2025 में 6.5 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था, वित्त मंत्रालय ने बताई ये वजह

वित्त वर्ष 2025 के दौरान देश की अर्थव्यवस्था (GDP) करीब 6.5 फीसदी की गति से बढ़ने का अनुमान है. मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी के अनुमान से फिसलकर 5.4 फीसदी रही. इस गिरावट के बाद भी मंत्रालय रियल जीडीपी ग्रोथ के 6.5 फीसदी तक रहने को लेकर आश्वस्त है. मंत्रालय ने समीक्षा रिपोर्ट में इसकी एक बड़ी वजह बताई है.

भारत की जीडीपी Image Credit: GettyImages

वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को अपनी मासिक समीक्षा रिपोर्ट, ‘मंथली इकोनॉमिक रिव्यू’ को जारी किया. रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय ने मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 (FY 2025) में रियल जीडीपी ग्रोथ को लेकर अनुमान लगाया है कि यह करीब 6.5 फीसदी रहेगी. FY 2025 की दूसरी तिमाही (Q2) में 5.4 फीसदी रही. जबकि, अनुमान 7 फीसदी का लगाया गया था. इस तरह जीडीपी ग्रोथ में भारी गिरावट के बाद भी मंत्रालय रियल जीडीपी ग्रोथ के 6.5 फीसदी तक रहने को लेकर आश्वस्त है.

मंत्रालय ये बताई वजह

मंत्रालय ने इस रिपोर्ट में कहा है कि रियल जीडीपी 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है. इसके पीछे ग्रामीण मांग में मजबूतीी, 2024 के अंत में वाहन और ट्रैक्टर की बिक्री में वृद्धि, शहरी मांग में सुधार बड़े कारण हैं. मंत्रालय ने रिपोर्ट में कहा, “ग्रामीण मांग मजबूत बनी हुई है. अक्टूबर-नवंबर 2024 में दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री और घरेलू ट्रैक्टरों की बिक्री में क्रमशः 23.2 फीसदी और 9.8 फीसदी की वृद्धि हुई है. इसके अलावा शहरी मांग बढ़ रही है. अक्टूबर-नवंबर 2024 में पैसेंजर व्हीकल की बिक्री में सालाना आधार पर 13.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसके अलावा घरेलू हवाई यात्री यातायात में मजबूत वृद्धि देखी गई. इन सभी तथ्यों को देखते हुए वित्त वर्ष 2025 में अर्थव्यवस्था वास्तविक रूप से लगभग 6.5 फीसदी की दर से बढ़ सकती है.

रेट कट पर क्या कहा

वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से 18 महीनों से लगातार रेपो दर को 6.5% पर बनाए रखने पर भी टिप्पणी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति रुख का असर आर्थिक गतिविधियों की सुस्ती के पीछे की एक वजह हो सकता है. ऊंची महंगाई दर के चलते बार-बार विकास को समर्थन देने के लिए दरों में कटौती के आह्वान के बावजूद आरबीआई ने 11 बैठकों के बाद भी ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा. जबकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल दोनों ने ब्याज दर कम करने का समर्थन किया था.

खाद्य महंगाई चिंता का कारण

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रबी की बुवाई में अच्छी रही है. इससे अच्छी फसल का संकेत मिल रहे हैं. आगे चलकर यह फसल खाद्य महंगाई का दबाव कम करने में सहायक होगी. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट महंगाई के मोर्चे पर एक सकारात्मक संकेत है. लेकिन, वैश्विक स्तर पर खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि और आयातित खाद्य तेल पर निर्भरता की वजह से खाद्य महंगाई चिंता का कारण बनी रह सकती है. मंत्रालय की पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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