रिश्तों पर भारी पड़ी वसीयत की जंग, 2024 में भिड़े ये कॉरपोरेट दिग्गज
भारत में अरसे से फैमिली बिजनेस का चलन है, ये देश के विकास में भी अहम योगदान देना है, लेकिन परिवार के सदस्यों में छिड़े विवाद कई बार कंपनी की नींव को हिलाकर रख देते हैं. इससे कंपनी से जुड़े लोग भी प्रभावित होते हैं, आज हम आपको कुछ ऐसे ही कॉरपोरेट घरानों के विवादों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने खूब सुर्खियां बंटोरी.
भारत में फैमिली बिजनेस को बढ़ावा देने का चलन अरसे से चला आ रहा है. अंबानी से लेकर बिरला तक अपनी इस लीगेसी को लगातार बढ़ा रहे हैं. इसके अलावा कई और नामी कॉरपोरेट घराने भी पीढ़ी दर पीढ़ी अपने कारोबारा को ट्रांसफर कर रहे हैं. McKinsey की रिसर्च के मुताबिक इन फैमिली बिजनेस का देश की GDP यानी ग्रोथ में करीब 75 फीसदी से ज्यादा का योगदान है. यही वजह से है कि नॉन फैमिली बिजनेस घरानों के मुकाबले फैमिली बिजनेस वाले 2.3 फीसदी ज्यादा रेवेन्यू हासिल करते हैं. यह परिवार के सदस्यों के बीच बेहतर तालमेल को दिखाता है, लेकिन कई बार पैसे और पावर की इस रेस में रिश्तों की मजबूत डोर टूट जाती है और ये एक विवाद का रूप ले लेती है. आज हम आपको साल 2024 में ऐसे ही प्रमुख काॅरपोरेट झगड़ों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने खूब सुर्खियां बंटोरी.
के.के. मोदी परिवार विवाद
साल 2024 में के.के. मोदी परिवार का विवाद काफी चर्चा में रहा, जिसमें पैसा, महत्वकांक्षा और विरासत के बंटवारे की जंग देखने को मिली. देश की दूसरी सबसे बड़ी तंबाकू कंपनी गॉडफ्रे फिलिप्स में लड़ाई, बीना मोदी और उनके दो बेटों समीर मोदी और ललित मोदी के बीच देखने को मिली. इसमें बेटे मां के खिलाफ नजर आएं. विवाद की शुरुआत 2019 से हुई जब परिवार के मुखिया के.के. मोदी का निधन हुआ, जिन्होंने एक वसीयत छोड़ी जिसके चलते सारा बवाल शुरू हुआ. वसीयत में प्रस्ताव था कि के.के. मोदी की संपत्ति उनकी पत्नी और तीन बच्चों में समान रूप से बांटी जाए. हालांकि, फरवरी 2024 में, समीर मोदी ने एक मुकदमा दायर कर अपनी मां बीना मोदी पर ट्रस्ट की शर्तों का उल्लंघन करने और कंपनी के मामलों को गलत तरीके से चलाने का आरोप लगाया था.
गॉडफ्रे फिलिप्स को बेचने की रखी थी मांग
समीर ने अपनी मां और बहन चारु मोदी के साथ मिलकर परिवार के ट्रस्ट को बनाए रखने का समर्थन किया था, जबकि ललित मोदी ने शुरू से ही ट्रस्ट का विरोध किया और उसे तुरंत खत्म करने, साथ ही गॉडफ्रे फिलिप्स को बेचने की मांग की थी. बाद में समीर मोदी भी अपने भाई ललित के साथ मिल गए, जिससे विवाद और बढ़ गया था. मोदी परिवार के पास मिलकर गॉडफ्रे फिलिप्स में लगभग 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
बोर्ड से समीर को हटाया
यह पारिवारिक विवाद उस समय और बढ़ा जब समीर मोदी ने आरोप लगाया कि 30 मई को एक कंपनी की बोर्ड मीटिंग में जाने के दौरान उन पर हमला किया गया. हालांकि बीना मोदी के सुरक्षा अधिकारी ने भी इस पर पलटवार शिकायत दर्ज कराई थी. समीर के इस मामले की जांच में शामिल न होने पर जुलाई में उन्हें बोर्ड से हटा दिया गया. साथ ही अगस्त में बीना मोदी ने अपने बेटों के खिलाफ अवमानना की याचिका दायर की थी, हालांकि, बाद में उन्होंने समीर के खिलाफ आरोप वापस ले लिए थे. सितंबर में गॉडफ्रे फिलिप्स के शेयरधारकों ने बहुमत से बीना मोदी का समर्थन किया और उन्हें कंपनी के प्रबंध निदेशक के रूप में फिर से नियुक्त करने का प्रस्ताव पारित किया. लिहाजा समीर मोदी के बोर्ड मेंबर के पद को खाली छोड़ने का भी फैसला किया गया था. बीना मोदी का कहना है कि वह के.के. मोदी की विरासत को बेचने के पक्ष में नहीं हैं.
