा है. हमें लगता है कि यह गति थोड़ी धीमी हो सकती है, लेकिन फिर भी भारत ही उस वृद्धि को बनाए रखेगा. क्योंकि, हमारी वृद्धि घरेलू स्तर पर मौजूद खपत के कारण संतुलित है. यह वैश्विक मानक वाले उत्पादों की मांग द्वारा समर्थित है.’’
अमेरिकी टैरिफ से निपटने का प्लान
सीतारमण ने अमेरिकी टैरिफ से भारत के निपटने के प्लान पर बात करते हुए कहा, ‘‘अमेरिका, भारत का प्रमुख व्यापार भागीदार है. इसलिए, ऐसे समय में जब टैरिफ से व्यापार प्रभावित होने जा रहा है, हमें अभी भी यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत में घरेलू मांग में जो ताकत है, वह वैश्विक आपूर्ति को आकर्षित करने वाले एक बड़े केंद्र के रूप में बनी रहे और उसे बढ़ावा मिले.’’ इसके साथ ही उन्होंने कहा, इस मांग की ताकत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और अंतरराष्ट्रीय विनिर्माण के लिए आकर्षक साबित होगी, जो घरेलू बाजार के लिए आपूर्ति करेगी और भारत से निर्यात भी करेगी.