नारियल तेल अब नहीं रहा हेयर ऑयल, सुप्रीम कोर्ट ने 15 साल पुरानी लड़ाई पर लगाया ब्रेक
FMCG को लेकर सुप्रीम कोर्ट से राहत की खबर आई है. कोर्ट ने बुधवार, 18 दिसंबर को 15 साल पुराने विवाद पर ब्रेक लगा दिया है. इस मामले पर कोर्ट ने फैसला सुनाया कि नारियल तेल के छोटे बोतल को एडिबल ऑयल के कैटेगरी में क्लासिफाइड किया जाना चाहिए.
मैरिको और बजाज कंज्यूमर जैसे फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने बुधवार, 18 दिसंबर को 15 साल पुराने विवाद पर ब्रेक लगा दिया है. इस मामले पर कोर्ट ने फैसला सुनाया कि नारियल तेल के छोटे बोतल को एडिबल ऑयल के कैटेगरी में क्लासिफाइड किया जाना चाहिए.
इस तरह के तेल पर 5 फीसदी का टैक्स लगाना चाहिए. साथ ही कोर्ट ने नारियल तेल को हेयर ऑयल के रूप में क्लासिफाइड करने की टैक्स डिपार्टमेंट की मांग को खारिज कर दिया है. डिपार्टमेंट की मांग थी कि हेयर ऑयल पर 18 फीसदी GST लगानी चाहिए.
अदालत ने क्या कहा?
इस मामले पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि नारियल तेल की छोटी बोतलों में पैक किया जाता है और हेयर ऑयल के रूप में लेबल किया जाता है. इसे केंद्रीय उत्पादन शुल्क टैरिफ अधिनियम, 1985 के तहत हेयर ऑयल के रूप में क्लासिफाइड किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय ग्राहक और कंपनियां, दोनों के लिए अच्छा साबित होगा. क्योंकि अगर इन तेल की बोतलों को खाद्य नारियल के रूप में क्लासिफाइड किया जाता तब इसकी कीमत बढ़ सकती थी.
कब शुरू हुआ मामला?
यह मामला 2009 में शुरू हुआ था. उस वक्त कस्टम, एक्साइज और सर्विस टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (सेस्टेट) ने फैसला सुनाया था कि छोटे पैक वाले नारियल के तेल को एडिबल ऑयल की श्रेणी में क्लासिफाइ करना चाहिए. सेस्टेट का फैसला केंद्रीय उत्पाद शुल्क के फैसले से उलट है.
तीन जजों के बेंच ने किया फैसला
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. इस बेंच में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार के अलावा आर महादेवन शामिल थे. इस मामले में कोर्ट ने 17 अक्टूबर को फैसला अपने पास सुरक्षित कर लिया था.