फ्रीबीज बांटने के लिए राज्य लेंगे 9 लाख करोड़ का कर्ज, पंजाब सबसे बड़ा कर्जदार

फ्रीबीज के चक्कर में राज्यों की माली स्थिति दिनों-दिन खराब होती जा रही है. राज्य सरकारों को इसे पूरा करने के लिए भारी कर्ज लेना पड़ रहा है. हालात ऐसे हैं कि इस साल राज्यों के कर्ज का आंकड़ा 9.20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है. पिछले साल राज्य सरकारों ने 7.17 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. पंजाब के पास उसकी GDP का 44.1 फीसदी कर्ज है.

फ्रीबीज के चक्कर में राज्यों की माली स्थिति खराब Image Credit: money9live.com

Freebies Politics And Debt on States: आजकल चुनाव आते ही सबसे ज्यादा एक शब्द चर्चा में रहता है, वह है “फ्रीबीज.” कई राज्य सरकारों ने चुनावों के दौरान इसकी घोषणा की थी. हाल ही में दिल्ली चुनाव होने वाले हैं, और ऐसे में इस चुनाव में कई पार्टियों ने फ्री स्कीम की घोषणा की है. लेकिन इस फ्रीबीज के चक्कर में राज्यों की माली स्थिति खराब होती जा रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक, कर्नाटक सरकार को अपनी पांच गारंटी पूरी करने के लिए अतिरिक्त 60,000 करोड़ रुपये की जरूरत है.

वहीं, मध्य प्रदेश को लाडली बहना योजना के लिए 24,000 करोड़ रुपये चाहिए, और तेलंगाना की 25 फीसदी आय केवल छह गारंटियों को पूरा करने में लग रही है. ऐसे कुल 15 राज्य हैं, जिनका कर्ज GDP की तुलना में 30 फीसदी से ज्यादा हो गया है. साथ ही, ये राज्य और अधिक कर्ज लेने की योजना भी बना रहे हैं.

9.20 लाख करोड़ तक पहुंचेगा कर्ज का आंकड़ा

दैनिक भास्कर के मुताबिक, इस साल जिन राज्यों को कर्ज लेने की जरूरत है, उनमें कर्नाटक अगले तीन महीने में सबसे ज्यादा 48,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने वाला है. इसके बाद तेलंगाना का नंबर है, जो 30,000 करोड़ रुपये का कर्ज उठाएगा. इसके अलावा तमिलनाडु भी 45,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की योजना बना रहा है.

अगले तीन महीने में 15 राज्य कुल 4.73 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेने वाले हैं, जबकि ये पहले ही 3.46 लाख करोड़ रुपये का कर्ज ले चुके हैं. माना जा रहा है कि इस साल राज्यों का कर्ज 9.20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. पिछले साल की तुलना में यह आंकड़ा 28.17 फीसदी ज्यादा होगा. पिछले साल राज्यों ने 7.17 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया था.

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पांच साल में बढ़ा कर्ज का बोझ

आंकड़ों पर नजर डालें तो यह साफ होता है कि राज्यों का कर्ज पिछले पांच साल में काफी बढ़ा है. वित्त वर्ष 2020-21 में 6.51 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया था, हालांकि उस समय अर्थव्यवस्था कोविड से उबर रही थी. इसके बाद वित्त वर्ष 2021-22 में 4.92 लाख करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2022-23 में 5.18 लाख करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2023-24 में 7.17 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया. वित्त वर्ष 2024-25 (नवंबर तक) में 9.20 लाख करोड़ रुपये कर्ज लेने का अनुमान है.

GDP के मुकाबले पंजाब का सबसे ज्यादा कर्ज

जिन राज्यों ने कर्ज लिया है, उनमें पंजाब ने अपनी GDP के मुकाबले सबसे ज्यादा कर्ज लिया है. पंजाब का कर्ज उसकी GDP का 44.1 फीसदी है. इसके बाद हिमाचल प्रदेश 42.5 फीसदी, अरुणाचल प्रदेश 40.1 फीसदी, नागालैंड 38.6 फीसदी, मेघालय 37.6 फीसदी, पश्चिम बंगाल 36.9 फीसदी, राजस्थान 36 फीसदी, बिहार 35.7 फीसदी, मणिपुर 34.5 फीसदी, त्रिपुरा 34.5 फीसदी, केरल 34 फीसदी, सिक्किम 34 फीसदी, उत्तर प्रदेश 32.7 फीसदी और मध्यप्रदेश 32 फीसदी है.

उत्तर पश्चिम राज्यों के कर्ज

राज्य जनवरी-मार्च (2024-25)2023-24
मध्य प्रदेश 45,00026,264
उत्तर प्रदेश 36,00085,535
राजस्थान 23,70749,718
गुजरात 16,00011,974
महाराष्ट्र 50,000110,000
बिहार 15,54629,910
हरियाणा 23,50028,364
हिमाचल 20005,856
छत्तीसगढ़700026,213
(आंकड़े करोड़ रुपये)