Torres Jewellery Scam: 1000 करोड़ के फ्रॉड मामले में CEO तौसीफ रियाज गिरफ्तार, 3 फरवरी तक पुलिस हिरासत
Torres Jewellers की पैरेंट कंपनी Platinum Hern के सीईओ तौसीफ रियाज को रविवार, 26 जनवरी को महाराष्ट्र के लोनावला में एक होटल से गिरफ्तार किया गया है और कोर्ट ने उन्हें 3 फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है.
Tausif Riyaz Arrested: टोरेस ज्वेलर्स के 1,000 करोड़ रुपये निवेश घोटाले में CEO तौसीफ रियाज गिरफ्तार हो चुके हैं. Torres Jewellers की पैरेंट कंपनी Platinum Hern के सीईओ तौसीफ रियाज को रविवार, 26 जनवरी को महाराष्ट्र के लोनावला में एक होटल से गिरफ्तार किया गया है. रियाज की गिरफ्तारी के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया है और 3 फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है.
क्या है ये घोटाला?
यह मामला 1,000 करोड़ रुपये के बड़े निवेश घोटाले से जुड़ा हुआ है. तौसीफ रियाज इस हाई-प्रोफाइल केस में गिरफ्तार किए गए 5वें व्यक्ति हैं. पुलिस ने उन्हें पकड़ने के लिए पहले लुकआउट सर्कुलर यानी LOC जारी किया था. टोरेस ज्वेलर्स पर आरोप है कि उन्होंने पोंजी स्कीम और मल्टी-लेवल मार्केटिंग (MLM) के जरिए लाखों निवेशकों को ठगा है.
कैसे हुआ घोटाला?
घोटाले में 1 लाख से ज्यादा निवेशकों को “शानदार रिटर्न” देने का वादा करके 1,000 करोड़ से अधिक की ठगी की गई है. निवेशकों को झांसा दिया गया कि उनकी रकम टोरेस ज्वेलर्स की योजनाओं में लगाई जाएगी, लेकिन यह एक पोंजी और MLM स्कीम निकली.
ये मामला तब सामने आया जब मुंबई पुलिस ने इस घोटाले की शिकायत दर्ज की, इसके बाद हाल में प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने भी मामले की जांच शुरू की.
ED ने मुंबई और जयपुर में 10 जगहों पर छापेमारी की, इस दौरान मनी लॉन्ड्रिंग और संदिग्ध वित्तीय गतिविधियों के सबूत जुटाए गए. मामले में कुल 12 आरोपियों में से 8 फरार हो चुके हैं. इनमें 7 यूक्रेनी नागरिक और 1 भारतीय शामिल हैं. इन लोगों ने 30 दिसंबर 2024 से पहले देश छोड़ दिया है.
मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुलिस की धीमी कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी भी की है, कोर्ट ने सख्ती से कहा है कि मामले में कर्तव्य का पालन नहीं किया गया है. कोर्ट ने पुलिस को तेजी से कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने SIT बनाने का सुझाव भी दिया है ताकि जांच में तेजी लाई जा सके. मुंबई, नवी मुंबई और ठाणे में दर्ज सभी FIRs को आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को ट्रांसफर कर दिया गया है. इसका मकसद जांच में तेजी लाना है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 8 हफ्तों में होगी.