ओबेरॉय परिवार विवाद
इस साल एक और नामी पारिवारिक विवाद ने सुर्खियां बंटोरी वो है, ओबेरॉय परिवार विवाद यह मामला नवंबर 2023 में तूल पकड़ा जब मशहूर ओबेरॉय और ट्राइडेंट होटल चेन के निर्माता पृथ्वी राज सिंह ओबेरॉय का निधन हुआ. दूसरे व्यवसायिक परिवारों की तरह विरासत का मुद्दा भी जल्द ही अदालती लड़ाई में बदल गया. परिवार के सदस्य EIH लिमिटेड में हिस्सेदारी के नियंत्रण के लिए लड़ रहे हैं, जो होटल एम्पायर को संचालित करती है. यह कानूनी लड़ाई दो विरोधी वसीयतों को लेकर है, जिनमें से एक साल 1992 में बनाई गई थी, जबकि दूसरी 2021 में तैयार हुई थी. इसके अलावा एक कोडिसिल (वसीयत का संशोधित रूप) जो अगस्त 2022 में दायर की गई थी.
किसके बीच है विवाद?
यह विवाद अनास्तेसिया ओबेरॉय और उनके सौतेले भाई-बहन विक्रमजीत ओबेरॉय, नताशा ओबेरॉय, और चचेरे भाई अर्जुन ओबेरॉय के बीच है बता दें अनास्तेसिया पृथ्वी राज सिंह की दूसरी शादी से हुई बेटी है. उसका दावा है कि 2022 में दायर कोडिसिल उनके पिता की अंतिम इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है. जबकि 1992 की वसीयत को विक्रमजीत और अर्जुन ओबेरॉय सही मानते हैं. कोडिसिल के मुताबिक अनास्तेसिया और उनकी मां, मिरजाना जोजिक को खास संपत्ति और ईआईएच लिमिटेड में क्लास ए शेयरों पर अधिकार देता है. अनास्तेसिया का आरोप है कि उनके सौतेले भाई विक्रमजीत और चचेरे भाई अर्जुन, वसीयत के एक्सीक्यूटर्स के साथ मिलकर, कोडिसिल को लागू होने से रोक रहे हैं.
हाई कोर्ट का खटखटाया दरवाजा
नवंबर 2024 में, कंपनी की AGM यानी वार्षिक बैठक से ठीक पहले अनास्तेसिया ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और AGM एजेंडा आइटम्स पर रोक लगाने की मांग की. कोर्ट के दखल के चलते अनास्तेसिया को एजीएम में शामिल होने की अनुमति मिली, जहा उन्हें उनके सौतेले भाई-बहन और चचेरे भाई से ओबेरॉय होटल्स और ओबेरॉय प्रॉपर्टीज के निदेशक के रूप में दोबारा शामिल करने का भरोसा दिया गया. आखिर में परिवार के चारों सदस्यों अनास्तेसिया, विक्रमजीत, नताशा, और अर्जुन को निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया. इससे विवाद का अस्थायी समाधान तो हो गया लेकिन कोडिसिल की वैधता को लेकर मूल विवाद अभी भी अनसुलझा ही है.
कल्याणी परिवार विवाद
साल 1961 में निलकंठराव ए. कल्याणी ने भारत फोर्ज की स्थापना की थी, जो अब ऑटोमोटिव, ऊर्जा, रक्षा, और एयरोस्पेस में उद्यमों के साथ एक ग्लोबल समूह बन गया है. हालांकि, इस नामी कंपनी में भी भाई-बहनों के बीच विरासत की जंग छिड़ी हुई है. कल्याणी परिवार का विवाद वसीयत को लेकर है. विवाद परिवार की कर्ताधर्ता सुलोचना कल्याणी के फरवरी 2023 में निधन के बाद भड़का. उनकी बेटी सुगंधा हिरेमठ, के अनुसार उनके भाई बाबा कल्याणी, जो हिकल लिमिटेड के निदेशक और भारत फोर्ज के सीएमडी हैं, कथित तौर पर उन्हें और उनके पति, जयदेव हिरेमठ को हिकल मैनजमेंट से बाहर करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि हिरेमठ के पास कंपनी का 35% हिस्सा है और बाबा कल्याणी के पास 34% है.
1994 की परिवार व्यवस्था से खिलवाड़
सुगंधा का दावा है कि बाबा कल्याणी का आरोप है कि परिवार की ओर से 1994 में बनी एक व्यवस्था का बाबा पालन नहीं कर किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि बाबा ने अपनी मां की मृत्यु के ठीक बाद हिकल के 58 लाख अतिरिक्त शेयर खरीदने की कोशिश की, जो व्यवस्था के खिलाफ था. उन्होंने 2023 में बॉम्बे हाई कोर्ट में समझौते को लागू करने के लिए याचिका दायर की थी. सुगंधा का तर्क है कि परिवार व्यवस्था मुंबई के ताज महल होटल में एक मीटिंग में पूर्व सेबी अध्यक्ष एस.एस. नाडकर्णी और पूर्व आईसीआईसीआई बैंक अध्यक्ष एन. वाघुल जैसे सम्मानित मध्यस्थों की उपस्थिति में की गई थी, हालांकि बाबा ने इन दांवाें का खंडन किया था. मामले ने तूल और पकड़ा जब परिवार विवाद और बढ़ गया जब सुगंधा ने पुणे की सिविल कोर्ट में उनकी मां, सुलोचना कल्याणी की छोड़ी वसीयतों की वैधता को चुनौती दी. उनका कहना है कि 2023 फरवरी में बनाई गई वसीयत बाबा कल्याणी को फायदा पहुंचाती है, जबकि दिसंबर 2022 की वसीयत गौरीशंकर कल्याणी को फायदा पहुंचाती है.