दो हिस्सों में बंट सकती है टाटा मोटर्स, अलग-अलग हो जाएगा कार और ट्रक का बिजनेस
टाटा मोटर्स ने वित्त वर्ष 2024 में 4.38 लाख करोड़ रुपये का अपना अब तक का सबसे अधिक कंसोलिडेटेड रेवेन्यू दर्ज किया. जेएलआर ने रेवेन्यू में 70 फीसदी का योगदान दिया था.
टाटा संस टाटा मोटर्स के लिए एक होल्डिंग कंपनी बनाने की तैयारी में हैं. होल्डिंग कंपनी में टाटा मोटर्स के पैसेंजर व्हीकल (PV) और कमर्शियल व्हीकल (CV) के कारोबार को शामिल किया जाएगा. इन्हें दो अलग-अलग संस्थाओं के रूप में अलग करके रजिस्टर्ड किया जा रहा है. ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि नए स्ट्रक्टर के निर्माण के बाद इन संस्थाओं के बोर्ड में भी बदलाव किया जाएगा. अधिकारियों ने बताया कि टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन इस होल्डिंग यूनिट के चेयरमैन होंगे, जबकि अन्य प्रमुख अधिकारी इसमें शामिल होंगे.
बंटवारे से क्या होगा फायदा?
टाटा मोटर्स के चीफ फाइनेंस ऑफिसर पीबी बालाजी को ऑटोमोबाइल के सफल पुनर्गठन का श्रेय दिया जाता है. उम्मीद जताई जा रही है कि उन्हें पैसेंजर वाहन यूनिट की कमान मिल सकती है. पैसेंजर व्हीकल यूनिट की इलेक्ट्रिक व्हीकल के साथ अधिक महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं. इस डीमर्जर से टाटा मोटर्स को पैसेंजर व्हीकल और कमर्शियल व्हीकल कारोबार के लिए स्वतंत्र रूप से पूंजी जुटाने में मदद मिलने की उम्मीद है.
सीमित तालमेल
यह डीमर्जर 2022 में किए गए पीवी और ईवी व्यवसायों के सब्सिडियरीकरण की एक तार्किक प्रगति है, ताकी दोनों की कारोबार की जवाबदेही हो और तेजी से ग्रोथ के लिए अपनी खुद की रणनीतियों का पालन करें. मामले से जुड़े एक अन्य अधिकारी ने कहा कि वाणिज्यिक वाहन और यात्री वाहन व्यवसायों के बीच सीमित तालमेल है. वहीं पीवी, ईवी और जेएलआर (जगुआर लैंड रोवर) में ईवी, ऑटोनॉमस वाहनों और वाहन सॉफ्टवेयर के क्षेत्रों में बहुत अधिक तालमेल है.
जेएलआर का रेवेन्यू काफी महत्वपूर्ण
डीमर्जर के बाद दोनों ही संस्थाओं (पीवी और सीवी) की रणनीतियों को अलग करने में मदद मिलेगी. फिलहाल कारोबार पैसेंजर बिजनेस की और झुका हुआ है. इसमें यूके स्थित लग्जरी-वाहन निर्माता जेएलआर का रेवेन्यू काफी महत्वपूर्ण है और यह मुख्य रूप से कमाई में योगदान करने वाला सेगमेंट है.
सबकुछ बंट जाएगा
टाटा मोटर्स का भारतीय कारोबार, जिसमें सीवी, पीवी और ईवी शामिल हैं, वो अब 1,000 करोड़ के पॉजिटिव नकदी के साथ ऋण-मुक्त है. ऑटो प्रमुख को उम्मीद नहीं है कि डीमर्जर कर्ज तनाव का कारण बनेगा. हालांकि, टाटा मोटर्स का ग्रॉस डेट दोनों नई संस्थाओं के बीच उनकी एसेट के साइज के अनुपात में विभाजित किया जाएगा. सीवी और पीवी के बीच मौजूदा एसेट विभाजन 60:40 है.
कब तक पूरा हो सकता है बंटवारा
टाटा मोटर्स ने वित्त वर्ष 2024 में 4.38 लाख करोड़ रुपये का अपना अब तक का सबसे अधिक कंसोलिडेटेड रेवेन्यू दर्ज किया. जेएलआर ने रेवेन्यू में 70 फीसदी का योगदान दिया. उसके बाद सीवी ने 18 फीसदी और नॉन-जेएलआर पीवी व्यवसाय ने 12 फीसदी का योगदान दिया. प्रबंधन को उम्मीद है कि 2025-26 की पहली तिमाही में डीमर्जर पूरा हो जाएगा और यह दोनों व्यवसायों के लिए स्वतंत्र कैपिटल स्ट्रक्चर को अनलॉक करेगा.