अमेरिकियों के लिए ‘हानिकारक’ हो सकता है भारतीय फार्मा कंपनियों टैरिफ कार्ड, फार्मेक्सिल ने बताई ये वजह

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार दुनियाभर के देशों पर जवाबी टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं. मंगलवार को भी ट्रंप ने कहा कि वे भारत से फार्मा प्रोडक्ट के आयात पर जवाबी टैरिफ लगा सकते हैं. बहरहाल, ट्रंप अगर ऐसा करते हैं, तो इसका खामियाजा भारत से ज्यादा अमेरिकी लोगों को हो सकता है. जानिए कैसे?

WEF में टैरिफ पर बात करते हुए ट्रंप Image Credit: White House

US President डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर टैरिफ राग छेड़ते हुए कहा है कि वे भारत जैसे देशों से होने वाले आयात पर जवाबी टैरिफ लगाने वाले हैं. इस बार ट्रंप ने खासतौर पर भारती फार्मा इंडस्ट्री को टार्गेट किया है. बहरहाल, S&P, गोल्डमैन सैक्स जैसी दिग्गज एजेंसी कह चुकी हैं कि ट्रंप के जवाबी टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा असर नहीं होगा.

वहीं, भारतीय औषधि निर्यात संवर्धन परिषद (फार्मेक्सिल) ने बुधवार को कहा कि अगर अमेरिका की तरफ से भारतीय दवाओं के आयात पर जवाबी टैरिफ लगाया जाता है, तो इसका भारतीय कंपनियों से ज्यादा असर अमेरिकी लोगों पर होगा. फार्मेक्सिल के महानिदेशक राजा भानु कहते हैं कि भारत से अमेरिका को ज्यादातर जेनरिक दवाएं निर्यात की जाती हैं. इसका सबसे बड़ा लाभ अमेरिकी लोगों को मिलता है.

अगर अमेरिका इन दवाओं पर टैरिफ बढ़ाता है, तो भारत के निर्यात पर इसका खास असर नहीं होने वाला है, बल्कि अमेरिकी उपभोक्ताओं के जेब पर ही यह भारी पड़ेगा. उन्होंने कहा कि हमें इस तरह के टैरिफ लगने का कोई तत्काल असर भारत की फार्मा इंडस्ट्री पर नहीं दिखाई देता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर ट्रंप टैरिफ लगाते हैं, तो इससे केवल अमेरिकी उपभोक्ताओं को नुकसान होगा. लिहाजा, इस मामले में हम किसी औपचारिक फैसले का इंतजार कर रहे हैं.

अमेरिका में हुए कई अध्ययनों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर भारतीय कंपनियों की दवाओं से 2022 में अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को 219 अरब डॉलर की बचत हुई थी. 2013 से 2022 के बीच कुल 1,300 अरब डॉलर की बचत हुई. ऐसे में अगले पांच वर्षों में भारतीय कंपनियों की जेनेरिक दवाओं से अमेरिका के हेल्थ सेक्टर को 1,300 अरब डॉलर से ज्यादा की बचत हो सकती है. अगर इस स्थिति में भी ट्रंप भारतीय दवाओं के आयात पर टैरिफ लगाना चाहते हैं, तो यह अमेरिकी लोगों और उनके राष्ट्रपति के बीच का मामला है.

उन्होंने बताया कि भारतीय दवा कंपनियां अमेरिका में आम लोगों द्वारा इस्तेमाल होने वाली दवाओं के एक बड़े हिस्से की आपूर्ति करती हैं. 2022 में अमेरिका में डॉक्टरों की तरफ से लिखी जाने वाली सभी दवाओं में से 10 में से 4 दवाएं ही अमेरिकी कंपनियों की होती थीं. अगर ट्रंप इन दवाओं पर टैरिफ लगाते हैं, तो जाहिर अमेरिकी लोगों को इन दवाओं को ज्यादा कीमत देकर खरीदना होगा.