इस शख्स की देन BPL टीवी, LG- Samsung से पहले था राज, भारतीयों की बदल दी थी दुनिया

जी हां वही बीपीएल टीवी, जो हमारे घरों में लंबे समय तक एक टेबल पर आसन जमाए रही. जिसके लिए हमारी दीदी या बुआ ने सफेद कपड़े पर गुलाब वाले पर्दे बुने थे… वही बीपीएल टीवी, जिसपर देश ने रामायण सीरियल देखा.

कैसे हुई थी बीपीएल टीवी की शुरुआत? Image Credit: Social Media

…तो हजरात बात उन दिनों की है, जब टीवी स्मार्ट नहीं थे और लोगों के पास मनोरंजन के साधन सीमित थे. लोग समूह में बैठकर फिल्में देखा करते. क्रिकेट मैच देखने को लिए पूरा गांव किसी एक शख्स के दरवाजे पर जुट जाता. ये बात तब की है, जब कोई बाहर से ही बता देता था कि सामने वाले घर में टीवी है या नहीं. क्योंकि चमकती धूप में सीना तान खड़ा एल्यूमीनियम का एंटीना बता देता था कि हां भाई साहब घर में टीवी तो है.

तब एंटीना भी अलग रौब में रहता, क्योंकि टीवी की स्क्रीन पर चमकती सचिन की बल्लेबाजी और चंद्रकांता की कहानी को घर तक पहुंचाने का एक सूत्रधार तो वो भी था. जब कभी उसका मिजाज बिगड़ता… घंटों परेशान करता और घर के बालक इसे हिला-डुलाकर मानने की कोशिश में जुट जाते. फिर छत से कमरे तक एक ही आवाज गूंजती ‘आया और नहीं’. वो दौर सिर्फ टीवी का था.. स्मार्ट टीवी का नहीं… वो दौर बीपीएल का था.

जी हां वही बीपीएल टीवी, जो हमारे घरों में लंबे समय तक एक टेबल पर आसन जमाए रही. जिसके लिए हमारी दीदी या बुआ ने सफेद कपड़े पर गुलाब वाले पर्दे बुने थे… वही बीपीएल टीवी, जिसपर देश ने रामायण सीरियल देखा. उसी बीपीएल टीवी को बनाने वाली कंपनी के फाउंडर टी पी गोपालन नांबियार ने गुरुवार, 31 अक्टूबर 2024 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

टीपीजी नांबियार ने रखी नींव

टीपीजी नांबियार आजादी के बाद भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को खड़ा करने वाले प्रमुख शख्सों में से एक थे. बीपीएल टीवी की कहानी की शुरुआत कैसे होती है… जान लेते हैं. टीपीजी नांबियार 1960 के दशक की शुरुआत में ब्रिटेन से अमेरिका चले गए और अक्सर भारत आने लगे. वे टेक मल्टीनेशनल वेस्टिंगहाउस के साथ काम कर रहे थे और उन्होंने दिल्ली के ओबेरॉय होटल में भारत का पहला एयर-कंडीशनिंग सिस्टम लगाया. न्यूयॉर्क से भारत की अपनी यात्राओं के दौरान, उन्हें एहसास हुआ कि देश ने उन्हें अपना खुद का कुछ शुरू करने का एक शानदार अवसर प्रदान किया है.

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टीवी से पहले बनाए ये प्रोडक्ट

इसके बाद साल 1963 में उन्होंने ब्रिटिश फिजिकल लैबोरेटरीज (इंस्ट्रूमेंट्स) लिमिटेड यूके के एंथनी शेरिडन के साथ एक सहयोग समझौता किया. फिर भारत में सटीक माप उपकरणों का उत्पादन शुरू किया. पहला कारखाना केरल के पलक्कड़ में स्थापित किया गया. उनके पहले प्रोडक्ट का कंज्यूमर से कोई लेना-देना नहीं था. यह सरकार से एक डिफेंस सब-कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ा था. उन्होंने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के लिए हर्मेटिकली सीलपैक पैनल मीटर बनाए, जो भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे वायरलेस सेट में इस्तेमाल किए गए. इसके तुरंत बाद, बीपीएल ने मेडिकल और टेस्टिंग उपकरण बनाना शुरू कर दिया.

