श्रीलंका में अटका अडानी ग्रुप का प्रोजेक्ट, नई सरकार ने कोर्ट में कही ये बात
अडानी समूह ने 2022 में मन्नार और पूनरी के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 484 मेगावाट (MW) विंड एनर्जी डेवलपमेंट लिए 440 मिलियन डॉलर के निवेश की योजना बनाई थी. याचिकाकर्ताओं ने अडानी समूह की अडानी ग्रीन पर प्रोजेक्ट के विडिंग प्रोसेस में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया है.
श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की सरकार फिलहाल अडानी समूह को राहत देने के मूड में नजर नहीं आ रही. सरकार ने सोमवार को देश के सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि वो अडानी समूह के विंड पावर प्रोजेक्ट पर पुनर्विचार करेगी. इस प्रोजेक्ट को पिछली सरकार ने मंजूरी दे दी थी. लेकिन नई सरकार का रुख इस प्रोजेक्ट को लेकर पिछली सरकार से बिल्कुल ही उलट नजर आ रहा है.
श्रीलंका के अटॉर्नी जनरल ने पांच न्यायाधीशों वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ को बताया कि प्रोजेक्ट की मंजूरी की समीक्षा का निर्णय 7 अक्टूबर को हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया था. उन्होंने अदालत को बताया कि 14 नवंबर को संसदीय चुनाव होने है. इसके बाद नए मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण के बाद नई सरकार का अंतिम निर्णय बता दिया जाएगा.
अडानी ग्रीन पर आरोप
अडानी समूह ने 2022 में मन्नार और पूनरी के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 484 मेगावाट (MW) विंड एनर्जी डेवलपमेंट लिए 440 मिलियन डॉलर के निवेश की योजना बनाई थी. श्रीलंका की शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं ने अडानी समूह की अडानी ग्रीन पर प्रोजेक्ट के विडिंग प्रोसेस में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया है.
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि 0.0826 अमेरिकी डॉलर प्रति kWh का मंजूर टैरिफ श्रीलंका के लिए नुकसानदेह होगा और इसे घटाकर 0.005 अमेरिकी डॉलर प्रति kWh किया जाना चाहिए. 21 सितंबर के राष्ट्रपति चुनाव से पहले नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) गठबंधन के दिसानायके ने कहा था कि अगर वे सत्ता में आए तो इस परियोजना को रद्द कर देंगे.
श्रीलंका में अडानी समूह का कारोबार
2021 में अडानी समूह ने कोलंबो बंदरगाह पर वेस्ट कंटेनर टर्मिनल (WCT) को डेवलप करने और संचालित करने का अनुबंध हासिल किया, जो इस क्षेत्र के सबसे व्यस्त ट्रांस-शिपमेंट बंदरगाहों में से एक है. यह परियोजना श्रीलंका के जॉन कील्स होल्डिंग्स और श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी (SLPA) के साथ एक ज्वाइंट वेंचर है, जिसमें अडानी समूह के पास टर्मिनल में 51 फीसदी हिस्सेदारी है.
इस परियोजना में करीब 700 मिलियन डॉलर का निवेश होने की उम्मीद है और इससे बंदरगाह की क्षमता में इजाफा होगा. इस कदम को चीन के प्रभाव को संतुलित करने के रूप में देखा गया, क्योंकि बीजिंग ने पास के कोलंबो इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल (सीआईसीटी) और हंबनटोटा बंदरगाह को डेवलप किया था,