तिरुपति बालाजी, वैष्णो देवी या पद्मनास्वामी किसने चुकाया ज्यादा GST, जानिए मंदिरों पर कैसे लगता है टैक्स

भारत में मंदिरों की धार्मिक आय पर जीएसटी नहीं लगता, लेकिन व्यावसायिक गतिविधियों पर टैक्स लागू होता है. तिरुपति मंदिर की आय 4,774 करोड़ रुपये (FY25) रहने की संभावना है, वैष्णो देवी और पद्मनाभस्वामी मंदिर की कमाई भी करोड़ों में है. कमर्शियल सेवाएं जैसे कमरा किराया, दुकानें, स्मृति चिन्ह बिक्री और हेलिकॉप्टर सेवाएं जीएसटी के तहत आती हैं.

भारत में मंदिरों की धार्मिक आय पर जीएसटी नहीं लगता. Image Credit:

GST on Temple Income: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार मंदिरों से जीएसटी वसूल रही है. इस पर बीजेपी प्रतिक्रिया देते हुए आरोपों को खारिज किया, बीजेपी ने कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया. राजनीतिक दलों के इन आरोप-प्रत्यारोप ने देश में मंदिरों की कमाई और उन पर लगने वाले टैक्स के मुद्दे को फिर से गरम कर दिया है. आइए जानते हैं कि देश में सबसे ज्यादा कमाई कौन सा मंदिर करता है और मंदिरों पर टैक्स से जुड़े क्या नियम हैं.

कौन है सबसे अमीर मंदिर?

भारत का सबसे अमीर मंदिर ट्रस्ट तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) है, जिसकी वित्त वर्ष 2025-26 में अनुमानित कमाई 4,774 करोड़ रहने की संभावना है. अन्य मंदिरों की कमाई की बात करें तो वैष्णो देवी मंदिर दूसरे स्थान पर आता है, जिसकी कमाई 683 करोड़ रुपये (FY24) रही. इसके बाद केरल स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर का स्थान आता है, जिसकी अनुमानित कमाई 700 करोड़ रुपये (2014) थी.

मंदिरों ने कितना टैक्स दिया?

मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, मंदिरों पर टैक्स से जुड़े नियमों के तहत आध्यात्मिक गतिविधियों पर कोई टैक्स नहीं लगता, लेकिन व्यावसायिक गतिविधियों पर टैक्स लगाया जाता है. तिरुपति मंदिर ने वित्त वर्ष 2017 में 17.7 करोड़ रुपये और 2024 में 32.95 करोड़ रुपये का जीएसटी भरा . वहीं, पद्मनाभस्वामी मंदिर का कुल 1.57 करोड़ रुपये (2017-2024) का जीएसटी तय हुआ है.

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किन गतिविधियों पर लगता है जीएसटी?

मंदिरों की धार्मिक आय पर जीएसटी नहीं लगता, जिसमें दान-पत्र और धार्मिक अनुष्ठान शामिल हैं. हालांकि, कमरों का किराया 1,000 रुपये से अधिक होने पर जीएसटी लागू होता है. इसी तरह, सामुदायिक हॉल या खुले स्थानों का किराया 10,000 रुपये से ज्यादा होने पर भी जीएसटी देना पड़ता है. यदि मंदिरों द्वारा दुकानों को किराए पर दिया जाता है और उनका मासिक किराया 10,000 रुपये से कम है, तो वे जीएसटी मुक्त रहती हैं. लेकिन मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित स्मृति चिन्ह (souvenirs) की दुकानें, हेलिकॉप्टर सेवाएं और अन्य व्यावसायिक गतिविधियां जीएसटी के दायरे में आती हैं.