एशियाड गेम्स और बीपीएल टीवी

इसके बाद आया साल 1982 और देश में आया एशियाड गेम्स. एशियाड खेलों की शुरुआत के साथ रंगीन टेलीविजन भारत में आया. बीपीएल ने इस अवसर का लाभ उठाया और टीवी बनाने में जुट गई. भारत में ब्लैक एंड व्हाइट टीवी सेट की मांग आने वाले वर्षों में भी अधिक रही. 1990 के दशक में, जब भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुई, तो बीपीएल ने अपना प्रोडक्शन बढ़ाया और भारतीय बाजार में कई प्रोडक्ट उतारे. पिक्चर ट्यूब से लेकर प्लग सॉकेट तक, बीपीएल ने सब कुछ बनाया. उनके पास 28 प्लांट थे, जिनमें से 20 बैंगलोर और उसके आसपास थे. केवल सेमी-कंडक्टर और चिप्स को आउटसोर्स किया गया था. फिर जल्द ही, उन्होंने कंपनी का नाम बदलकर बीपीएल इंडिया रख दिया.

विदेशी बाजार में बिक्री

कुछ साल बाद कंपनी को एहसास हुआ कि निर्यात के लिए बहुत बड़ा बाजार है और यूरोप के लोग अच्छे प्रोडक्ट के लिए प्रीमियम देने को तैयार हैं. इसलिए कंपनी ने टीवी सेट का निर्यात भी शुरू कर दिया और नाम में से ‘इंडिया’ हटाकर सिर्फ़ BPL रख दिया. तब मार्केट और भी टीवी बनाने वाली कंपनियां थीं. लेकिन एक चीज थी जो बीपीएल को अलग बनाती थी वो ये कि उन्होंने अपने उपकरणों के लगभग हर छोटे हिस्से को खुद ही डिजाइन और तैयार किया था.

अमिताभ बच्चन को दिए थे 8 करोड़

साल 1995 में, बीपीएल ने अमिताभ बच्चन को बिलीव इन द बेस्ट नामक एक नए अभियान के लिए 8 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. आज से करीब 30 साल पहले यह आम बात नहीं थी. 2000 के दशक की शुरुआत में, दुनिया भर में बाजार की डायेनेमिक नाटकीय रूप से बदल गई थी. चीन ने खुद को ‘वर्ल्ड फैक्ट्री” के रूप में स्थापित किया और इसने ग्लोबल लेवल पर बिजनेस इकोनॉमिक्स को बदल दिया. एक तरफ ब्रॉन्ड के जरिए ग्राहकों को बीच बनाया भरोसा था और दूसरी तरफ नई टक्नोलॉजी, जिसके जरिए इंटेल और फिलिप्स जैसे ब्रांड को ब्रेकथ्रू मिला.

10 लाख टीवी की सेल

हालांकि, 2002 में अपनी सफलता के चरम पर बीपीएल ने पूरे भारत में दस लाख से ज्यादा टेलीविजन सेट बेचे थे. 1990 के दशक में बाजार पर अपना दबदबा बनाए रखने वाली कंपनी सिर्फ टेलीविजन सेट और रेफ्रिजरेटर ही नहीं बेच रही थी, बल्कि मेडिकल उपकरण, म्यूज़िक सिस्टम और होम थिएटर जैसे कई दूसरे प्रोडकेट भी बेच रही थी. इस बीच बीपीएल मालिकों के पारिवारिक झगड़े में फंस गई और मार्केट की चुनौतियों को पर फोकस नहीं कर सकी.

पिछले साल खबर आई थी कि रिलायंस रिटेल ने इस कंपनी के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस और मार्केट कंज्यूमर ड्यूरेबल प्रोडक्ट का अधिग्रहण कर लिया है. अब इस कंपनी के प्रोडक्ट मार्केट में बीपीएल और केल्विनेटर ब्रांड से बेचे जाते हैं.